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Bagram Air Base में ऐसा क्‍या है जो ट्रंप इसे तालिबान से लेना चाह रहे वापस, क्‍या अफगानिस्‍तान में होगी अमेरिकी सैनिकों की वापसी?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के Bagram Air Base को दोबारा अमेरिकी नियंत्रण में लेने की इच्छा जताई है. बेस की भौगोलिक स्थिति, चीन के न्यूक्लियर फैसिलिटी के पास होने और तालिबान पर दबाव डालने की क्षमता इसे रणनीतिक रूप से अहम बनाती है. अमेरिकी वापसी पाकिस्तान, चीन और तालिबान की भू-राजनीतिक भूमिका को प्रभावित कर सकती है.

Bagram Air Base में ऐसा क्‍या है जो ट्रंप इसे तालिबान से लेना चाह रहे वापस, क्‍या अफगानिस्‍तान में होगी अमेरिकी सैनिकों की वापसी?
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( Image Source:  X/@tariqtramboo )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 19 Sept 2025 5:59 PM IST

अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच पिछले कुछ वर्षों में सैन्य संतुलन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. 2021 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दौरान, अफगानिस्तान का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य ठिकाना बगराम एयर बेस (Bagram Air Base) तालिबान के नियंत्रण में चला गया. अब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बेस को दोबारा अमेरिकी नियंत्रण में लेने की इच्छा जताई है. ट्रंप ने स्पष्ट किया, “हम इसे वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं. हम तालिबान या किसी अन्य शक्ति के हाथों में इस महत्वपूर्ण संपत्ति को छोड़ नहीं सकते.”

Bagram Air Base न केवल अफगान युद्ध के दौरान अमेरिकी सैन्य अभियान का प्रमुख केंद्र रहा है, बल्कि इसकी भौगोलिक और रणनीतिक स्थिति इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है. यह बेस काबुल के उत्तर में स्थित है और अफगानिस्तान के पूरे उत्तर क्षेत्र के लिए केंद्रीय हवाई मार्ग और लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान करता है. दो दशक तक यहां से अमेरिकी वायु हमले, आपूर्ति मिशन और खुफिया ऑपरेशन चलाए गए.

रणनीतिक महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप के इस फैसले के पीछे मुख्य प्रेरणा चीन के क्षेत्रीय विस्तार को रोकना है. ट्रंप ने सीधे तौर पर बेस के महत्व को चीन के न्यूक्लियर प्रोग्राम से जोड़ा. उन्होंने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, यह बेस चीन के न्यूक्लियर हथियारों के निर्माण स्थल से केवल एक घंटे की दूरी पर है.” इसका मतलब साफ है: अगर अमेरिका Bagram में मौजूद रहेगा, तो यह बीजिंग की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए एक सशक्त संतुलन का काम करेगा.

Bagram Air Base का आकार और क्षमता इसे किसी भी विदेशी सैन्य शक्ति के लिए असाधारण बनाती है. यहां हवाई पट्टियां, राडार सिस्टम, गहरे बंकर और लॉजिस्टिक सुविधाएं मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल अमेरिका ने अफगान युद्ध में लगातार किया. इस बेस से न केवल उत्तर अफगानिस्तान के लिए हवाई अभियान चलाए गए, बल्कि पाकिस्तानी सीमा और मध्य एशियाई क्षेत्र में भी अमेरिकी सैन्य पहुंच सुनिश्चित हुई.

भू-राजनीतिक प्रभाव

अमेरिका की Bagram में वापसी के व्यापक भू-राजनीतिक परिणाम होंगे. सबसे पहले, यह चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स और शिनजियांग के पास स्थित न्यूक्लियर फैसिलिटी को सीधे चुनौती देगा. बीजिंग के लिए यह बड़ा अलर्ट होगा, क्योंकि अमेरिकी मौजूदगी चीन की क्षेत्रीय योजनाओं और सैन्य संतुलन को प्रभावित कर सकती है. दूसरी ओर, यह कदम पाकिस्तान के तालिबान पर प्रभाव को भी कमजोर करेगा. पाकिस्तान ने अमेरिकी वापसी का जश्न मनाया था, लेकिन अब अगर अमेरिका दोबारा Bagram में कदम रखता है, तो तालिबान पर उसका दबाव बढ़ जाएगा और पाकिस्तान के प्रभाव में कमी आएगी. इसके साथ ही, पाकिस्तानी सरकार को अमेरिकी पुनः प्रवेश रोकने में भी कठिनाई होगी क्योंकि इसे FATF जैसे आर्थिक दबावों का सामना करना पड़ सकता है.

तीसरी बड़ी चुनौती तालिबान के लिए होगी. अमेरिकी मौजूदगी तालिबान को चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए मजबूर करेगी. इससे तालिबान की आंतरिक और बाहरी नीतियों पर तनाव बढ़ेगा, और अफगानिस्तान में ISIS-K जैसे समूहों को फिर से सक्रिय होने का अवसर मिल सकता है.

Bagram का इतिहास

Bagram Air Base का इतिहास अफगानिस्तान और वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है. इसे पहले परसियन साम्राज्य और सोवियत युद्ध के दौरान भी रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया. अमेरिका के दो दशक लंबे युद्ध में यह बेस अफगान सेना और अमेरिकी सहयोगी बलों के लिए हवाई समर्थन, आपूर्ति और प्रशिक्षण का मुख्य केंद्र था. बेस के पास हेलीकॉप्टरों, फाइटर जेट्स और ड्रोन संचालन की सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं.

अमेरिकी वापसी की चुनौतियां

Bagram Air Base की वापसी आसान नहीं होगी. तालिबान के विरोध, क्षेत्रीय राजनीतिक दबाव और स्थानीय आबादी की प्रतिक्रिया इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती है. इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान दोनों इस कदम को अपने हितों के खिलाफ मानेंगे. अमेरिका को स्थानीय अफगान समुदाय और तालिबान के भीतर विभाजित गुटों से भी तालमेल बिठाना होगा.

रणनीतिक लाभ

फिर भी, इस बेस को हासिल करने से अमेरिका को कई लाभ होंगे:

  • सैन्य ऑपरेशन का केंद्र: Bagram से अमेरिका अफगानिस्तान और पड़ोसी क्षेत्रों में तेज और प्रभावी हवाई अभियान चला सकता है.
  • चीन पर दबाव: न्यूक्लियर फैसिलिटी और बेल्ट एंड रोड परियोजनाओं पर निगरानी रखना आसान होगा.
  • तालिबान नियंत्रण में कमी: तालिबान पर अमेरिकी दबाव बढ़ेगा और पाकिस्तान की राजनीतिक भूमिका कमजोर होगी.
  • क्षेत्रीय स्थिरता: अमेरिकी मौजूदगी से ISIS-K जैसे आतंकी समूहों पर नियंत्रण आसान होगा.

विशेषज्ञों की राय

विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि Bagram Air Base की वापसी केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि यह राजनीतिक और आर्थिक रणनीति में भी अहम है. अमेरिका की वापसी अफगानिस्तान में नई सत्ता संरचना और तालिबान की अंतरराष्ट्रीय पहचान को चुनौती देगी. अमेरिकी खुफिया सूत्रों के अनुसार, Bagram में पुनः मौजूदगी से अमेरिका साइबर स्पेस, ड्रोन मिशन और राडार नेटवर्क के जरिए पूरे मध्य एशिया में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है. इस कदम से रूस, ईरान और मध्य एशियाई देश भी प्रभावित होंगे, क्योंकि अमेरिकी सैन्य और खुफिया गतिविधियों का दायरा बढ़ जाएगा.

Bagram Air Base की रणनीतिक महत्ता, इतिहास, भौगोलिक स्थिति और वैश्विक प्रभाव इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों में से एक बनाती है. अमेरिकी वापसी की कोशिश, तालिबान पर दबाव, चीन और पाकिस्तान को चुनौती और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है.

वर्ल्‍ड न्‍यूजडोनाल्ड ट्रंप
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