ITR होल्ड का डर? टैक्स डिपार्टमेंट ने ‘रिस्क मैनेजमेंट’ अलर्ट पर दी सफाई, 31 तक कर दें अपडेट फाइल वरना...
ITR होल्ड होने को लेकर टैक्सपेयर्स में डर का माहौल है. देशभर के टैक्सपेयर्स के बीच इस बात को लेकर हलचल है. अब इस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ‘रिस्क मैनेजमेंट’ अलर्ट को लेकर सफाई जारी की है. लोगों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं. जानिए क्यों ITR रोकी गई, क्या रिफंड अटका है और टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?;
अगर आपका ITR प्रोसेस नहीं हो रहा या रिफंड अटका हुआ दिख रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. हाल ही में बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को मिले ‘रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क’ अलर्ट को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया है कि यह कोई नोटिस या कार्रवाई नहीं बल्कि डेटा मिसमैच को लेकर एक चेतावनी (Alert) है. टैक्स विभाग ने बताया कि किन परिस्थितियों में ITR होल्ड होती है और टैक्सपेयर्स को आगे क्या करना चाहिए. डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया है कि ये अलर्ट सिर्फ एक एडवाइजरी है. ताकि गलतियों को सुधारा जा सके, न कि कोई पेनल्टी नोटिस. यदि आपकी डिडक्शन्स वैध हैं तो आप क्लेम नहीं करेंगे.
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ITR होल्ड अलर्ट क्यों आया?
सीए शिवम तिवारी का कहना है कि हाल ही में कई करदाताओं को SMS/ईमेल मिला है, जिसमें कहा गया है कि उनकी आईटीआर रिफंड प्रोसेसिंग को रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क के तहत होल्ड कर दिया गया है. इसका मतलब यह नहीं कि टैक्स विभाग ने ऑफिशियली पेनल्टी नोटिस भेजा है, बल्कि यह एक डाटा-ड्रिवन अलर्ट है.
शिवम तिवारी ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि टैक्स डिपार्टमेंट के रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम ने रिटर्न्स में कुछ डिडक्शन्स/छूट (deductions/exemptions), रिफंड क्लेम या डेटा मिसमेट्च जैसी विसंगतियां पाईं हैं, जो तीसरे स्रोतों (जैसे Form 26AS, AIS, PAN डेटा) के साथ मेल नहीं खातीं. इसके कारण सिस्टम ने उन ITRs को आंतरिक समीक्षा/होल्ड के लिए चिह्नित किया. इसे टैक्स विभाग खुद टैक्सपेयर्स को स्वेच्छा से समीक्षा के लिए प्रेरित करने वाला अभियान बता रहा है. सजा या इनकम टैक्स से नोटिस का कोई लेना देना नहीं है.
क्या होल्ड मतलब ITR रद्द ?
नहीं, यह सिर्फ एक टैक्स सिस्टम का अलर्ट/फ्लैग है, न कि डीमांड नोटिस या इनकम टैक्स कोर्ट केस. अगर आपका दावा सही है जैसे डिडक्शन वैध है, सब डेटा मेल खाता है तो टैक्सपेयर्स को कोई अतिरिक्त कदम उठाने की जरूरत नहीं है.
कितने लोगों ने ITR रिवाइज अपडेट किया है?
उन्होंने ये भी बताया कि टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार 15 लाख से टैक्सपेयर्स ने अभी तक अपनी गलतियों को सुधार कर रिवाइज्ड ITR दाखिल की है. इसी वित्त वर्ष में 21 लाख से ज्यादा लोगों ने Updated Return (ITR-U) भी दाखिल की है, जिससे सरकार को ₹2,500 करोड़+ अतिरिक्त टैक्स मिला है. इन अपडेट/रिवाइज्ड रिटर्न्स का लक्ष्य है कि विसंगतियां सुधारी जाएं और रिफंड स्पीड-अप हो.
बोनस का मामला क्या है?
यहां बोनस शब्द से आमतौर पर उन रिफंड/टैक्स रिटर्न रिफंड को संदर्भित किया जा रहा है जो करदाता को वापस मिलते हैं, जब उसने ज्यादा टैक्स या रिफंड क्लेम किया. अगर आपकी ITR में ज्यादा रिफंड दिखाई दे रहा है जो Form 16 या AIS से मेल नहीं खाता या आपने ऐसे डिडक्शन्स/छूट लिए जो सिस्टम को अनसपोर्टेड लगे, तो वहीं से ITR प्रोसेसिंग को ‘होल्ड’ पर रखा जाता है. यह बोनस (अर्थात रिफंड) अब तब तक जारी नहीं होगा जब तक आप ITR की समीक्षा नहीं करते. जरूरत हो तो Revised Return दाखिल नहीं करते हैं.
रिवाइज्ड ITR कब तक फाइल कर सकते हैं?
31 दिसंबर 2025 यह आखिरी तारीख है रिवाइज्ड ITR दाखिल करने की. अगर आप इस तारीख के बाद रिवाइज नहीं करते तो Updated ITR (ITR-U) ही 1 जनवरी 2026 के बाद विकल्प होगा, लेकिन इसमें अतिरिक्त टैक्स/इंटरेस्ट देना पड़ सकता है.
टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?
अलर्ट मिलने पर तुरंत अपने Form 26AS, AIS और Form 16 से डेटा मैच करें. कोई मिसमैच या गलत क्लेम हो तो Revised ITR दें. अगर सब सही है तो टैक्स कॉम्प्लायंस में कोई अतिरिक्त कदम जरूरी नहीं.
क्या है पूरा मामला?
टैक्स डिपार्टमेंट के रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम ने रिटर्न्स में कुछ डिडक्शन्स/छूट (deductions/exemptions), रिफंड क्लेम या डेटा मिसमैच जैसी विसंगतियां पाईं हैं. इन कमियों को दूर करने के लिए आईटी डिपार्टमेंट ने एक अभियान चलाया है. इस अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है. 1 जनवरी से ऐसे टैक्सपेयर्स को AY26 के लिए अपने ITR में बदलाव करने के लिए अपडेटेड ITR फाइल करना होगा. I-T डिपार्टमेंट ने एक कैंपेन भी शुरू किया है, जिसके तहत वह ऐसे टैक्सपेयर्स को एडवाइजरी भेजता है, जिन्होंने गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों या चैरिटेबल संस्थानों से संबंधित गलत डिडक्शन क्लेम किया है. I-T डिपार्टमेंट ने मंगलवार को कहा कि 15 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने मौजूदा असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए रिवाइज्ड रिटर्न फाइल किया है. साथ ही, 21 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के दौरान अपने इनकम टैक्स रिटर्न को अपडेट किया है और 2,500 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाया है.
टैक्स देने वालों की संख्या 3O लाख
वित्तीय वर्ष 2024-25 तक कुल आईटीआर फाइल करने वालों की संख्या 9.19 करोड़ है. यानी कुल आबादी का 6.68% लोगों ने ITR फाइल किया. यानी हर 15 से 16 व्यक्तियों में एक ने आईटीआर फाइल किया. जबकि रजिस्टर्ड टैक्स पेयर्स 13.96 करोड़ लोग हैं. जबकि वास्तव में टैक्स देने वालों की संख्या लगभग 3O लाख ही है. आईटीआर भरने वालों में 80% प्रतिशत से ज्यादा सरकार को टैक्स नहीं देते हैं.
टैक्सपेयर्स को यह मैसेज क्यों मिल रहा?
वित्तीय मामलों व आयकर रिटर्न के जानकार और सीए कृष्णकांत चौधरी का कहना है कि कई नियमों का पालन करने वाले टैक्सपेयर्स को ये चेतावनी वाले मैसेज मिल रहे हैं. जबकि उनके क्लेम सही हैं. उनके अनुसार, जिन लोगों ने डोनेशन क्लेम किया है, विदेशी संपत्ति घोषित की है, डीमैट होल्डिंग्स दिखाई हैं या ज्यादा रिफंड की रिपोर्ट की है, उन्हें फ्लैट किया जा रहा है. अलर्ट का टोन भ्रम पैदा कर रहा है क्योंकि यह देर रात आता है और अक्सर ऐसे ईमेल का जिक्र करता है जो कभी डिलीवर ही नहीं हुए. ज्यादातर टैक्सपेयर्स नियमों का पालन करते हैं और उन्हें सिर्फ स्पष्टता चाहिए.
'रिस्क मैनेजमेंट' का क्या मतलब?
कृष्णकांत चौधरी का कहना है कि यह मैसेज असल में एक प्रॉम्प्ट है, कोई औपचारिक नोटिस नहीं. उनके अनुसार विभाग ने कुछ रिटर्न को अंदरूनी तौर पर रोक रखा है, क्योंकि वे कुछ खास क्लेम पर अतिरिक्त जांच करना चाहते हैं. ये आमतौर पर ज्यादा कीमत वाले ट्रांजेक्शन, डोनेशन क्लेम, विदेशी संपत्ति की घोषणा या रिफंड की रकम में बेमेल होने के कारण होते हैं जो सामान्य से ज्यादा लगते हैं.
टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?
टैक्सपेयर्स अपने ITR की समीक्षा करें और सुनिश्चित करें कि हर क्लेम दस्तावेजों द्वारा समर्थित है. अगर कुछ भी गलत घोषित किया गया था, तो 31 दिसंबर से पहले एक संशोधित रिटर्न फाइल करें. अगर सब कुछ सही है और समर्थित है तो घबराने की जरूरत नहीं है.
बात-बात पर घबराने की जरूरत नहीं?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह अलर्ट स्क्रूटनी नोटिस नहीं है. यह एक रिस्क फिल्टर है जो टैक्सपेयर्स से कहता है कि सुधार के लिए विंडो बंद होने से पहले वे अपनी फाइलिंग को रिव्यू कर लें. अगर टैक्सपेयर इसे नजरअंदाज करता है और गड़बड़ियां बनी रहती हैं, तो बाद में केस की जांच के लिए चुना जा सकता है. सही क्लेम और सही डॉक्यूमेंटेशन वाले ईमानदार टैक्सपेयर्स को डरने की कोई जरूरत नहीं है.