ITR Filing FY 2024-25: मरने के बाद भी ITR फाइल करना है जरूरी, जान लीजिए ये जरूरी बात
ITR Filing FY 2024-25: आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी गई है. अगर किसी व्यक्ति के आईटीआर भरने से पहले किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार वाले या उत्तराधिकारी को आईटीआर फाइल करना पड़ता है.;
ITR Filing: देश में सरकारी और या प्राइवेट सभी कंपनी के कर्मचारियों को इनकम टैक्स यानी ITR भरना जरूरी होता है. ऐसा न करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सरकार कार्रवाई करती है. आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 तक कर दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मरने के बाद भी आईटीआर भरना पड़ता है.
इनकम टैक्स भरना नागरिकों के लिए बहुत जरूरी है. सरकार की ओर से इस संबंध में लगातार नए-नए अपडेट जारी किए जा रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे किसी के निधन के बाद भी उससे टैक्स लिया जाता है.
मरने के बाद ITR फाइल
अगर किसी व्यक्ति के आईटीआर भरने से पहले किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार वाले या उत्तराधिकारी को आईटीआर फाइल करना पड़ता है. टैक्स को लेकर मृतक के घर पर आयकर विभाग नोटिस भेज देता है. विभाग इसे इनकम बिफोर डेथ के रूप में देखता है, इसलिए टैक्स भरने का नोटिस भेजता है.
क्या है प्रोसेस?
- उत्तराधिकारी की पहचान- मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र और रिश्ते का प्रमाण (जैसे आधार कार्ड, परिवार रजिस्टर, कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र) प्रस्तुत करें.
- इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें.
- Authorized Partners’ सेक्शन में जाकर Register as Representative Assessee विकल्प चुनें.
- Create New Request पर क्लिक करें और डिटेल भरें.
- मृतक का PAN, मृत्यु तिथि, और कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण अपलोड करें.
- OTP के माध्यम से सत्यापन करें.
- अगर रजिस्ट्रेशन स्वीकृत हो जाता है, तो आप मृतक की ओर से ITR दाखिल कर सकते हैं.
- ITR दाखिल करते समय मृतक के नाम के साथ 'Legal Heir' का उल्लेख करें.
- Aadhaar OTP, नेट बैंकिंग, या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से ITR को e-verify करें.
- मृतक के PAN कार्ड को ITR दाखिल करने के बाद सुपरैन्यूस करें.
लेट आएगा रिफंड?
ऐसा माना जा रहा है कि इस साल रिफंड की प्रोसेसिंग में काफी समय लगेगा, जिससे रिफंड के पैसों पर ज्यादा ब्याज मिल सके. इसके पीछे का कारण रिटर्न फाइलिंग के लिए टैक्सपेयर कौन सा फॉर्म भरते हैं, उस पर निर्भर करेगा. ITR-2 और ITR-3 में रिफंड प्रोसेस में टाइम लगता है. वहीं ITR-1 और ITR-4 जल्दी प्रोसेस हो जाता है.