Jewel Thief Mega Review : एक्शन, ड्रामा और ट्विस्ट, दर्शकों के उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी फिल्म
फिल्म का दूसरा हाफ पहले हाफ की तुलना में ज्यादा तेज और इंट्रेस्टिंग है. कई अचनाक ट्विस्ट्स दर्शकों को बांधे रखते हैं. खासकर हाइस्ट सीक्वेंस और डबल-क्रॉस की जुगलबंदी कुछ जगहों पर मजेदार है. कुछ क्रिटिक्स ने इसे 'गिल्टी प्लेजर' फिल्म कहा है.;
'ज्वेल थीफ: द हाइस्ट बिगिन्स' (2025) एक हिंदी हाइस्ट थ्रिलर फिल्म है, जो नेटफ्लिक्स पर 25 अप्रैल 2025 को रिलीज हुई. सैफ अली खान, जयदीप अहलावत, निकिता दत्ता और कुणाल कपूर स्टारर इस फिल्म को कुकी गुलाटी और रॉबी ग्रेवाल ने निर्देशित किया है. सिद्धार्थ आनंद और ममता आनंद ने इसे मार्फ्लिक्स प्रोडक्शंस के बैनर तले प्रोड्यूस किया है.
यह फिल्म 1967 की विजय आनंद की क्लासिक 'ज्वेल थीफ' से प्रेरित नहीं है, बल्कि इसका टाइटल उसी का एक मॉडर्न रीटेक है. आइए, इस फिल्म का मेगा रिव्यू करते हैं, जिसमें कहानी, परफॉर्मेंस, डायरेक्शन, म्यूजिक, और कमियों को डिटेल से जानेंगे.
क्या है फिल्म की कहानी
'ज्वेल थीफ: द हाइस्ट बिगिन्स' की कहानी रेहान रॉय (सैफ अली खान) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक मास्टर ज्वेल थीफ है और बुडापेस्ट में छिपा हुआ है. उसे भारत वापस लौटने के लिए मजबूर किया जाता है, जब खतरनाक गैंगस्टर-बिजनेसमैन रजनीश औलख (जयदीप अहलावत) उसे ब्लैकमेल करता है. रजनीश चाहता है कि रेहान अफ्रीकन रेड सन डायमंड (मूल्य 500 करोड़ रुपये) चुराए। रेहान इस हाइस्ट को अंजाम देने के लिए एक प्लान बनाता है, लेकिन कहानी में डबल-क्रॉस, बेवफाई, और unexpected ट्विस्ट्स की भरमार है. कहानी में रजनीश की पत्नी फराह (निकिता दत्ता) और पुलिस ऑफिसर विक्रम पटेल (कुणाल कपूर) भी अहम किरदार निभाते हैं.
कितने दमदार हैं किरदार
सैफ अपने किरदार रेहान रॉय में पूरी तरह फिट बैठते हैं. उनकी स्टाइल, स्वैग, और कॉन्फिडेंस स्क्रीन पर छा जाता है. कई दर्शकों और क्रिटिक्स ने उनकी परफॉर्मेंस को 'रेस' (2008) की याद दिलाने वाला बताया है. वह एक्शन, रोमांस, और ड्रामा हर फ्रंट पर दमदार हैं. वहीं जयदीप एक बार फिर अपने खलनायक किरदार में चमकते नजर आ रहे हैं. रजनीश औलख के रूप में उनकी क्रूरता और मैनिपुलेटिव नेचर डरावनी और अट्रैक्टिव दोनों है. उनकी डांस मूव्स (खासकर गाने 'जादू सा' में) ने भी ध्यान खींचा है. फराह के किरदार में निकिता का स्क्रीन प्रेजेंस अच्छा है, हालांकि उनका रोल सीमित है. वह कहानी में एक इंट्रेस्टिंग ट्विस्ट लाती हैं, जो उनके किरदार को थोड़ा और वजन देता है. सपोर्टिंग कास्ट जैसे कुलभूषण खरबंदा (रेहान के पिता), सुमित गुलाटी, और गगन अरोड़ा ने भी ठीक-ठाक सपोर्ट दिया है. कुणाल कपूर का किरदार थोड़ा कमजोर है स्क्रिप्ट में उनके किरदार को ज्यादा गहराई नहीं दी गई, जिससे वह बैकग्राउंड में खो जाते हैं.
ट्विस्ट्स और सेकंड हाफ
फिल्म का दूसरा हाफ पहले हाफ की तुलना में ज्यादा तेज और इंट्रेस्टिंग है. कई अचनाक ट्विस्ट्स दर्शकों को बांधे रखते हैं. खासकर हाइस्ट सीक्वेंस और डबल-क्रॉस की जुगलबंदी कुछ जगहों पर मजेदार है. कुछ क्रिटिक्स ने इसे 'गिल्टी प्लेजर' फिल्म कहा है, जिसे आप बिना ज्यादा दिमाग लगाए एंजॉय कर सकते हैं. फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी स्क्रिप्ट है, जो कई जगहों पर पुरानी और प्रेडिक्टेबल लगती है. कई क्रिटिक्स ने इसे 'जुवेनाइल' और 'लॉजिक-लेस' कहा है. उदाहरण के लिए, रेहान का हर बार आसानी से पुलिस को चकमा देना, या उसका सुपरह्यूमन की तरह हर स्किल में माहिर होना, अनरियलिस्टिक लगता है.
प्रोडक्शन और म्यूजिक
विजुअल्स और प्रोडक्शन वैल्यू की बात करें तो, फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन हाई-क्वालिटी है. बुडापेस्ट और इस्तांबुल के खूबसूरत लोकेशन्स, साथ ही स्टाइलिश सेट्स, फिल्म को एक इंटरनेशनल फील देते हैं. सचिन-जिगर, OAFF-सवेरा, और साउंडट्रेक-अनिस अली साबरी का म्यूजिक फिल्म का एक हाईलाइट है। गाना 'जादू सा' काफी पॉपुलर हो रहा है, और 'इल्जाम' भी मूड सेट करने में कामयाब है.
ऑडियंस रिस्पॉन्स
सोशल मीडिया पर फिल्म को मिला-जुला रिस्पॉन्स मिला है. कुछ दर्शकों ने इसे 'मसाला एंटरटेनर' और 'वन-टाइम वॉच' कहा, जबकि कुछ ने इसे 'टाइम वेस्ट' और 'फॉरगेटेबल' करार दिया। सैफ और जयदीप की परफॉर्मेंस को ज्यादातर पसंद किया गया, लेकिन स्क्रिप्ट और लॉजिक की कमी की शिकायत आम रही. अगर आप लॉजिक को साइड रखकर एक मसाला फिल्म देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है। यह स्टाइल, ड्रामा, और एक्शन का एक मजेदार कॉकटेल है, जो कुछ दर्शकों को खूब पसंद आया.