Jyoti Malhotra Arrest: वह सख्त कानून जो ज्योति मल्होत्रा को उम्रकैद से फांसी के तख्ते तक भी पहुंचा सकता है...बशर्ते!
पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले का जवाब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से दिया, तो अंदरूनी गद्दारों पर भी शिकंजा कस दिया गया. यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और उसके साथियों को देशविरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उन पर ‘ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट-1923’ और देशद्रोह जैसे गंभीर कानून लगाए गए हैं. जांच में साबित हुआ तो उन्हें उम्रकैद या फांसी तक हो सकती है. हालांकि, अदालत अंतिम फैसला जांच एजेंसियों की रिपोर्ट और सबूतों के आधार पर लेगी.;
भारत ने पहलगाम में आतंकवादी हमले (Pahalgam Terror Attack) का हिसाब ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए पाकिस्तान से बराबर कर लिया है. जब तक ऑपरेशन सिंदूर से मिले जख्मों को पाकिस्तान भर पाता, उससे पहले ही भारतीय एजेंसियों ने भारत की गद्दार और भारत के खिलाफ पाकिस्तान की कथित सलाहकार-जासूस, यूट्यूबर-ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा और उसके कई ‘प्यादों’ को दबोच लिया. इन सभी के ऊपर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट (शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923) और देशद्रोह कानून के आरोप हाल-फिलहाल लगे हैं. यह इन दोनो ही कानूनों के मुलजिम हैं भी या नहीं. यह बात, जांच पूरी होने के बाद एजेंसियों की जांच रिपोर्ट में मौजूद गवाह-सबूतों के आधार पर भारत की अदालत को तय करना है. फिलहाल आइए जानते हैं इस मामले से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब...जैसे कि
- ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट (शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923) क्या है?
- इस मामले के आरोपियों के ऊपर लगने वाला संभावित देशद्रोह कानून क्या है?
- ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट और देशद्रोह कानून क्या एक ही है? अगर नहीं तो फिर दोनों के बीच भारत के कानून के मुताबिक क्या फर्क है?
- ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट कानून के उल्लंघन में कितनी सजा का प्रावधान है?
- देशद्रोह कानून में दोष-सिद्ध हुए मुजरिम के लिए कितनी सजा मिल सकती है?
- देशद्रोह कानून की किस धारा में और किस मुजरिम को उम्रकैद और किस मुजरिम को फांसी तक की सजा मिल सकती है? आदि-आदि...
आइए पहले समझते हैं कि आखिर यह ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट-1923 है क्या?
यह एक ऐसा भारतीय कानून है जो पूरे देश में लागू है. इसके अंतर्गत मुख्य रूप से सरकारी दफ्तर, उनमें काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी, व इन कार्यालयों से जुड़े नियमित-अनियमित, नियमित-तदर्थ (अस्थाई), सभी वर्ग के लोग आते हैं. इसके अलावा अगर कोई संदिग्ध न तो सरकारी कर्मचारी है. न ही वह सरकार के किसी कार्यालय में अस्थाई या ठेके का कर्मचारी ही है. तब भी वह इस कानून का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया जा सकता है.
किसी भारतीय या विदेशी (जो भारत का नागरिक न हो) से देश और सेना-खुफिया विभाग से जुड़े ऐसे दस्तावेज-जानकारियां, जिनसे भारत की सुरक्षा-संप्रुभता को खतरा उत्पन्न हो रहा हो. या खतरा उत्पन्न होने की संभावना मात्र भी हो. तो वह भी ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट (Official Secrets Act-1923) के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है. भारतीय पुलिस, खुफिया या जांच एजेंसी द्वारा इस एक्ट में गिरफ्तार कोई संदिग्ध ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट का ‘मुजरिम’ है या नहीं. यह तय करने की जिम्मेदारी विशेष-न्यायालय की है. गवाह और सबूतों के कमजोर होने या फिर, उनके न होने की स्थिति-परिस्थिति में, पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा, आफिशीयल सीक्रेट एक्ट में गिरफ्तार शख्स को अदालत रिहा भी कर सकती है.
इन पर भी ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट लगेगा
ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट में मुख्य रूप से भारत के किसी भी सरकारी कार्यालय/ भारत की तीनों सेनाओं/ तटरक्षक बल, खुफिया एजेंसियों, देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को खतरा पहुंचाने संबंधी. देश की हुकूमत को नुकसान पहुंचाने से संबंधित गोपनीय जानकारियां, चाहे वह फोटो, नक्शा, बिना साफ की हुई वीडियो रील या तस्वीरों की रीलें हों. भारत की महत्वपूर्ण इमारतों तक पहुंचने के रास्तों के नक्शे या, उनकी तस्वीरें हों. इन सभी गतिविधियों को भारत के दुश्मन देश तक या, उसकी एजेंसियों तक पहुंचाने वाले पर “ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट-1923” लागू होता है.
हाईकोर्ट के जस्टिस(रिटा.) एस एन ढींगरा बोले
दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवा-निवृत्त न्यायाधीश शिव नरायाण ढींगरा (Delhi High Court Retired Justice S N Dhingra) से स्टेट मिरर हिंदी ने इस बारे में बात की. पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा ने कहा, “वैसे तो जांच एजेंसियों को जो और जैसे गवाह-सबूत मुलजिम के खिलाफ मिलते हैं. उसके हिसाब से ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट और देशद्रोह कानून मुलजिम या मुलजिमों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. जहां तक यूट्यूबर और पाकिस्तान को गोपनीय दस्तावेज-जानकारियां लीक करने वाली, ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra Youtuber) और उसके साथियों की गिरफ्तारी की बात है, तो इसमें भले ही शुरूआती जांच “ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट” और “देशद्रोह-राजद्रोह” कानून, दोनों से जुड़ी ही क्यों न हो रही हो. कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के वक्त यह तो जांच एजेंसियों को ही साबित करना है कि, ज्योति मल्होत्रा और उसके साथ गिरफ्तार बाकी संदिग्ध, भारत के किसी भी सरकारी विभाग के कर्मचारी न होते हुए भी आखिर कैसे और क्यों, ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट के दायरे में लाकर इसके तहत मुलजिम बनाए गये हैं?”
ज्योति पर ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट आसान नहीं...
अब आइए हाल ही में हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार ज्योति मल्होत्रा और उसके साथियों की गिरफ्तारी को लेकर ही, पहले ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट के बारे में समझते हैं. क्या ज्योति मल्होत्रा या उसके साथियों के ऊपर ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट लग सकता है? इस सवाल के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी ने बात की, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी और इस तरह के मामलों की कई साल तक जांच करते रहने वाले एल एन राव से. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी और दिल्ली उच्च न्यायालय व भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर एल एन राव ने कहा, “ज्योति मल्होत्रा और उसके साथी चूंकि भारत के किसी सरकारी या गैर-सरकारी संस्थान में कार्यरत नहीं है. इसलिए उनसे ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 कानून को ध्यान में रखकर हमारी एजेंसियां गहन पूछताछ तो कर सकती हैं. इस एक्ट में इन सबको गिरफ्तार करके उन्हें सजा कराने में लेकिन जांच एजेंसियों को खासी चुनौतियां का सामना कोर्ट में करना पड़ सकता है. हां, इनमें से जो भी जांच में दोषी पाए जाते हैं, उनके खिलाफ राजद्रोह या कहिए देशद्रोह का मुकदमा जांच एजेंसी कोर्ट के सामने आसानी से पेश करके, ज्योति मल्होत्रा और उसके साथियों या उसके कुछ साथियों को दोष-सिद्ध करवा सकती है.”
बहुत बुरी तरह से फंसी है ज्योति मल्होत्रा
अब समझते हैं कि देशद्रोह-राजद्रोह कानून और ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट किसी तरह आपस में भिन्न हैं? ज्योति मल्होत्रा जैसे मास्टरमाइंड षडयंत्रकारियों से दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल में कई साल तक, पूछताछ करते रहने वाले रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव कहते हैं, “हाल ही में देश की आईपीसी में हुए बदलाव से पहले की बात करें तो आईपीसी की धारा 121-ए हुआ करती थी. जिसमें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना कानून और सजा समाहित थी. जब से भारत के कानून में कुछ वक्त पहले बदलाव किया गया है. तब से देशद्रोह की पुरानी धारा-121ए भी बदलकर अब बीएनएस की धारा-147 व 148 हो गई है. जहां तक सवाल ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट और बीएनएस की धारा 147 और 148 लगने की बात है, तो सबूत मिलने पर यह दोनों धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं.”
ज्योति मल्होत्रा कब फांसी-फंदे तक पहुंच सकती है?
ज्योति मल्होत्रा ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट और देशद्रोह कानून के तहत क्यों और कैसे आरोपी बन सकती है? इन्हीं तमाम सवालों के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर एल एन राव बोले, “जितना मैं ज्योति मल्होत्रा केस के बारे में मीडिया में पढ़ देख रहा हूं, उसके हिसाब से फिलहाल तो इससे पुलिस और हमारी एजेंसियां आफिशीयल सीक्रेट एक्ट और देशद्रोह कानून यानी दोनों के ही दायरे में पूछताछ कर रही होगी.
अगर जांच और पूछताछ के दौरान ज्योति मल्होत्रा और उसके साथियों से ऐसे सबूत मिल गए जो साबित कर सकेंगे कि, यह गैंग पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश के लिए हमारी सीक्रेट जानकारियां, हमारी फौज की जानकारियां और हमारे तमाम सरकारी संस्थानों के भीतर की जानकारियां, उनकी तस्वीरें- नक्शे, पाकिस्तान और उसकी फौज या खुफिया एजेंसियों ISI तक भेज रही या रहे थे. तब इनके खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मुकदमा चलाया जा सकता है. ऐसे में इन्हें उम्रकैद की सजा से लेकर सजा-ए-मौत यानी फांसी तक की सजा सुनाई जा सकती है. हालांकि, ज्योति मल्होत्रा के मामले में फांसी तक की नौबत शायद ही आ पाएगी. हां, उम्रकैद तक की सजा मिलने की उम्मीद बहुत ज्यादा बनी रहेगी.”
ऑफिशीयल सीक्रेट एक्ट में सजा की बात करें तो वह महज 3 साल की ही सजा है. जबकि भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, या युद्ध छेड़ने की साजिश में शामिल होने पर उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है.