चीन रोक देगा ब्रह्मपुत्र नदी का पानी! पाकिस्तान ने करीबी दोस्त से लगाई गुहार, क्या भारत पर बनेगा दबाव?

भारत के सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के बाद पाकिस्तान ने चीन से भारत का पानी रोकने की मांग शुरू कर दी है. पाकिस्तानी नेताओं और एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि चीन भारत को सबक सिखाएगा. लेकिन भारत-चीन के संबंधों की जमीनी हकीकत और जल प्रबंधन की वास्तविकताओं को देखते हुए पाकिस्तान की यह उम्मीद हताशा से ज्यादा कुछ नहीं लगती. भारत पूरी तरह तैयार है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
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भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट साफ देखी जा सकती है. पाकिस्तानी जनता और नेता अब चीन से गुहार लगा रहे हैं कि वह ब्रह्मपुत्र का पानी रोककर भारत पर दबाव बनाए. सोशल मीडिया पर यह दावा फैलाया जा रहा है कि भारत की अधिकतर नदियां चीन से निकलती हैं और चीन अगर पानी रोकेगा तो भारत में हाहाकार मच जाएगा. लेकिन हकीकत इतनी सीधी नहीं है.

भारत के इस आक्रामक जल कूटनीति ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा कर दिया है. दशकों तक पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया और इसके बावजूद भारत ने सिंधु जल संधि को निभाया. अब जब भारत ने दबाव की राजनीति चुनी है, तो पाकिस्तान का आधार हिलता नजर आ रहा है. सिंधु बेसिन के 80% पानी का लाभ उठाने के बावजूद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ लगातार उकसावे की नीति अपनाई थी, जिसे अब भारत ने सीधा जवाब दिया है.

चीन रोक देगा भारत का पानी

अगर पाकिस्तान को लगता है कि चीन भारत का पानी रोक सकता है, तो यह उसकी भारी गलतफहमी है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जरूर है, लेकिन पाकिस्तान जैसी कटुता नहीं है. भारत ने कभी चीन में आतंकवाद नहीं फैलाया, न ही अंदरूनी अस्थिरता भड़काई. यही वजह है कि चीन के पास भारत को पानी के जरिये नुकसान पहुंचाने का कोई ठोस कारण नहीं है. दोनों देशों के बीच सीमा तनाव के बावजूद आपसी संवाद के रास्ते खुले रहे हैं.

पाक की उम्मीदों पर फिरेगा पानी

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत और चीन के बीच जल बंटवारे को लेकर कोई बाध्यकारी संधि नहीं है. केवल ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के लिए जल विज्ञान आंकड़े साझा करने का एक सीमित समझौता है. चीन अगर पानी रोकता भी है, तो वह किसी सामरिक या ऊर्जा परियोजना के लिए करेगा, आतंकवाद या बदले की भावना से नहीं. पाकिस्तान की उम्मीदें दरअसल उसकी अपनी हताशा और एक नई "मसीहा खोज" की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं हैं.

पानी रोकने पर पड़ेगा असर

अगर भविष्य में चीन ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को बाधित करता है, तो इसका असर सीमित क्षेत्र पर होगा. असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में स्थानीय खेती और जल उपलब्धता पर असर जरूर पड़ेगा, लेकिन भारत जैसे विशाल देश को इससे व्यापक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. भारत के पास दर्जनों स्वदेशी नदियों का नेटवर्क है और जल आपूर्ति का वैकल्पिक इंतजाम करने की भी क्षमता है. भारत ने पहले ही तेजी से बांध निर्माण की योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं.

सौ सुनार की एक लोहार की

अंततः पाकिस्तान की उम्मीदें एक फंतासी पर टिकी है. भारत अब पाकिस्तान की 'एक हजार कट' रणनीति का जवाब 'एक बड़े वार' से देने की स्थिति में आ चुका है. जल संसाधन को हथियार बनाकर पाकिस्तान को उसकी नीतियों की कीमत चुकानी पड़ेगी. चीन से उम्मीद करना, पाकिस्तान की कूटनीतिक कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी एक और असफल चाल का उदाहरण भर है.

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