मुर्गों की लड़ाई कैसे बना 2000 करोड़ का धंधा, सेलिब्रेटी तक ले रहे दिलचस्पी?

Cockfighting: डिजिटल स्क्रीन और करोड़ों रुपये के दांव के साथ मुर्गे की लड़ाई का बाजार अब 2000 करोड़ रुपये के पार जा चुका है. बैन के बाद ये खूनी खेल धड़ल्ले से चल रहा है. इसमें सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि सेलिब्रेटी तक की दिलचस्पी बढ़ी है.;

Cockfighting
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 13 Jan 2025 4:09 PM IST

Cockfighting: खेल जब तक मनोरंजन रहता है, तब तक उसमें लोगों की आम दिलचस्पी बनी रहती है. लेकिन जब इसे सट्टेबाजी के बाजार में उतारा जाता है, तब इसमें पैसे कमाने वालों की दिलचस्पी बढ़ जाती है और ये गलत रास्तों पर भी चलने लगता है.

एक समय था जब गांव-देहात के लोग मुर्गों को ही आपस में लड़वाया करते थे, इस दौरान मुर्गों के पैरों में कोई नुकीले हथियार भी लगाए जाते थे. तब भी इसमें पैसे लगाए जाते थे, लेकिन फिर जमाना बदला और ये गैरकानूनी 'बिजनेस' बन गया और वो है सट्टेबाजी का बाजार.

साउथ में है Kodi Pendam का क्रेज

साउथ में इसे Kodi Pendam के नाम से भी जाना जाता है. इसे खास तौर पर मकर सक्रांति पर आयोजित किया जाता था, जो अब साल भर चलता है. सट्टेबाज आज AC कमरों में बैठकर टीवी पर इसका लुत्फ उठाते हैं.

इसका क्रेज ऐसा चढ़ा कि लोग जमकर इसमें पैसे लगाने लगे और ये हजारों करोड़ो रुपये का बिजनेस बन गया. इसमें पैसे लगाने के लिए फिल्म स्टार से लेकर आईटी प्रोफेशनल तक दिलचस्पी ले रहे हैं.

इस खूनी खेल की पूरी कहानी

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने पशुओं पर हो रहे क्रुरता को रोकने के लिए इस पर बैन लगाया. दोनों ही राज्यों में इसे लेकर आज से ही 3 दिन का उत्सव शुरू हो चुका है, जिसे देखने के लिए बाहर के राज्यों से लोग भी आते हैं. आप इसे ऐसे देख लीजिए कि जैसे आप WWE का मैच देखते हैं, ठीक वैसे ही मुर्गों की लड़ाई कराई जाती है, जो WWE से खतरनाक खूनी खेल है.

2000 करोड़ का बन गया सट्टेबाजी का बाजार

मुर्गों के इस फाइट को लेकर सट्टा बाजार पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुका है. इसे सोशल मीडिया और मोबाइल एप पर लाइव स्ट्रीम की जाती है, जहां लोग इस पर सट्टा लगाते हैं. यहां हर फाइट के लिए 10 से 15 लाख रुपये लगाए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अनुमान में कहा गया कि इस सट्टेबाजी का बाजार 2000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुका है.

क्रिप्टोकरेंसी के जरिए सट्टेबाजी

इसके बाजार का काला सच ये है कि इसमें क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भी सट्टेबाजी की जाती है. रिपोर्ट्स में तो ऐसी खबरें भी सामने आई है कि सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के जरिए गोदावरी जिले से 150 से 200 करोड़ रुपये का सट्टा लगाया गया, जो कि कानून के लिए भी एक बड़ा चैलेंज है. इस फाइट पर बैन लगाने के लिए 2018 में सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देना पड़ा था. 

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