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भारत-रूस भाई-भाई! हम दोनों के बीच नहीं चलेगा किसी तीसरे देश का दखल, क्रेमलिन ने कहा- इंडिया पर बढ़ रहा वैश्विक दबाव

रूस ने भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को लेकर बड़ा बयान दिया है. क्रेमलिन ने कहा कि भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है, खासकर तेल व्यापार और अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर. पुतिन की भारत यात्रा से पहले रूस ने साफ कर दिया कि वह भारत के साथ व्यापार, रक्षा और ऊर्जा सहयोग को किसी कीमत पर रुकने नहीं देगा. S-400, Su-57 फाइटर जेट, नई भुगतान प्रणाली और न्यूक्लियर समझौते जैसे मुद्दे बैठक में प्रमुख रहेंगे.

भारत-रूस भाई-भाई! हम दोनों के बीच नहीं चलेगा किसी तीसरे देश का दखल, क्रेमलिन ने कहा- इंडिया पर बढ़ रहा वैश्विक दबाव
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 3 Dec 2025 9:49 AM

भारत और रूस के बीच रणनीतिक रिश्तों का इतिहास पुराना है, लेकिन मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यह साझेदारी एक नए मोड़ पर खड़ी है. तेल व्यापार से लेकर रक्षा सौदों तक, ऊर्जा सहयोग से लेकर भुगतान प्रणाली तक दुनिया के दबाव के बीच मॉस्को साफ कर चुका है कि भारत आज उनकी विदेश नीति की सबसे महत्वपूर्ण धुरी है. इसी कूटनीतिक पृष्ठभूमि में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा (4-5 दिसंबर) वैश्विक भू-राजनीति के लिए बेहद अहम मानी जा रही है.

क्रेमलिन का ताज़ा बयान, जिसमें खुलकर कहा गया कि “भारत पर दबाव है और हमें अपने रिश्तों को बाहरी दखल से बचाना होगा”, यह संकेत देता है कि रूस आने वाले वर्षों में भारत के साथ अपने आर्थिक और सामरिक रिश्तों को और मज़बूत करने के मूड में है. भारत–अमेरिका तनाव, यूक्रेन युद्ध, चीन–रूस मित्रता और एशिया की बदलती जियो-पॉलिटिक्स इन सबके बीच भारत का बढ़ता महत्व इंटरनेशनल पावर-बैलेंस में नई कहानी लिख रहा है.

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दबाव पर रूस की चिंता

रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने साफ कहा कि भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. खासकर अमेरिकी टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर लगी आलोचनाओं के कारण. मॉस्को का कहना है कि दोनों देशों को मिलकर ऐसी साझेदारी का ढांचा बनाना चाहिए जो “किसी भी तीसरे देश की दखलंदाजी से मुक्त” हो.

हम व्यापार को किसी कीमत पर नहीं रुकने देंगे

यूएस द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की चर्चा पर पेस्कोव का जवाब सख्त था. उन्होंने कहा कि रूस की प्राथमिकता सिर्फ भारत के साथ व्यापार को बढ़ाना है और कोई बाहरी शक्ति इसे रोक नहीं सकती. रूस ने इसे “अंतरराष्ट्रीय दबाव का हिस्सा” बताते हुए कहा कि मॉस्को नई दिल्ली के साथ अपने आर्थिक रिश्ते को ज़बरदस्त तरीके से विस्तार देना चाहता है.

रूस ने कहा- सिस्टम बहुत ‘लचीला’

भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद में उतार-चढ़ाव पर पेस्कोव ने कहा कि यह पूरी तरह बाज़ार के दबाव के अनुसार बदलता है. कुछ कंपनियां खरीद घटाती हैं, कुछ बढ़ा देती हैं. रूस का कहना है कि वह किसी भी स्थिति में भारत को तेल बेचने का अधिकार सुनिश्चित करेगा और भारत के खरीदने के अधिकार की रक्षा करेगा.

नई भुगतान प्रणाली पर भारत

डॉलर आधारित SWIFT सिस्टम पर निर्भरता कम करने के लिए भारत और रूस “वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था” पर गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. पेस्कोव ने स्वीकार किया कि यह सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, लेकिन भविष्य में ऐसी प्रणाली विकसित होगी जो भू-राजनीतिक दबाव में कभी न टूटे.

प्रतिबंधों को बताया ‘ग़ैरकानूनी’

रूस ने पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को “अवैध” करार दिया. पेस्कोव ने कहा कि केवल UN सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकृत प्रतिबंध वैध माने जाते हैं. रूस का दावा है कि उनके पास इतने वर्षों में खुद की तकनीक और क्षमता विकसित हो चुकी है कि प्रतिबंधों का कोई बड़ा असर नहीं पड़ता.

S-400 और Sukhoi-57 पर भारत–रूस बातचीत पक्की

रूस ने पहली बार खुलकर कहा है कि भारत को S-400 की सप्लाई और अत्याधुनिक Sukhoi-57 फाइटर जेट पर चर्चा पुतिन की यात्रा में प्रमुख मुद्दा होगी. पेस्कोव ने Su-57 को “दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विमान” बताया और कहा कि रूस भारत को रक्षा क्षेत्र में हर वह तकनीक देने को तैयार है जिसकी जरूरत है.

दो नए बड़े समझौते

रूस छोटी परमाणु रिएक्टर तकनीक (SMRs) भारत को ऑफर करेगा जो भविष्य की ऊर्जा कूटनीति में गेमचेंजर माना जा रहा है. साथ ही भारत–रूस लेबर मोबिलिटी एग्रीमेंट पर भी बातचीत आगे बढ़ रही है, जिससे हज़ारों भारतीयों को रूस में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं.

यूक्रेन युद्ध पर मोदी के रुख की तारीफ

पेस्कोव ने यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री मोदी के रुख को “ज़िम्मेदार और संतुलित” बताया. उन्होंने कहा कि भारत यूरोप की तरह ‘एकतरफा आरोप’ नहीं लगाता बल्कि रूस की बात सुनता है और समझने की कोशिश करता है. यह मॉस्को के लिए बहुत मायने रखता है.

चीन–भारत बुद्धिमान देश हैं: रूस

रूस ने साफ कहा कि वह चीन को “प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनर” मानता है लेकिन भारत के साथ उसके रिश्ते भी उतने ही मज़बूत हैं. पेस्कोव का संदेश था कि रूस दोनों देशों से बराबर दूरी और समान भरोसे का रिश्ता बनाए रखेगा.

व्लादिमीर पुतिननरेंद्र मोदीवर्ल्‍ड न्‍यूज
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