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ISI को किया ब्लैकमेल; हनी ट्रैप में फंसाकर की शादी; PPP सांसद पलवाशा खान की कारगुजारियां सुन आप भी कहेंगे - 'क्‍या बला है ये'

पलवाशा मोहम्मद जई खान पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की प्रमुख नेता और पाकिस्तान के उच्च सदन (सीनेट) की सदस्य हैं. वे 2008 से 2013 तक नेशनल असेंबली की सदस्य भी रह चुकी हैं. उनकी निजी जिंदगी और राजनीतिक बयान अक्सर विवादों में रहे हैं. वे पाकिस्तान के पूर्व आईएसआई प्रमुख जहीर उल इस्लाम की पत्नी हैं और उनके एक बेटा भी है.

ISI को किया ब्लैकमेल; हनी ट्रैप में फंसाकर की शादी; PPP सांसद पलवाशा खान की कारगुजारियां सुन आप भी कहेंगे - क्‍या बला है ये
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 1 May 2025 3:44 PM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव अपने चरम पर है. इसी तनाव के माहौल में पाकिस्तान की सीनेटर पलवाशा मोहम्मद जई खान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने भारत विरोधी और धार्मिक रूप से भड़काऊ बातें कहीं. उन्होंने कहा कि अयोध्या में बनने वाली नई बाबरी मस्जिद की पहली ईंट पाकिस्तानी फौज रखेगी और पहली अजान सेना प्रमुख असीम मुनीर देंगे.

उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत के सिख सैनिक पाकिस्तान पर हमला नहीं करेंगे क्योंकि यह गुरु नानक की भूमि है. यह बयान न केवल भारत की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाता है बल्कि दोनों देशों के पहले से तनावपूर्ण संबंधों में और भी जहर घोलने का काम करता है.

कौन है पलवाशा खान?

पलवाशा का जन्म 16 अप्रैल 1976 को लाहौर पाकिस्तान में हुआ था. पलवाशा मोहम्मद जई खान पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) की नेता हैं, जो कि बेनजीर भुट्टो और अब उनके बेटे बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में सक्रिय है. पलवाशा को पहली बार 2008 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की सदस्य के रूप में चुना गया था. वे पंजाब प्रांत की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट से सांसद बनी थीं और 2013 तक इस पद पर रहीं. इसके बाद वे मार्च 2021 में एक बार फिर राजनीतिक मुख्यधारा में लौटीं और सीनेट की सदस्य नियुक्त की गईं.

जब भी मुंह खोलती है तो...

सीनेट में आने के बाद पलवाशा को PPP की उप सूचना सचिव बनाया गया. पार्टी के प्रचार, मीडिया संचालन और विचारधारा को आक्रामक अंदाज में पेश करने में वह एक सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं. उनका सार्वजनिक बोलने का तरीका अक्सर विवादों में घिरा रहा है और उनके भाषणों में उग्र राष्ट्रवाद और धार्मिक रंग देखने को मिलता है. उनका 29 अप्रैल को संसद में दिया गया ताजा बयान भी इसी शैली का एक उदाहरण है, जो भारत विरोधी भावना से भरपूर था.

हनी ट्रैप कर ISI के अधिकारी से की शादी

पलवाशा का निजी जीवन भी पाकिस्तान में चर्चाओं का विषय बना रहा है,मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने 2016 में पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम से शादी की थी. इस शादी को लेकर भी कई विवाद खड़े हुए. कुछ विश्लेषकों का दावा है कि यह संबंध हनी ट्रैप का नतीजा था. उन्होंने 5 मई 2015 को इस्लामाबाद में जहीर उल इस्लाम से गुपचुप तरीके से शादी की थी. उनका एक बेटा है जिसका नाम शमशेरुल इस्लाम है. बाद में, पलवाशा ने तलाक और भत्ते के लिए परिवार न्यायालय में याचिका दायर की थी.

ISI को ही किया ब्लैकमेल

पलवाशा को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ‘स्पाई गर्ल’ भी कहा जाता है. पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल रजा ने पलवाशा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनके मुताबिक, पलवाशा ने आईएसआई के भीतर रहते हुए कई संवेदनशील सूचनाएं प्राप्त कीं और राजनैतिक लाभ के लिए उनका इस्तेमाल किया. रजा का दावा है कि वह पहले गर्भवती हुईं, जिसके चलते जहीर उल इस्लाम को शादी के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि इन आरोपों की पुष्टि कभी आधिकारिक तौर पर नहीं हुई, लेकिन पाकिस्तान की राजनीति में यह गपशप की तरह आम हो चुका है.

खालिस्तानी आतंकियों से है जुड़ाव

राजनीति और निजी संबंधों के अलावा पलवाशा का जुड़ाव खालिस्तानी तत्वों से भी देखा गया है. उन्होंने सीनेट में अपने बयान के दौरान खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की तारीफ करते हुए उसे पाकिस्तान का समर्थन देने वाला बताया. यह पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक रूप से और भी जोखिम भरा है, क्योंकि इससे साफ संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान भारत विरोधी तत्वों को संरक्षण दे रहा है.

विक्टिम कार्ड खेल रहा पाकिस्तान

पलवाशा मोहम्मद जई खान के ताजा बयान ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की राजनीति में धार्मिक उन्माद और भारत-विरोध अब भी एक सस्ता लेकिन प्रभावी हथियार माना जाता है. लेकिन इस तरह के बयानों से न तो पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि सुधरती है, न ही क्षेत्रीय स्थिरता को कोई लाभ पहुंचता है. इसके उलट, इससे यह साफ होता है कि पाकिस्तान के सत्ता केंद्रों में भारत-विरोधी एजेंडा अब भी रणनीतिक सोच से अधिक भावनात्मक उकसावे पर आधारित है.

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