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रूस का ‘Poseidon’ सुपरवेपन: समंदर की गहराइयों में मौत की गूंज, Doomsday Weapon दुनिया के लिए नया परमाणु खतरा

रूस ने अपने परमाणु-संचालित अंडरवाटर ड्रोन ‘Poseidon’ का सफल परीक्षण किया है, जिसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने “डूम्सडे मशीन” बताया. यह सुपरवेपन समुद्र की गहराइयों में रहकर दुश्मन तटीय क्षेत्रों पर रेडियोएक्टिव सुनामी जैसी तबाही मचा सकता है. Poseidon की शक्ति रूस की Sarmat मिसाइल से भी अधिक बताई जा रही है. यह परीक्षण यूक्रेन युद्ध और अमेरिका से तनाव के बीच हुआ, जिससे नई परमाणु हथियार दौड़ की आशंका बढ़ गई है.

रूस का ‘Poseidon’ सुपरवेपन: समंदर की गहराइयों में मौत की गूंज, Doomsday Weapon दुनिया के लिए नया परमाणु खतरा
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( Image Source:  X/@Currentreport1 )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 30 Oct 2025 8:51 AM IST

रूस ने दुनिया को एक बार फिर अपनी परमाणु ताकत का अहसास करा दिया है. यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि रूस ने अपने नए परमाणु हथियार ‘Poseidon’ (पोसाइडन) का सफल परीक्षण कर लिया है. यह कोई साधारण हथियार नहीं है, बल्कि एक न्यूक्लियर-पावर्ड अंडरवाटर ड्रोन है जो पानी के नीचे रहकर दुश्मन पर कहर बरपा सकता है.

यह परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब रूस और अमेरिका के बीच संघर्ष विराम पर बातचीत ठप पड़ी हुई है. महज़ तीन दिन पहले रूस ने Burevestnik नामक परमाणु-संचालित मिसाइल का सफल परीक्षण किया था, और अब यह दूसरा परीक्षण रूस के सैन्य इरादों को और स्पष्ट करता है कि मॉस्को पीछे हटने के मूड में नहीं है.

क्या है Poseidon?

Poseidon को रूस में Status-6 और नाटो (NATO) में Kanyon नाम से जाना जाता है. यह एक न्यूक्लियर-पावर्ड, न्यूक्लियर-कैपेबल अंडरवाटर ड्रोन है, जिसे आप एक “सुपर टॉरपीडो” भी कह सकते हैं. यह हथियार बिना किसी मानवीय नियंत्रण के हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. Poseidon में लगा मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर इसे लगभग अनलिमिटेड रेंज देता है, यानी यह महीनों तक समुद्र की गहराइयों में गश्त कर सकता है और दुश्मन के तटीय इलाकों तक पहुंचकर हमला करने की क्षमता रखता है.

कैसे काम करता है यह ‘समुद्री दानव’?

Poseidon को विशेष रूप से तैयार की गई K-329 Belgorod जैसी विशाल पनडुब्बियों से लॉन्च किया जाता है. यह लॉन्च होते ही पानी के नीचे बेहद तेज गति से चलता है और अपने रास्ते में आने वाली किसी भी रक्षा प्रणाली से बच निकलता है. रूसी विश्लेषकों के अनुसार, Poseidon में लगाया जाने वाला परमाणु वारहेड इतना शक्तिशाली है कि यह समुद्र में रेडियोएक्टिव सुनामी (Radioactive Tsunami) पैदा कर सकता है. ऐसी सुनामी तटीय शहरों को पूरी तरह तबाह कर देगी और इलाके दशकों तक रहने लायक नहीं रहेंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी क्षमता 100 मेगाटन तक हो सकती है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए बम से हजारों गुना अधिक शक्तिशाली है.

पुतिन ने कहा - “दुनिया में ऐसा कोई हथियार नहीं”

राष्ट्रपति पुतिन ने घायल सैनिकों से बातचीत के दौरान कहा, “पहली बार हमने न केवल Poseidon को पनडुब्बी से सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, बल्कि उसका न्यूक्लियर पावर यूनिट भी सक्रिय किया गया, जो कुछ समय तक संचालन में रहा. दुनिया में ऐसा कोई हथियार नहीं है.” उन्होंने आगे कहा कि Poseidon की शक्ति रूस की सबसे आधुनिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल ‘Sarmat’ (Satan-II) से भी अधिक है. पुतिन ने कहा, “यह हमारी एक बड़ी उपलब्धि है. Poseidon की ताकत, हमारे सबसे शक्तिशाली Sarmat मिसाइल से भी कई गुना अधिक है.”

‘Burevestnik’ से लेकर ‘Poseidon’ तक - रूस की नई परमाणु रणनीति

रूस ने 2018 में पहली बार Poseidon और Burevestnik दोनों को प्रदर्शित किया था. उस वक्त पुतिन ने इन हथियारों को अमेरिका के 2001 में Anti-Ballistic Missile Treaty से हटने के जवाब में बताया था. Burevestnik एक न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल है, जो हवा में उड़ते हुए किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है. वहीं Poseidon समुद्र के नीचे से हमला करने वाला हथियार है - यानी रूस ने अब हवा और पानी दोनों दिशाओं से परमाणु हमला करने की क्षमता हासिल कर ली है. इस रणनीति को ‘Second Strike Capability’ कहा जाता है - यानी अगर रूस पर पहला हमला भी हो जाए, तो भी वह दुश्मन को पूरी तरह तबाह करने की ताकत रखता है.

क्यों डर रही है दुनिया?

Poseidon का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसे किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम से रोका नहीं जा सकता. यह हजारों मीटर की गहराई में चलता है, जिससे इसका पता लगाना लगभग असंभव है. अगर यह किसी बंदरगाह या शहर के पास विस्फोट करता है, तो इससे उठने वाली विकिरणयुक्त लहरें किलोमीटरों तक विनाश मचा सकती हैं. अमेरिकी रक्षा विश्लेषक मानते हैं कि यह “Doomsday Weapon” (प्रलय का हथियार) दुनिया में शक्ति संतुलन को बदल सकता है. यह सिर्फ युद्ध का हथियार नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव का साधन भी है - ताकि रूस के खिलाफ किसी भी आक्रमण से पहले दुश्मन दस बार सोचें.

परमाणु राजनीति की नई चुनौती

रूस का यह कदम केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत भी देता है. पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और NATO, पर दबाव डालने के लिए पुतिन लगातार अपनी परमाणु क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं. यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस पहले ही हाइपरसोनिक मिसाइल ‘Kinzhal’ और अब यह Poseidon जैसे हथियार दिखा चुका है. विश्लेषक मानते हैं कि रूस का लक्ष्य यह दिखाना है कि अगर पश्चिम ने और दबाव डाला, तो रूस के पास “हर स्तर पर जवाब देने की क्षमता” है - चाहे वह आकाश में हो, जमीन पर या समुद्र की गहराइयों में.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका और नाटो ने फिलहाल इस परीक्षण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों ने इसे वैश्विक रणनीतिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बताया है. पूर्व अमेरिकी अधिकारी टॉम निकोल्स ने कहा, “Poseidon किसी देश पर हमला करने के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को डराने के लिए बनाया गया है. यह हथियार शीत युद्ध के दौर की याद दिलाता है.” ब्रिटेन और फ्रांस ने भी हाल के महीनों में रूस की बढ़ती परमाणु गतिविधियों पर चिंता जताई है, जबकि चीन ने अब तक इस पर चुप्पी साध रखी है.

भविष्य की ओर एक खतरनाक कदम

Poseidon के सफल परीक्षण से रूस ने यह संदेश दे दिया है कि वह ‘नई हथियार दौड़’ (New Arms Race) शुरू करने से पीछे नहीं हटेगा. जहां अमेरिका अपने AUKUS और NATO गठजोड़ के जरिए रूस को रोकने की कोशिश कर रहा है, वहीं रूस अब समुद्र से जवाब देने के लिए तैयार है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आने वाले वर्षों में यह हथियार पूरी तरह सक्रिय हो गया, तो यह दुनिया के लिए एक नई ‘Cold War 2.0’ की शुरुआत साबित हो सकता है.

Poseidon केवल रूस की सैन्य तकनीक की जीत नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है. एक ऐसा हथियार जो समुद्र की गहराइयों में छिपकर शहरों को मिटा सकता है - यह विचार ही भयावह है. रूस के लिए यह ‘टेक्निकल ब्रेकथ्रू’ हो सकता है, लेकिन दुनिया के लिए यह “प्रलय के नए युग” की शुरुआत है - जहां युद्ध का मैदान अब न ज़मीन है, न आसमान, बल्कि समंदर की अंधेरी गहराइयां.

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