क्या है DPDP Rule 2025? कैसे बदलेगा डेटा प्राइवेसी का खेल, किसे मिलेगा फायदा

डीपीडीपी नियम भारतीय नागरिकों को उनके डिजिटल फुटप्रिंट पर नियंत्रण का पहले से ज्यादा अधिकार देगा. अब कंपनियां आपके डेटा का उपयोग कैसे करेंगी, इसके बारे में आपको पूरी जानकारी दी जाएगी. बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों के डाटा यूज के लिए माता-पिता की सहमति लेना जरूरी कर दिया गया है.;

( Image Source:  Mukesh @mkyindian )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 15 Nov 2025 6:07 PM IST

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) नियम 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है. इसके साथ ही अब DPDP 2023 एक्ट पूरी तरह से लागू हो गया है. अब डाटा सर्विस और उसके कंट्रोल से जुड़ी कंपनियां यूजर्स को उसके डाटा की पूरी जानकारी देंगे. साथ ही, इन नियमों से यूजर्स को यह भी पता चलेगा कि कंपनियां उनके डेटा का उपयोग कैसे करेंगी. जानें क्या हैं डीपीडीपी एक्ट और इससे नागरिकों के हितों का संरक्षण कैसे होगा? 

संसद से कब पास हुआ था एक्ट?

11 अगस्त, 2023 को संसद में DPDP ( Digital Personal Data Protection Act 2023 ) पास हुआ था. यह बताता है कि भारत में लोगों का डिजिटल डाटा कैसे सुरक्षित और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए. अब सरकार नए DPDP 2025 नियमों को चरणबद्ध तरीके से रोल आउट करेगी. इसके लिए सरकार ने एक रूपरेखा तैयार की है.

क्या हैं DPDP Rule 2025?

DPDP Rule 2025, भारत सरकार द्वारा लाया गया डेटा सुरक्षा तंत्र है, जो Digital Personal Data Protection Act, 2023 को प्रभावी बनाने के लिए बनाए गए नियम हैं. इसका लक्ष्य पर्सनल डेटा को सुरक्षित रखना, डेटा के इस्तेमाल पर पारदर्शिता, कंपनियों की जिम्मेदारी तय करना और यूजर्स की प्राइवेसी की रक्षा करना है.

डीपीडीपी का मकसद

डीपीडीपी का उद्देश्य नागरिकों को उनके डेटा पर अधिक कंट्रोल देना और डिजिटल स्पेस में उनकी प्राइवेसी की सुरक्षित करना है. आइए, इन नियमों के बारे में डिटेल में जानते हैं.

डेटा प्रिंसिपल और डेटा फिड्यूशियरी का क्या है?

DPDP नियम 2025, डेटा प्रिंसिपल और डेटा फिड्यूशियरी की अहमियत को बताता है. डेटा प्रिंसिपल उस व्यक्ति को कहा जाता है, जिसका डेटा इकट्ठा होता है. वहीं, डेटा फिड्यूशियरी कोई भी कंपनी, संगठन या व्यक्ति होता है, जो व्यक्तिगत डेटा को इकट्ठा और संसाधित करता है और उसके यूज का निर्णय लेता है.

यूजर्स का क्या होगा फायदा?

नए नियम के तहत यूजर्स को अपने डेटा पर ज्यादा कंट्रोल करने का अधिकार मिलेगा. नए नियमों के तहत यूजर्स का पर्सनल डेटा सेव करने वाली सोशल मीडिया, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सभी कंपनियां को बताना होगा कि वे यूजर्स का कौन-कौन सा डेटा सेव कर रही हैं और वह उनका कैसे इस्तेमाल करेंगी. नए नियम लागू होने से भारतीय यूजर्स को अपने डेटा पर ज्यादा कंट्रोल मिलेगा और उनकी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी.

डाटा कंपनियों को करने होंगे ये काम

नियमों के अनुसार डेटा को इकट्ठा और संसाधित करने वाली कंपनियों को डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे. इसमें व्यक्तिगत डेटा का एन्क्रिप्शन, मास्किंग या टोकनाइजेशन शामिल हैं.

यूजर्स को तुरंत देनी होगी चेतावनी

किसी प्रकार के उल्लंघन की स्थिति में डेटा फिड्यूशियरी को प्रभावित हुए यूजर्स को तुरंत सूचित करना होगा कि क्या हुआ, संभावित जोखिम क्या हैं, क्या कदम उठाए गए हैं और किससे संपर्क करना है. उन्हें 72 घंटे के भीतर डेटा संरक्षण बोर्ड को भी सूचित करना होगा.

अभिभावक की इजाजत जरूरी

बच्चों के डेटा हासिल करने के लिए उसके माता-पिता की परमिशन होना जरूरी है. नए DPDP 2025 नियमों के अनुसार, डेटा फिड्यूशियरी को किसी भी बच्चे के डेटा को इकट्ठा करने या संसाधित करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके लिए उनके माता-पिता की परमिशन हो.

बच्चों के डेटा के मामले में संस्था के लिए उसके माता पिता से सहमति लेना जरूरी होगा. इसके लिए वेरिफाइड वर्चुअल टोकन का उपयोग करना होगा. नए नियम से अब कंपनियां माता-पिता की पहचान और उम्र को कन्फर्म किए बिना बच्चे के डेटा को यूज नहीं कर सकतीं.

सभी प्रावधान एक साथ नहीं होंगे लागू

DPDP 2025 नियमों को जारी तो कर दिया है, लेकिन सभी प्रावधान अभी से प्रभावी नहीं होंगे. आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, अधिनियम की धारा 1 के उप-धारा (2), धारा 2, धारा 18 से 26, धारा 35, 38, 39, 40, 41, 42, 43, और धारा 44 की उप-धारा (1) और (3) तुरंत लागू हो गई हैं. वहीं, धारा 6 की उप-धारा (9) और धारा 27 की उप-धारा (1) का खंड (d) एक साल बाद लागू होंगे. धारा 3 से 5, धारा 6 की उप-धारा (1) से (8) और (10), धारा 7 से 10, धारा 11 से 17, धारा 27 (धारा 27 की उप-धारा (1) के खंड (d) को छोड़कर), धारा 28 से 34, 36, 37 और धारा 44 की उप-धारा (2) 18 महीने बाद लागू होंगे.

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