सेंसेटिव इलाकों में काम करने की एक्सपर्ट, सख्त अफसर की पहचान; कौन हैं गुजरात की पहली मुस्लिम महिला IPS सारा रिजवी?
गुजरात की पहली मुस्लिम महिला IPS अधिकारी सारा रिजवी का पुलिस अफसर के रूप में गुजरात से लेकर जम्मू कश्मीर तक अहम भूमिका निभा चुकी हैं. वह गुजरात कैडर की आईपीएस हैं. एक बार फिर उन्हें जम्मू-कश्मीर में DIG के रूप में दो साल का एक्सटेंशन मिला है. जानें उनके बारे में सब कुछ.;
गुजरात की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस सारा रिजवी इन दिनों सुर्खियों में हैं. उन्होंने न सिर्फ गुजरात में पहली मुस्लिम महिला IPS अधिकारी के रूप में इतिहास रचा बल्कि जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में DIG के रूप में अपनी सेवाएं देकर देश की सुरक्षा और प्रशासन में अहम भूमिका निभाई है. हाल ही में सरकार ने उनके AGMUT (J&K) कैडर प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल दो वर्षों के लिए बढ़ा दिया है, जिससे वे और अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर पुलिस मुख्यालय में सेवाएं देंगी.
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कौर हैं सारा रिजवी?
सारा रिजवी का जन्म मुंबई में एक शिक्षित परिवार में हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक वाणिज्य में हुई और वे शुरुआत में चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहती थीं. लेकिन एक प्रेरणादायक व्याख्यान ने उनकी सोच बदल दी और उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया.
पुलिस सेवा की शुरुआत
सारा रिजवी IPS 2008 बैच की अधिकारी हैं और उनका मूल कैडर गुजरात है. उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा तीन प्रयासों में पास की. उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के जामनगर जिले में हुई, जहां उन्होंने प्रोबेशनर IPS के रूप में सेवाएं दीं. इसके बाद उन्हें गोंडल, राजकोट में ASP (सहायक पुलिस अधीक्षक) के रूप में जिम्मेदारी मिली. उन्होंने गुजरात में पुलिस प्रशासन, कानून एवं व्यवस्था और स्थानीय सुरक्षा मामलों में अहम योगदान दिया.
जम्मू-कश्मीर में नियुक्ति
सारा रिजवी को बाद में इंटर-स्टेट कैडर प्रतिनियुक्ति (AGMUT) जिसमें जम्मू और कश्मीर भी शामिल है) पर भेजा गया. वहां वे डीआईजी (Deputy Inspector General of Police) के पद पर तैनात हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस मुख्यालय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जहां उनकी कार्यकाल प्रतिनियुक्ति को केंद्र सरकार ने दो साल के लिए आगे बढ़ा दिया है.
संवेदनशील क्षेत्र में काम का मनवाया लोहा
जम्मू-कश्मीर में सारा रिजवी ने न केवल डीआईजी के रूप में प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभाली हैं, बल्कि जमीनी सुरक्षा, पुलिस संगठन और शासन-व्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान दिया है. उनकी सेवाएं संवेदनशील क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.
सारा रिजवी की कहानी न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है बल्कि मुस्लिम समुदाय सहित सभी समाजों के लिए प्रेरणास्रोत है. खासकर उन युवाओं के लिए जो पुलिस या सिविल सेवाओं में करियर बनाना चाहते हैं.
सारा के नाम दर्ज है ये उपलब्धि
आईपीएस सारा रिजवी के नाम अनूठा रिकॉर्ड दर्ज है. वह गुजरात की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस हैं. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए उर्दू माध्यम का इस्तेमाल किया और उन्हें MESCO (Modern Educational Social & Cultural Organisation) का सहयोग मिला था. सारा रिजवी ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई मुंबई से की थी. वह कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. सारा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहती थीं लेकिन एक लेक्चर ने उनकी जिंदगी की राह बदल दी. वह डॉ. के एम आरिफ के लेक्चर से इजनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया. वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर में तैनात सारा है. उधमपुर-रियासी की डीआईजी रह चुकी हैं. इसके अलावा वह डीआईजी जम्मू और डीआईजी जम्मू ऑर्म्ड का अतिरिक्त कार्यभार संभाल चुकी हैं.