अमेरिका में क्यों हो रही भारतीय खुफिया एजेंसी R&AW पर बैन लगाने की सिफारिश, क्या हैं आरोप?
अमेरिका में एक आयोग ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए हालात लगातार बदतर हो रहे हैं. आयोग ने रॉ पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. हालांकि भारत की तरफ से इसपर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

अमेरिका के यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. यह सिफारिश कथित तौर पर सिख अलगाववादियों की हत्या की साजिशों में एजेंसी की संलिप्तता के आरोपों के आधार पर की गई है. मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार बिगड़ रही है. हालांकि, भारत सरकार ने अब तक इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
अमेरिकी पैनल ने भारत को 'चिंता का विषय' बताया
USCIRF ने अमेरिकी सरकार से भारत को "कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न" (CPC) घोषित करने की मांग की है, क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक, देश में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है. भारत के अलावा, USCIRF ने वियतनाम पर भी धार्मिक मामलों को नियंत्रित करने के आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए मजबूत करना चाहता है, लेकिन इसके चलते मानवाधिकारों के मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
विकास यादव मामले पर भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ा था तनाव
भारत और अमेरिका के संबंधों में 2023 से तनाव बढ़ा है, खासकर सिख अलगाववादी नेताओं पर कथित हमलों को लेकर. अमेरिका ने हाल ही में भारतीय खुफिया एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी विकास यादव पर प्रो-खालिस्तान नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था. इस घटना के बाद से भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास देखने को मिली.
क्या बैन लगाएगा ट्रम्प प्रशासन?
हालांकि, रिपोर्ट में लगाए गए आरोप गंभीर हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि ट्रम्प प्रशासन R&AW पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं होगा, क्योंकि USCIRF की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं. अमेरिका के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, और चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ एक मजबूत सहयोगी माना जाता है. ऐसे में, इस रिपोर्ट के बावजूद अमेरिका द्वारा किसी ठोस कार्रवाई की संभावना कम है.
मोदी सरकार पर भी निशाना
रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली बयानबाजी और गलत सूचनाओं को बढ़ावा दिया. हालांकि, भारत सरकार ने USCIRF की पिछली रिपोर्ट्स को हमेशा पूर्वाग्रही और पक्षपाती बताया है, इसलिए इस रिपोर्ट को लेकर भी भारत का रुख आक्रामक हो सकता है.
क्या होगी भारत की प्रतिक्रिया?
अब सवाल यह है कि भारत इस रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया देगा. भारत ने हमेशा USCIRF की रिपोर्ट्स को अंदरूनी मामलों में दखल करार देते हुए खारिज किया है. यह रिपोर्ट भारत-अमेरिका संबंधों को कितना प्रभावित करेगी, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा. हालांकि, अभी तक भारतीय विदेश मंत्रालय या खुफिया एजेंसियों ने इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है.