सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल के Order पर 10वीं के छात्र ने 7वीं के छात्र की बेरहमी से की पिटाई, लगा ये आरोप

हैदराबाद के एक सरकारी स्कूल से सामने आई घटना ने शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर दिया है. आरोप है कि स्कूल के प्रिंसिपल के आदेश पर 10वीं कक्षा के छात्रों ने 7वीं के छात्र की बेरहमी से पिटाई की. मामूली साइकिल विवाद के बाद बिना किसी जांच के छात्र को सजा दी गई. पिटाई से घायल छात्र को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पिता की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. बाल अधिकार संगठनों ने इसे RTE कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है.;

( Image Source:  Sora_ AI )

हैदराबाद के कोम्पल्ली स्थित एक सरकारी हाई स्कूल से सामने आई घटना ने पूरे शिक्षा तंत्र को झकझोर कर रख दिया है. आरोप है कि स्कूल के प्रिंसिपल के सीधे आदेश पर 7वीं कक्षा के एक छात्र को 10वीं कक्षा के सीनियर छात्रों से बेरहमी से पिटवाया गया. यह मामला न सिर्फ बाल अधिकारों के उल्लंघन का है, बल्कि इसे राज्य-प्रायोजित शारीरिक दंड का गंभीर उदाहरण बताया जा रहा है.

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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी प्रिंसिपल कृष्णा सिर्फ स्कूल के हेडमास्टर ही नहीं, बल्कि दुंडीगल मंडल के प्रभारी मंडल शिक्षा अधिकारी (MEO) भी हैं, यानी वही अधिकारी जिन पर छात्रों के अधिकारों और सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है.

साइकिल स्टैंड की मामूली बात से शुरू हुआ मामला

यह पूरा मामला स्कूल के साइकिल स्टैंड से जुड़ी एक छोटी-सी घटना से शुरू हुआ. आरोप है कि साइकिल के कुछ पार्ट्स चोरी होने और टायरों की हवा निकालने को लेकर स्कूल में विवाद हुआ था. सोमवार को एक शिक्षक मधु ने 7वीं कक्षा के छात्र फणिंद्र सूर्य को साइकिल स्टैंड पर जाकर स्थिति देखने के लिए भेजा. इसी दौरान दूसरे शिक्षक चारी ने सूर्य को वहां देखा और बिना किसी ठोस जांच के यह मान लिया कि वही साइकिलों से छेड़छाड़ कर रहा है.

बिना जांच हेडमास्टर के ऑफिस पहुंचाया गया छात्र

शिक्षक चारी ने छात्र को पकड़कर सीधे हेडमास्टर के कार्यालय ले जाया. आरोप है कि वहां छात्र से कोई निष्पक्ष पूछताछ नहीं की गई, बल्कि उसे दोषी मान लिया गया. परिजनों और शिकायत के मुताबिक, हेडमास्टर कृष्णा ने कथित तौर पर 10वीं कक्षा के नौ छात्रों को बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि वे फणिंद्र सूर्य को सजा के तौर पर डंडे से पीठ पर मारें. बताया जा रहा है कि छात्र को कई बार पीटा गया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं.

घर पहुंचते ही दर्द से तड़पता रहा छात्र

पिटाई के बाद फणिंद्र किसी तरह घर पहुंचा और अपने माता-पिता को पूरी आपबीती सुनाई. उसके पिता शिवा रामकृष्णा ने जब बेटे के शरीर पर चोट के निशान देखे, तो तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया. फिलहाल फणिंद्र सूर्य का इलाज चल रहा है और डॉक्टर उसकी चोटों पर नजर बनाए हुए हैं.

पुलिस में केस दर्ज, प्रिंसिपल और शिक्षक जांच के घेरे में

पीड़ित छात्र के पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस अब इस पूरे घटनाक्रम में प्रिंसिपल कृष्णा के साथ-साथ शिक्षक मधु और चारी की भूमिका की भी जांच कर रही है. बशीरबाग पुलिस के इंस्पेक्टर के. विजय वर्धन ने बताया कि मामले में Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act और भारतीय न्याय संहिता के तहत चोट पहुंचाने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

RTE कानून का खुला उल्लंघन: एक्टिविस्टों का आरोप

बाल अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को Right to Education (RTE) Act का खुला उल्लंघन बताया है. कानून के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड और मानसिक उत्पीड़न पर सख्त पाबंदी है. घटना के सामने आने के बाद अभिभावकों और स्थानीय सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है. लोग मांग कर रहे हैं कि कृष्णा को तुरंत उनके दोनों पदों-हेडमास्टर और मंडल शिक्षा अधिकारी से निलंबित किया जाए. मामले ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि जिन पर बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है, वही अगर कानून तोड़ें, तो छात्रों का भविष्य कितना सुरक्षित है?

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