11 साल की उम्र में बोर्डिंग स्कूल से भाग गई थी Kajol, ऐसे पकड़ कर लाया गया था वापस
इस घटना के बावजूद काजोल को अपने बोर्डिंग स्कूल के दिनों से बहुत लगाव है. वह कहती हैं कि वहां रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा — जैसे खुद पर भरोसा करना, फैसले लेना, और सोसाईटी में किस तरह रहना चाहिए.;
काजोल हमेशा अपनी मां, मशहूर एक्ट्रेस तनुजा के लिए प्यार और सम्मान जताने से पीछे नहीं हटती. लेकिन हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने जीवन की एक बहुत ही इमोशनल और पर्सनल स्टोरी शेयर शेयर की. ये कहानी सिर्फ उनकी मां तक सीमित नहीं थी, बल्कि उन सभी महिलाओं के बारे में थी, जिन्होंने काजोल को बचपन से पाल-पोसकर बड़ा किया.
द लल्लनटॉप से बातचीत में काजोल ने बताया कि उनका बचपन चार पीढ़ियों की औरतों के बीच बीता उनकी परदादी, दादी, मां और खुद काजोल. इस तरह की परवरिश ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया और एक मजबूत सोच दी. काजोल कहती हैं कि उनके घर में हमेशा औरतों की ताकत और उनके फैसलों का बोलबाला रहा, जिससे उन्हें बचपन से ही सेल्फ डिपेंडेड और स्ट्रांग बनने की प्रेरणा मिली.
बोर्डिंग स्कूल से भागने का प्लान
जब काजोल 11 साल की थीं, तब उनकी नानी बहुत बीमार हो गईं. काजोल उस समय पंचगनी के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रही थी. उन्हें जब ये खबर मिली, तो उन्होंने तुरंत अपनी मां को फोन किया और घर लौटने की इजाज़त मांगी. लेकिन उनकी मां ने मना कर दिया क्योंकि काजोल की एग्जाम चल रहे थे. उन्होंने कहा कि वह दिसंबर की छुट्टियों में ही घर आ सकती हैं. इस जवाब से निराश होकर काजोल ने खुद ही एक फैसला कर लिया. उन्होंने तय किया कि वह स्कूल से भागकर मुंबई जाएंगी ताकि अपनी नानी से मिल सकें. उन्होंने अपनी एक सहेली को भी अपने साथ आने के लिए मना लिया. दोनों ने प्लान बनाया कि वे बॉम्बे (अब मुंबई) तक पहुंचेंगी.
आधी दूरी तक पहुंची, फिर पकड़ ली गईं
काजोल किसी तरह स्कूल से निकल गईं और अपने पंचगनी वाले मामा के पास पहुंची. उन्होंने उनसे झूठ बोला कि मां ने उन्हें घर बुलाया है और मामा से बस स्टैंड तक छोड़ने की रिक्वेस्ट की. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, जैसे ही काजोल बस में बैठीं, स्कूल की एक नन वहां आ गईं. उन्होंने काजोल का कान पकड़कर उन्हें वापस स्कूल ले गईं.
बोर्डिंग स्कूल से मिली ज़िंदगी की सीख
इस घटना के बावजूद काजोल को अपने बोर्डिंग स्कूल के दिनों से बहुत लगाव है. वह कहती हैं कि वहां रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा — जैसे खुद पर भरोसा करना, फैसले लेना, और सोसाईटी में किस तरह रहना चाहिए. काजोल के अनुसार, बोर्डिंग स्कूल बच्चों को माता-पिता की अहमियत समझाता है और उन्हें ज़िम्मेदार बनाता है. काजोल को बोर्डिंग स्कूल की एजुकेशन पर इतना भरोसा है कि उन्होंने अपनी बेटी न्यासा को भी वहां भेजा. अब वह चाहती हैं कि उनका 14 साल का बेटा युग भी इसी रास्ते पर चले. उन्होंने कहा, 'मुझे बोर्डिंग स्कूल बहुत पसंद हैं. मैंने न्यासा को भी वहां भेजा है और अब मैं युग को भी भेजना चाहती हूं.'