शिंदे को मना करके अपने ही घेरे में फंसी BJP! क्या है CM के गृहनगर सतारा जाने के मायने?

Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे पिछले ढाई साल में न सिर्फ बीजेपी बल्कि एनसीपी के साथ भी कुशलता से रहे. सूत्रों के मुताबिक शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए अपने बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम सुझाया है. हालांकि, कई मामलों में बात नहीं बन पा रही है. ऐसे में शिंदे का सतारा दौरा कई कन्फ्यूजन को जन्म दे दिया है.;

Eknath Shinde
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 30 Nov 2024 2:30 PM IST

Eknath Shinde: महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने काम के लिए प्रति जुनूनी माना जाता है. सियासी उठा पटक और बीजेपी को न कहने के बाद सीएम शिंदे शुक्रवार (29 नवंबर, 2024) अपने गृह नगर सतारा में अपने फार्म हाउस चले गए. इस बीच अब उनके दौरे को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं. वहीं शिवसेना (शिंदे गुट) कह रही है कि महाराष्ट्र की जनता ने महायुति के मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है.

नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के एक दिन बाद मुंबई में होने वाले अपने सभी मीटिंग को पोस्टपोन करके एकनाथ शिंदे को सतारा में अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए. ये नाराजगी उनके बयान से नहीं, लेकिन उनके उठाए कदम से साफ झलक रही है. उनके चेहरे पर छल किए जाने का दंश महाराष्ट्र फतह की बीजेपी की प्लानिंग के तौर पर नजर आ रहा है.

सतारा जाने के सियासी संकेत

मुंबई से सतारा की दूरी 325 किमी है, लेकिन बीजेपी से दूरी सतारा की दूरी से कहीं अधिक होती दिख रही है. एकनाथ शिंदे का सतारा दौरा सिर्फ उनके पैतृक निवास से प्रेम नहीं, बल्कि इस बार एक बड़ा सियासी इशारा है, जो उन्होंने बाजेपी को दिया है. शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे. शिवसेना ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह दो दिसंबर को होगा. उनके इस दौरे से साफ है कि बीजेपी की ओर से कोई भी ऑफर अब तक उन्हें पसंद नहीं आया है और शिंदे की दाढ़ी पर हाथ ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है.

सीएम नहीं तो क्या होंगे शिंदे?

शिवसेना नेता उदय सामंत ने सभी अटकलों को खारिज करते हुए एकनाथ शिंदे के सतारा दौरे को उनका निजी और स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला बताया है, लेकिन लाख छिपाने के बाद भी शिवसेना अपनी नाराजगी को इनकार नहीं कर सकती है. सतारा दौरा बीजेपी को ये साफ संदेश भी है कि शिंदे महाराष्ट्र की राजनीति में साइड रोल में नहीं रहना चाहते हैं. अगर सीएम नहीं तो एकनाथ शिंदे नई सरकार में महायुति के संयोजक बनने के इच्छुक हैं. शिवसेना नेता के शनिवार को मुंबई लौटने की उम्मीद है.

'शिवसेना को मिलना चाहिए गृह मंत्रालय'

शिरसाट ने कहा कि शिंदे की सकारात्मक छवि और उनके कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं को देखते हुए अगर उन्हें सीएम के तौर पर ढाई साल और मिलते तो वे और अधिक योगदान देते. औरंगाबाद पश्चिम विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक ने कहा, 'गृह विभाग पार्टी (शिवसेना) के पास होना चाहिए. यह विभाग (आमतौर पर) उपमुख्यमंत्री के पास होता है. अगर मुख्यमंत्री गृह विभाग का नेतृत्व करते हैं तो यह सही नहीं होगा.'

CM के एलान में बीजेपी ने पहले भी लगा चुकी है समय

महाराष्ट्र में जीत के 7 दिन बाद भी सीएम का एलान नहीं हुआ है, लेकिन ये पहली बार नहीं है. इससे पहले 2024 में बीजेपी को ओडिशा में सीएम चुनने में 8 दिन का वक्त लग गया. 2023 में राजस्थान में भी सीएम का फैसला करने में 9 दिन का वक्त लग गया. महाराष्ट्र में ही 2014 में भी बीजेपी को सरकार गठन में 7 दिन लग गए.

पावर गेमिंग से लेकर सौदेबाजी तक

दूसरी ओर बीजेपी को मुख्यमंत्री पद के बजाय बहुत कुछ गंवाने का भी डर सता रहा है. इस पावर गेम और पावर सौदेबाजी में बीजेपी के सामने एक और बड़ी चुनौती मराठा चेहरों के साथ खराब व्यवहार का बड़ा दाग लगने का डर है. यदि दोनों मराठा वरिष्ठ नेताओं को शक्ति संतुलन में गड़बड़ हो जाती है, तो यह संदेश सीधे जनता तक जाएगा. इसलिए सत्ता संतुलन में बीजेपी को सत्ता की सौदेबाजी में बिना कुछ खोए बहुत कुछ हासिल करने की चाल चलनी होगी. बीजेपी फिलहाल महा गठबंधन में सबसे बड़ा भाई है. लेकिन अगर बड़ा भाई दोनों छोटे भाइयों के हितों का ख्याल नहीं रखेगा तो बीजेपी का गला काटने वाले आरोप को बल मिलेगा.

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