30 घंटे, 7 मंत्री और 1 मिशन! रूस के युद्ध कैबिनेट में कौन-कौन, पुतिन का भारत दौरा बनेगा गेमचेंजर?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत पहुंच रहे हैं और उनके साथ 7 शीर्ष मंत्री भी आ रहे हैं, जो यह संकेत देते हैं कि रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और लॉजिस्टिक्स में मेगा डील्स पर मुहर लगने वाली है. पुतिन सिर्फ 30 घंटे भारत में रहेंगे, लेकिन इस दौरान S-400 की सप्लाई, Su-57 स्टील्थ जेट, RELOS लॉजिस्टिक पैक्ट और ट्रेड बढ़ाने पर बड़े फैसले होने की उम्मीद है. यह दौरा भारत-रूस रिश्तों में नया टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है.;
दुनिया जंग, प्रतिबंधों और भू-राजनीतिक तनाव से जल रही है. लेकिन इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आने जा रहे हैं. यह सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि उन दुर्लभ यात्राओं में से एक है जब एक महाशक्ति का शीर्ष नेता खुद भारी-भरकम प्रतिनिधिमंडल लेकर नई दिल्ली उतर रहा है. पुतिन का 30 घंटे का यह हाई-स्टेक्स मिशन वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और दो पुराने रणनीतिक साझेदारों के बीच भरोसे की गहराई को फिर से साबित करता दिख रहा है.
क्योंकि इस बार बात सिर्फ दोस्ती या औपचारिकताओं तक सीमित नहीं है. रूस-भारत को रक्षा, व्यापार, कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स के मोर्चे पर ऐसा पैकेज देने की तैयारी में है जो आने वाले 20 वर्षों की रणनीतिक तस्वीर बदल देगा. पुतिन के साथ आ रहे 7 दिग्गज मंत्रियों की सूची ने पहले ही संकेत दे दिया है कि 5 दिसंबर का दिन भारत-रूस संबंधों के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है.
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पुतिन का 30 घंटे का शेड्यूल
4 दिसंबर की शाम करीब 6 बजे पुतिन नई दिल्ली लैंड करेंगे और लैंडिंग के कुछ ही मिनट बाद वह पीएम मोदी के साथ वन-टू-वन डिनर मीटिंग करेंगे. यह डिनर सिर्फ खाना नहीं, दो देशों की अगली दशक की रणनीति की खुफिया प्लानिंग होगी. इस 90 मिनट की बातचीत से ही तय हो जाएगा कि अगले दिन कौन-कौन सी मेगा घोषणाएं होंगी.
5 दिसंबर को दोनों देश करेंगे संयुक्त घोषणा
अगले दिन पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त प्रेस स्टेटमेंट देंगे. इस स्टेटमेंट में कई डील्स का ऐलान होगा. खासकर रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और अंतरिक्ष क्षेत्र की साझेदारियां. यह वही दिन होगा जिसकी तैयारी रूस महीनों से कर रहा है.
7 मंत्रियों की फ़ौज
पुतिन के डेलीगेशन ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी है. रूस ने भारत के लिए 7 शीर्ष मंत्री भेजे हैं.
- रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉफ
- वित्त मंत्री एंतोन सिलुआनोव
- कृषि मंत्री ऑक्साना लूट
- आर्थिक विकास मंत्री मक्सिम रेशेत्निकोव
- स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को
- और अन्य उच्चाधिकारियों की टीम.
यह अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि रूस इस विजिट को सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट की नजर से देख रहा है.
RELOS डील: भारत-रूस सैन्य सहयोग का सबसे बड़ा गेमचेंजर
दौरे से ठीक पहले रूस की ड्यूमा ने Reciprocal Exchange of Logistics Support (RELOS) को मंजूरी दे दी. इस डील से...
- भारतीय युद्धपोत रूसी बंदरगाहों का उपयोग कर सकेंगे
- रूसी फ्लीट भारतीय नौसैनिक स्टेशनों पर रुक सकेंगे
- दोनों देशों के सैन्य विमान एक-दूसरे के एयरबेस का उपयोग कर पाएंगे
यानी RELOS से भारतीय नौसेना इंडो-पैसिफिक में और रूस आर्कटिक में पहले से दोगुनी ताकत के साथ काम कर पाएंगे.
रक्षा सहयोग का बड़ा पैकेज: SU-57 और S-400
भारत ने रूस से Su-57E स्टील्थ फाइटर्स पर बातचीत तेज की है. रूस इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी रखता है और भारत के साथ इसका साझा उत्पादन भी संभव है. इसके अलावा S-400 की बची हुई खेप, दोनों देशों के संयुक्त सैन्य अभ्यास और नई आर्मामेंट प्रोडक्शन लाइन पर अंतिम चर्चा हो सकती है.
व्यापार में 2030 का लक्ष्य: 100 अरब डॉलर से भी आगे
यह दौरा दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में नई जान फूंकने वाला है. फिलहाल भारत-रूस का व्यापार 68 अरब डॉलर है, लेकिन लक्ष्य है 100 अरब डॉलर+. इसमें तेल, गैस, खनिज, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग और डिजिटल पेमेंट सिस्टम जैसे क्षेत्रों पर गहराई से चर्चा होगी.
कृषि, स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी में बड़े प्रोजेक्ट
क्यों कृषि मंत्री? क्यों स्वास्थ्य मंत्री? क्योंकि रूस भारत में फर्टिलाइज़र और अनाज सप्लाई बढ़ाने, मेडिकल टेक्नोलॉजी और फार्मा सहयोग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और वैक्सीन डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी बनाने आ रहा है.
25 साल बाद फिर वही पुतिन
भारत-रूस स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप 2000 में शुरू हुई थी और वह भी पुतिन के ही कार्यकाल में. 25 साल बाद इस सिल्वर जुबली सम्मेलन में भी वही पुतिन भारत आ रहे हैं. यह सिल्वर जुबली भारत-रूस की दोस्ती के नए स्वर्णयुग की शुरुआत हो सकती है.