चाय बेचते पीएम मोदी का AI Video कांग्रेस ने किया शेयर, मचा बवाल; बीजेपी ने कहा- शर्मनाक
कांग्रेस नेता रागिनी नायक द्वारा साझा किया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का AI-जनित "चायवाला" वीडियो बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया है. भाजपा ने इसे प्रधानमंत्री के पद और उनकी पृष्ठभूमि का अपमान बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे व्यंग्य और राजनीतिक आलोचना करार दिया. विंटर सेशन के बीच यह मामला संसद में हंगामा बढ़ा सकता है. एआई डीपफेक, डिजिटल राजनीति और राजनीतिक व्यंग्य के दुरुपयोग को लेकर भी नई बहस छिड़ गई है.;
भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया की लड़ाई अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है. एआई तकनीक का दुरुपयोग, व्यंग्य और डिजिटल ट्रोलिंग के मेल ने एक बार फिर माहौल गर्म कर दिया है. कांग्रेस की वरिष्ठ प्रवक्ता रागिनी नायक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "चायवाला" दिखाते हुए एक AI-जनित वीडियो शेयर करना सीधे-सीधे चुनावी राजनीतिक संदेश से कहीं अधिक प्रभाव और विवाद पैदा कर गया है. यह वीडियो भले ही व्यंग्यात्मक शैली में बनाया गया हो, लेकिन सत्तारूढ़ दल के लिए यह एक गंभीर राजनीतिक हमला माना जा रहा है.
विंटर सेशन के बीच वायरल हुआ यह वीडियो संसद से लेकर सोशल मीडिया तक तापमान बढ़ाने वाला बन गया है. भाजपा इसे "राष्ट्रीय संस्था के सम्मान और प्रधानमंत्री के पद का अपमान" बता रही है, जबकि कांग्रेस इस वीडियो को व्यंग्यात्मक और "राजनीतिक आलोचना की अभिव्यक्ति" करार दे रही है. लेकिन एआई युग का यह नया विवाद एक और सवाल भी उठाता है. क्या डिजिटल राजनीति अब पूरी तरह एआई युद्ध का मैदान बनने वाली है?
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एक वीडियो जिसने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी
बीती रात कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने एक AI-generated वीडियो शेयर किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक अंतरराष्ट्रीय इवेंट में केतली और गिलास लेकर चाय बेचते हुए दिखाया गया. वीडियो देखने में भले ही मज़ाकिया लगे, लेकिन इसका राजनीतिक असर कहीं ज्यादा गहरा हुआ.
यह सिर्फ शर्मनाक नहीं, बल्कि सोच का दिवालियापन है: भाजपा
वीडियो के कुछ ही मिनटों में भाजपा नेताओं ने इसे "घटिया राजनीति" और "प्रधानमंत्री का अपमान" बताया. कई नेताओं ने कहा कि कांग्रेस प्रधानमंत्री के परिवार की पृष्ठभूमि, उनके बचपन या गरीबी पर मज़ाक बना रही है.
एआई का नया खतरा
इस विवाद ने एक बड़े मुद्दे को फिर सामने ला दिया है. एआई जनरेटेड वीडियो का दुरुपयोग. टेक विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 और 2029 के चुनावों में ऐसे वीडियो राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल हो सकते हैं.
संसद के विंटर सेशन पर पड़ने वाला असर
उम्मीद की जा रही है कि यह मुद्दा मंगलवार को संसद में जोरदार टकराव पैदा करेगा. भाजपा इस पर औपचारिक आपत्ति दर्ज करा सकती है, जबकि कांग्रेस इसे "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" का मामला बताएगी.
गरीब-पृष्ठभूमि बनाम एलीट क्लब
विश्लेषकों का कहना है कि इस वीडियो के सियासी मायने भी हैं. मोदी का “चायवाला” नैरेटिव भाजपा की राजनीति का अहम हिस्सा रहा है. वीडियो को उसी पर्सेप्शन को निशाना बनाकर व्यंग्यात्मक ढंग से बनाया गया है.
जनता में मिला-जुला रिएक्शन
एआई वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर दो धड़े बन गए हैं. एक वर्ग इसे “जोक” बता रहा है, जबकि दूसरा इसे “प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत अपमान” मान कर नाराज़ है. ट्विटर पर तकरार रातभर जारी रही. विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भविष्य के और बड़े डिजिटल हमलों की शुरुआत भर हो सकता है. एआई अब राजनीति का सबसे खतरनाक हथियार बनता जा रहा है. जहां सच्चाई और फेक के बीच फर्क करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है.