90 साल की महिला ने खोला प्रेमानंद महाराज से जुड़ा राज़, लंबे बाल और फकीरों जैसा था हाल

प्रेमानंद महाराज को भला कौन नहीं जानता है? वह अध्यात्म के जरिए लोगों को उपदेश देते हैं. छोटे से लेकर बड़े लोगों तक हर कोई उनके दर्शन के लिए आतुर रहता है. अब 90 साल की एक महिला ने महाराज से जुड़े कई राज़ खोले हैं. बृज की रहने वाली महिला का कहना है कि प्रेमानंद महाराज बनारस रहते थे.;

( Image Source:  Instagram/official.bhajanmarg1 )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 11 Feb 2025 4:36 PM IST

वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज की रात के दौरान होने वाली पदयात्रा पर लोगों ने आपत्ति जताई थी. लोगों ने मांग की थी कि यह यात्रा रुकनी चाहिए. इस बात से लाखों श्रद्धालु निराश थे, लेकिन अब रूट और समय बदल गया है. अब प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा रात 2 बजे के बजाय सुबह 4 बजे शुरू होगी. अब इस बीच 90 साल की महिला शीला ने प्रेमानंद महाराज के बारे में एक पुराना राज खोला है.

शीला ने बताया कि एक समय था जब प्रेमानंद महाराज बनारस रहते थे. इस दौरान शीला अपने पति श्री राम शर्मा के साथ वहां जाया करती थी. इसके आगे शीला ने कहा कि एक दिन एक दिन प्रेमानंद महाराज उनके पति से मिले और वृंदावन जाने की इच्छा जताई. इस पर उनके पति ने कहा था कि एक दिन बांके बिहारी जी तुम्हारा हाथ थामकर तुम्हें वहां ले आएंगे.

लंबे बाल और फकीरों सा हाल

शीला ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार प्रेमानंद महाराज को देखा था, तो उनके बाल बहुत लंबे थे. इतना ही नहीं, वे फकीर बाबा की तरह रहते थे. इसके बाद वह वृंदावन गए और वहां जाकर उन्होंने राधा नाम जपना शुरू किया और धीरे-धीरे करके वह लोकप्रिय हो गए.

किडनी की समस्या

शीला ने कहा कि प्रेमानंद महाराज को किडनी की समस्या है. इसके बावजूद वह अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात में पैदल चलते हैं. इसके आगे उन्होंने कहा कि इस खराब हालत में भी वह केवल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात में पदयात्रा करते हैं

क्यों किया महिलाओं ने विरोध?

प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा एनआरआई ग्रीन कॉलोनी से गुजरती थी. इसके खिलाफ इस कॉलोनी की महिलाओं ने सड़कों पर उतर विरोध प्रर्दशन किया था. दरअसरल यह यात्रा रात 2 बजे संत प्रेमानंद महाराज अपने शिष्यों और भक्तों के साथ साथ भजन और कीर्तन गाते हुए श्रीराधाकाली कुंज आश्रम की ओर जाते थे. महिलाओं का कहना था कि वह सभी इस शोर से बेहद परेशान थे. इस विरोध के बाद पदयात्रा का समय और जगह बदल दी गई.

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