धर्मस्थल मामले में नया मोड़, खोपड़ी लेकर पहुंचा ‘गवाह’ निकला झूठा, पुलिस ने किया गिरफ्तार, जानें SIT की जांच में क्या-क्या

चिनैया उर्फ चेन्ना ने जब पुलिस थाने में खोपड़ी के साथ एंट्री की थी, तब पूरे राज्य में हड़कंप मच गया था. उसने दावा किया था कि उसे मजबूरी में सैकड़ों शवों को दफनाना पड़ा, जिनमें बलात्कार की शिकार युवतियां भी थीं. उसने खुद को गिल्ट से ग्रसित बताया और पुलिस से सुरक्षा मांगते हुए मदद मांगी.;

( Image Source:  AI )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 23 Aug 2025 7:53 PM IST

कर्नाटक के प्रसिद्ध धर्मस्थल से जुड़ा कथित 'मास बरीयल केस' अब अपने सबसे नाटकीय मोड़ पर आ पहुंचा है. जिस शख्स ने पुलिस थाने में एक खोपड़ी लेकर सैकड़ों बलात्कार और हत्याओं का खुलासा करने का दावा किया था, वही अब झूठ बोलने के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है.

सीएन चिनैया उर्फ चेन्ना, जिसे पहले 'नकाबपोश गवाह' के रूप में पेश किया गया था. अब SIT की जांच में झूठा साबित हुआ है, लेकिन सवाल ये है  क्या ये एक बीमार मानसिकता वाले शख्स का झूठ था या फिर धर्मस्थल जैसे धार्मिक केंद्र को बदनाम करने की एक गहरी रणनीति?

क्या है मामला?

चिनैया उर्फ चेन्ना ने जब पुलिस थाने में खोपड़ी के साथ एंट्री की थी, तब पूरे राज्य में हड़कंप मच गया था. उसने दावा किया था कि उसे मजबूरी में सैकड़ों शवों को दफनाना पड़ा, जिनमें बलात्कार की शिकार युवतियां भी थीं. उसने खुद को गिल्ट से ग्रसित बताया और पुलिस से सुरक्षा मांगते हुए मदद मांगी.

'गवाह' की गिरफ्तारी

लेकिन SIT की गहन जांच और जिरह के दौरान ये दावा टिक नहीं पाया. चिनैया के बयान बार-बार बदले, और जांच के साथ उसके दावों में झोल सामने आया. आखिरकार, उसके खिलाफ 'झूठी गवाही' और 'अदालत को गुमराह करने' के आरोप में केस दर्ज किया गया और उसकी गवाह सुरक्षा हटाकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

गुमनाम बेटी की कहानी भी निकली झूठी

चौंकाने वाला दूसरा मोड़ तब आया जब सुजाता भट नाम की ए महिला ने दावा किया कि उसकी बेटी अनन्या भट धर्मस्थल में लापता हो गई, जो MBBS की छात्रा है. लेकिन कुछ दिनों बाद उसने एक यूट्यूब चैनल को बताया कि ऐसी कोई बेटी थी ही नहीं और अब उसने फिर बयान बदला और कहा कि उससे दबाव में ऐसा कहलवाया गया. ये विरोधाभासी बयानों की कड़ी सिर्फ शक को गहरा कर रही है. क्या इस पूरे प्रकरण में 'झूठ की पटकथा' किसी और ने तैयार की थी?

क्या SIT से पहले स्क्रिप्ट कोई और लिख चुका था?

बीजेपी नेताओं का आरोप है कि यह सब एक बड़ी "हिंदुत्व विरोधी साजिश" का हिस्सा है. उनका कहना है कि चिनैया और सुजाता सिर्फ मोहरे थे. असली साजिश कहीं और से रची गई. बीजेपी विधायक भारत शेट्टी ने यहां तक दावा किया कि SIT का गठन भी तभी हुआ जब पुलिस ने चिनैया की नार्को-टेस्ट की सिफारिश की थी. बीवाई विजयेंद्र ने NDTV से बातचीत में इसे “लेफ्ट और कम्युनिस्ट ताकतों की साजिश” करार दिया जो मंदिरों को निशाना बना रही हैं.

फंडिंग और प्रोपेगैंडा: किसने खर्च किया ये सब?

BJP ने यह भी सवाल उठाया कि चिनैया जैसे व्यक्ति, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं लगता, वह विदेश में बने नकाब पहनकर, मीडिया को संभालकर और इतने विस्तार से कहानी कैसे रच पाया? इस पूरे 'प्रोपेगैंडा' के पीछे फंडिंग की भी जांच होनी चाहिए. क्या किसी संगठित नेटवर्क ने इसे एक धार्मिक स्थल को बदनाम करने की साजिश के रूप में प्रयोग किया?

सरकार का रुख: राजनीति से दूर रहे जांच

कांग्रेस सरकार का कहना है कि जांच पारदर्शी तरीके से हो रही है और सच्चाई जो भी हो, उस पर कार्रवाई की जाएगी. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि 'हम न किसी के पक्ष में हैं, न विपक्ष में. जो गलत होगा, उस पर कार्रवाई होगी. धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.'  उन्होंने यह भी कहा कि धर्मस्थल परिवार खुद मुख्यमंत्री से मिलकर जांच की सराहना कर चुका है.

अब जब इस हाई प्रोफाइल मामले में दोनों मुख्य गवाहों की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है, SIT की साख भी सवालों के घेरे में है. विपक्ष जहां इसे "सरकार द्वारा तैयार नाटक" बता रहा है, वहीं सरकार इसे जांच प्रक्रिया का हिस्सा बता रही है.

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