'मैं हनुमान, मोदी राम हैं', जयशंकर के एक बयान ने मचा दिया सियासी भूचाल; बोले- भारत की पहचान बदल चुके हैं पीएम मोदी

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और विज़न को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक हलचल मचा दी है. महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने खुद को भगवान हनुमान और प्रधानमंत्री मोदी को भगवान राम से जोड़ते हुए कहा कि वह सिर्फ प्रधानमंत्री की सोच और मिशन को आगे बढ़ाने का काम करते हैं.;

( Image Source:  ANI )

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और विज़न को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक हलचल मचा दी है. महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने खुद को भगवान हनुमान और प्रधानमंत्री मोदी को भगवान राम से जोड़ते हुए कहा कि वह सिर्फ प्रधानमंत्री की सोच और मिशन को आगे बढ़ाने का काम करते हैं.

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उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत की विदेश नीति, कूटनीति और वैश्विक पहचान के पीछे असली ताकत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विज़न, नेतृत्व और आत्मविश्वास है, जिसे वह और उनकी टीम ज़मीन पर लागू करते हैं.

'एक जयशंकर काफी हैं? सवाल पर क्या बोले विदेश मंत्री

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर से सवाल पूछा गया कि क्या भारत के लिए “एक जयशंकर” काफी हैं. इस पर उन्होंने सवाल को ही पलटते हुए जवाब दिया कि आपको असल में मुझसे यह पूछना चाहिए था कि ‘एक मोदी हैं.’ क्योंकि आखिरकार, कूटनीतिज्ञ… जैसे श्री हनुमान अंततः भगवान राम की सेवा करते हैं.”जयशंकर के इस जवाब को प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनके विश्वास और समर्पण के तौर पर देखा जा रहा है.

“देश नेताओं और विज़न से पहचाने जाते हैं”

प्रधानमंत्री मोदी की खुलकर तारीफ करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि “देश नेताओं से पहचाने जाते हैं, देश विज़न से पहचाने जाते हैं. कुछ लोग उस विज़न को अमल में लाते हैं, लेकिन असली फर्क नेतृत्व, आत्मविश्वास और सोच से पड़ता है.” जयशंकर ने कहा कि आज भारत की वैश्विक पहचान इसी मजबूत नेतृत्व और स्पष्ट सोच की वजह से बदली है.

2019 से विदेश मंत्री, पहले रहे हैं विदेश सचिव

गौरतलब है कि एस. जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं. इसके बाद 2019 में नरेंद्र मोदी के लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्हें देश का विदेश मंत्री बनाया गया. पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे जयशंकर ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को लेकर पुराने स्टीरियोटाइप अब पीछे छूट रहे हैं. आज भारत की पहचान उसकी प्रतिभा और कौशल से हो रही है.”

उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ते ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स, विदेशी बाजारों में भारतीय टैलेंट की मांग और व्यक्तिगत सफलताएं इस बदलाव का प्रमाण हैं. विदेश मंत्री ने “मेक इन इंडिया” को और तेज़ करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि 'मेक इन इंडिया के साथ-साथ डिज़ाइन इन इंडिया, रिसर्च इन इंडिया, इनोवेट इन इंडिया और डिलीवर फ्रॉम इंडिया पर भी ज़ोर देना होगा.'

उन्होंने कहा कि इसके लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, कुशल मानव संसाधन और सही नीतियों के साथ-साथ विज़न, नेतृत्व और क्रियान्वयन जरूरी है- जो आज भारत के पास है. इस दीक्षांत समारोह में 40 से अधिक देशों के छात्रों ने डिग्री हासिल की. जयशंकर ने सभी छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और भारत को वैश्विक अवसरों का केंद्र बताया.

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