आरजी कर केस के दोषी संजय रॉय को मिली सजा से सीएम ममता बनर्जी को है आपत्ति, कर दी ये मांग

पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर से रेप और मर्डर के फैसले पर सीएम ममता बनर्जी ने कहा, मैं संतुष्ट नहीं हूं. हम पहले दिन से ही हम मृत्युदंड की मांग कर रहे हैं. मामला हमसे छीन लिया गया और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जांच की, ऐसे अपराध को अंजाम देने वाले व्यक्ति को सख्त सजा मिलनी चाहिए.;

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Edited By :  कुसुम शर्मा
Updated On : 20 Jan 2025 7:26 PM IST

कोलकाता रेप-मर्डर केस का आज फैसला सुनाया गया. जहां कोलकाता में डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इसके बाद ममता बनर्जी ने कहा कि हम पहले दिन से ही मौत की सजा की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही सीएम ने कहा कि इस फैसले से मैं संतुष्ट नहीं हूं.

यह सजा अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने रॉय को 9 अगस्त के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के दो दिन बाद सुनाई गई है. इसके विरोध में पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. मुर्शिदाबाद में सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि पहले दिन से ही हम मृत्युदंड की मांग कर रहे हैं. मामला हमसे छीन लिया गया और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जांच की, ऐसे अपराध को अंजाम देने वाले व्यक्ति को सख्त सजा मिलनी चाहिए.

मौत की जगह हुई उम्रकैद की सजा

सेशन कोर्ट ने सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि, ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं है, इसलिए दोषी को मौत की सजा नहीं सुनाई गई है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके साथ ही ट्रेनी डॉक्टर के परिवार को 10 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने 18 जनवरी 2025 को संजय रॉय को मामले में सबूत के आधार पर दोषी करार दिया था. आदेश सुनाए जाने के समय कोर्ट ने संजय रॉय से कहा कि वह इस मामले में दोषी है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उसके लिए मौत की सजा मांगी थी.

क्या था पूरा मामला?

बता दें, पिछले साल 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर का शव मिला था, जिसके बाद डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी. मामले के जवाब में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 पारित किया, जिसमें बलात्कार और यौन शोषण के लिए मृत्युदंड जैसी कठोर सजा का प्रस्ताव है. पिछले सितंबर में विधानसभा में पारित यह विधेयक अभी राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है.

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