Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में खूनी होली, पाकिस्तानी आर्मी-चीफ की अनसुनी ‘चीख’ का नतीजा तो नहीं है! Inside Story
‘स्टेट मिरर हिंदी’ के पाठकों को पहलगाम में मंगलवार को हिंदुओं के साथ खेली गई खूनी होली की जड़ तक पहुंचाने के लिए, 16 अप्रैल 2025 की ओर ले जाना जरूरी है. क्योंकि 16 अप्रैल को पाकिस्तानी फौज के मुखिया आसिम मुनीर (Pakistan Army Chief Asim Munir) यानी पहलगाम के खूनी हमले से ठीक 155 घंटे पहले चीख-पुकार मचाई थी.;
मंगलवार दोपहर के वक्त कश्मीर घाटी के पहलगाम स्थित वहां का मिनी स्विटजरलैंड कही जाने वाली “बैसारन घाटी” खून से रंग डाली गई. दो विदेशियों सहित 26 लोग जिनकी कौम गैर-हिंदू थी, पता चलते ही आतंकवादियों ने गोलियों से भून डाले. 20 से ज्यादा बुरी तरह जख्मी हैं. सवाल यह पैदा होता है कि क्या इस सबके पीछे 150 घंटे पहले, पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर की डरा देने वाली ‘चीख’, भारत के लिए ‘आगाह’ या ‘खतरनाक इशारा’ थी? क्या उस खतरनाक ‘चीख’ के पीछे दबे असल मकसद-मर्म को समझने पाने में, भारत की खुफिया, मिलिट्री और जांच ऐजेंसियां गच्चा खा गईं?
‘स्टेट मिरर हिंदी’ के पाठकों को पहलगाम में मंगलवार को हिंदुओं के साथ खेली गई खूनी होली की जड़ तक पहुंचाने के लिए, 16 अप्रैल 2025 की ओर ले जाना जरूरी है. क्योंकि 16 अप्रैल को पाकिस्तानी फौज के मुखिया आसिम मुनीर (Pakistan Army Chief Asim Munir) यानी पहलगाम के खूनी हमले से ठीक 155 घंटे पहले चीख-पुकार मचाई थी. तब आसिम मुनीर इस्लामाबाद में आयोजित ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन-2025 में भारत के खिलाफ बौखलाहट में चीख-चिल्ला रहा था.
बौखलाए पाकिस्तान आर्मी चीफ की ‘चीख’
उस कन्वेंशन में पाकिस्तानी फौज का प्रमुख आसिम मुनीर बोला, “कश्मीर पर हमारा (पाकिस्तान) और सरकार का रुख एकदम साफ है. हम इसे नहीं भूलेंगे. हम भारत के कब्जे के खिलाफ संघर्ष करने वाले कश्मीरी भाइयों को अकेला नहीं छोड़ेंगे.” दरअसल पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर का वह बयान, हवा में नहीं था. भारतीय एजेंसियों ने इसे जाने-अनजाने शायद ‘हवा’ में ले लिया हो. और इसी लापरवाही का नतीजा रही हो मंगलवार को पहलगाम में खेली जा चुकी हिंदुओं के साथ खूनी-होली.
सतर्क हो जाना चाहिए था...
मीडिया से बातचीत में भारतीय फौज के रिटायर्ड कैप्टन अनिल गौर इससे जुड़े सवाल पर कहते हैं, ''मुनीर के बयान के बाद हमारी एजेंसियों को सतर्क हो जाना चाहिए था. सतर्क नहीं हुईं उसी का नतीजा है मुनीर के बयान के ठीक 144-145 घंटे बाद पहलगाम में मंगलवार को बेबस-बेसकूर हिंदुओं के साथ खेल डाली गई खूनी होली. मैं यह भी नहीं कह रहा हूं कि हमारी खुफिया एजेंसियां पूरी तरह से सोती ही रह गई होंगी. नहीं, उन्होंने जो कोशिशें की बस वे सही समय पर सही जगह पर अमल में शायद किन्हीं कारणों से नहीं लाई जा सकीं.''
वक्त रहते ‘चीख’ सुनकर उस पर अमल जरूरी था
रिटायर्ड कैप्टन अनिल गौर आगे कहते हैं, ''पहलगाम में मंगलवार को हुए लोमहर्षक खूनी कांड में, पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर की चीख का असर दुनिया को साफ साफ दिखाई दे रहा है. बस हमें वक्त रहते गंभीरता से उस ‘चीख’ का मतलब समझना बेहद जरूरी था. मुनीर के बयान से साफ जाहिर था कि, कश्मीर में रहने वाले उनके (पाकिस्तान) लोग हैं.