सरकारी नौकरी छोड़कर बने मूर्तिकार, 450 शहरों में गांधी की प्रतिमा से लेकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक गढ़ा; जानें कौन थे पद्मश्री राम सुतार
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रचनाकार और पद्मश्री मूर्तिकार राम सुतार का करीब 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बढ़ई परिवार से निकलकर विश्वविख्यात कलाकार बने राम सुतार ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, शिवाजी महाराज और भगवान राम समेत कई ऐतिहासिक प्रतिमाएं गढ़ीं. पद्मश्री, पद्मभूषण, टैगोर पुरस्कार और महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित राम सुतार भारतीय कला के युगपुरुष थे.;
भारत की पहचान बन चुकी विशाल प्रतिमाओं के पीछे जिस हाथ ने दशकों तक इतिहास को आकार दिया, वह अब शांत हो गया है. विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रचनाकार, महान मूर्तिकार पद्मश्री राम सुतार का लगभग 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके जाने से सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की दृश्य स्मृति का एक स्तंभ टूट गया है.
राम सुतार उन विरले कलाकारों में थे, जिन्होंने पत्थर, कांस्य और संगमरमर में सिर्फ आकृतियां नहीं गढ़ीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना को मूर्त रूप दिया. संसद भवन से लेकर दूर-दराज के शहरों तक, उनकी मूर्तियां आज भी भारत के इतिहास, विचार और आत्मसम्मान की गवाही देती रहेंगी.
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बढ़ई का बेटा बना विश्वविख्यात मूर्तिकार
राम सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गांव में हुआ. वे एक साधारण बढ़ई परिवार से थे, लेकिन बचपन से ही उनकी उंगलियों में कला बसती थी. गुरु रामकृष्ण जोशी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मुंबई के प्रतिष्ठित जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स तक पहुंचाया. यहीं से वह यात्रा शुरू हुई, जो आगे चलकर उन्हें विश्व मंच तक ले गई.
सरकारी नौकरी छोड़ी, कला को चुना जीवन
1959 में दिल्ली आकर उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में नौकरी शुरू की, लेकिन सरकारी दफ्तर की सीमाएं उनकी कला को बांध नहीं सकीं. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह मूर्तिकला को समर्पित हो गए. 1961 में गांधीसागर बांध पर 45 फुट ऊंची देवी चंबल की प्रतिमा ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई.
संसद से सड़कों तक: नेताओं और विचारों की प्रतिमाएं
संसद भवन परिसर में स्थापित ध्यानमग्न महात्मा गांधी की प्रतिमा राम सुतार की सबसे चर्चित कृतियों में है. इसके अलावा गोविंद वल्लभ पंत, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जयप्रकाश नारायण, महात्मा फुले, महाराजा रणजीत सिंह, छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति साहू महाराज की प्रतिमाएं उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में गढ़ीं.
कौन-कौन सी ऐतिहासिक मूर्तियां बनाई?
राम सुतार की सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति गुजरात में स्थित 182 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है, जो आज भी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. इसके अलावा
- संसद भवन में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा
- बेंगलुरु की 153 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा
- पुणे (मोशी) में 100 फीट ऊंची छत्रपति संभाजी महाराज की प्रतिमा
- अयोध्या में 251 मीटर ऊंची भगवान श्रीराम की प्रतिमा
- अयोध्या में लता मंगेशकर चौक पर स्थापित विशाल वीणा
- दक्षिण गोवा में 77 फुट ऊंची कांसे की भगवान राम की प्रतिमा
- पटना में गांधी मैदान में गांधी की दो बच्चों के साथ लगी प्रतिमा
जैसी कृतियां उनकी अद्भुत शिल्प दृष्टि का प्रमाण हैं.
450 शहरों में गांधी, एक विचार की मूर्ति
राम सुतार ने महात्मा गांधी की प्रतिमाएं सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए भी बनाई. भारत के करीब 450 शहरों में गांधी की प्रतिमा उनके हाथों से आकार पाई. यह उनकी कला की नहीं, बल्कि गांधीवादी विचारों की वैश्विक स्वीकार्यता की कहानी भी है.
कौन-कौन से सम्मान मिले?
राम सुतार को उनके जीवनकाल में कई बड़े सम्मान मिले
- पद्मश्री (1999)
- पद्मभूषण (2018)
- टैगोर पुरस्कार (2018)
- महाराष्ट्र भूषण (हाल ही में)
महाराष्ट्र भूषण राज्य का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उन्हें उनके जीवनभर के योगदान के लिए दिया गया. उन्हें नोएडा स्थित घर पर आकर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सम्मान दिया था. तब वह बिस्तर से उठने में असमर्थ थे.
एक कलाकार, जो राष्ट्र की पहचान बन गया
राम सुतार का जाना भारतीय कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. लेकिन उनकी बनाई प्रतिमाएं आने वाली सदियों तक खड़ी रहेंगी—इतिहास, विचार और राष्ट्रगौरव की तरह. वे चले गए, लेकिन भारत की धरती पर उनका हस्ताक्षर पत्थर और कांस्य में हमेशा अमर रहेगा.