19 मिनट 34 सेकेंड के वायरल अश्लील Video में दिख रहे लड़के की हो गई पिटाई, जानें इस Viral वीडियो की सच्चाई

Viral Videos 19 minutes: हाल ही में एक 19 मिनट 34 सेकेंड के वीडियो ने इंटरनेट पर सनसनी मचा दी है. इसके बाद लोग इस वीडियो में दिखने वाले लड़के और लड़की की वीडियो तलाशने लगे. वहीं अब एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगा. इसमें एक युवक को भीड़ द्वारा बाजार में चप्पलों और डंडों से पीटते हुए देखा जा सकता था. कई यूजर्स ने दावा करना शुरू कर दिया कि यह वही युवक है जो MMS वीडियो में था.;

( Image Source:  X/@NaurozAOfficial )
Edited By :  विशाल पुंडीर
Updated On : 4 Dec 2025 1:53 PM IST

Viral Videos 19 minutes: सोशल मीडिया पर रोजाना अनगिनत वीडियो वायरल होते हैं, लेकिन हाल ही में एक 19 मिनट 34 सेकेंड के वीडियो ने इंटरनेट पर सनसनी मचा दी है. इस वीडियो को लेकर लोगों में इतनी उत्सुकता दिखाई दी कि उन्होंने इससे जुड़े कपल्स के अन्य वीडियो भी तलाशने शुरू कर दिए. जिसके चलते एक मासूम लड़की को गलत पहचान का शिकार होना पड़ा.

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लोगों को गलती से लगा कि वायरल वीडियो में दिख रही लड़की स्वीट जन्नत है. इसके बाद उसकी पोस्ट पर बिना वजह कमेंट्स और ताने बरसने लगे. हालांकि जैसे ही जन्नत ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जताई और वीडियो से अपना कोई संबंध होने से इनकार किया, तब जाकर लोगों को अहसास हुआ कि उनके दावे पूरी तरह गलत थे.

बाजार में युवक की पिटाई का वीडियो भी वायरल

उसी दौरान एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगा. इसमें एक युवक को भीड़ द्वारा बाजार में चप्पलों और डंडों से पीटते हुए देखा जा सकता था. कई यूजर्स ने दावा करना शुरू कर दिया कि यह वही युवक है जो MMS वीडियो में था और बाजार में दिखते ही लोगों ने उसे पकड़ लिया. लेकिन यह दावा पूरी तरह गलत निकला. यह पिटाई वाला वीडियो एक अलग घटना का है, जिसका वायरल MMS से कोई सीधा संबंध नहीं है. इसे जानबूझकर इस तरह दिखाया गया कि यह उसी लड़के की पिटाई हो रही है, ताकि वीडियो की सनसनी बढ़ सके और वह तेजी से वायरल हो.

क्या 19 मिनट का वायरल वीडियो असली है?

कई सोशल मीडिया यूज़र्स और एक्सपर्ट का कहना है कि 19 मिनट का वायरल वीडियो संदिग्ध है और यह संभव है कि वह डीपफेक या AI-जनरेटेड हो. ऑनलाइन फैल रही जानकारी के अनुसार वीडियो में दिखाई दे रहे चेहरे और हरकतों में कई तकनीकी खामियां पाई गई हैं, जो इसे वास्तविकता पर सवाल खड़े करती हैं. इसके बावजूद, बिना पुष्टि किए गए वीडियो को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया और गलत पहचान के मामले ने यह साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी दावे को आंख बंद करके सच नहीं माना जा सकता.

गलत पहचान से जुड़े खतरों पर बड़ा सबक

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित किया कि सोशल मीडिया पर वायरल कंटेंट के चलते किसी भी निर्दोष व्यक्ति को निशाना बनाया जा सकता है. गलतफहमियों और अधूरी जानकारी के आधार पर किसी को परेशान करना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह उसके मानसिक स्वास्थ्य और निजता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन भी है.

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