तालिबान का तुगलगी फरमान: महिला लेखन पर ताला, अफगान यूनिवर्सिटीज में नहीं पढ़ाई जाएंगी ये किताबें
तालिबान सरकार ने महिला लेखकों और शिक्षा को लेकर अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज के लिए नया फरमान जारी किया है. इस आदेश के तहत अब महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबें विश्वविद्यालयों में नहीं पढ़ाई जाएंगी. तालिबान सरकार के इस फैसले को अफगान समाज में महिलाओं की भूमिका को और सीमित करने की कोशिश माना जा रहा है.

अफगानिस्तान में तालिबान की तुगलगी नीतियां लगातार सख्त होती जा रही हैं. कभी स्कूलों और कॉलेजों से लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी, तो कभी महिलाओं के दफ्तर आने पर रोक. अब तालिबान ने एक और नया फरमान जारी किया है. इसके मुताबिक, विश्वविद्यालयों में महिलाओं द्वारा लिखी किताबों को पढ़ाना या शामिल करना पूरी तरह बैन कर दिया गया है. यह आदेश तालिबान द्वारा चार साल पहले सत्ता में लौटने के बाद से लगाए गए प्रतिबंधों की श्रृंखला में नवीनतम है.
दरअसल, तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज और शैक्षणिक संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि महिला लेखकों की कोई भी किताब अब सिलेबस या लाइब्रेरी में जगह नहीं मिलेंगी. आदेश का पालन न करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है. प्रतिबंध से यह साफ हो गया है कि तालिबान देश में पूरी तरह ‘पुरुष-प्रधान शिक्षा प्रणाली’ लागू करना चाहता है.
इंटरनेशनल कम्युनिटी से हस्तक्षेप की मांग
मानवाधिकार संगठनों ने तालिबान के इस आदेश की कड़ी आलोचना की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि इस तरह के फरमान न सिर्फ महिला लेखन को खत्म कर देंगे बल्कि अफगानिस्तान के समाज और शिक्षा व्यवस्था को दशकों पीछे धकेल देंगे.
679 किताबों पर बैन
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान सरकार यह आदेश एक नए प्रतिबंध का हिस्सा है, जिसके तहत मानवाधिकार और यौन उत्पीड़न के शिक्षण को भी गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है. खासकर महिलाओं द्वारा लिखी गई लगभग 140 किताबें - जिनमें "सेफ्टी इन द केमिकल लेबोरेटरी" जैसी किताबें भी शामिल हैं. कुल 679 किताबों को 'शरिया विरोधी और तालिबान नीतियों' के कारण चिंताजनक माना गया है.
तालिबान सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों को यह बताया गया है कि उन्हें अब 18 विषय पढ़ाने की अनुमति नहीं है. एक तालिबान अधिकारी ने कहा कि ये "शरिया के सिद्धांतों और व्यवस्था की नीति के विपरीत" हैं.
10 प्रांतों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट बैन
हाल ही में तालिबान के सर्वोच्च नेता के आदेश पर कम से कम 10 प्रांतों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि यह कदम अनैतिकता को रोकने के लिए उठाया गया था. हालांकि, इन नियमों का जीवन के कई पहलुओं पर असर पड़ा है,
लड़कियों के लिए छठी से आगे की पढ़ाई पर रोक
महिलाओं और लड़कियों पर इसका खासा असर पड़ा है. उन्हें छठी कक्षा से आगे की शिक्षा लेने से रोक दिया गया है. आगे की शिक्षा के उनके आखिरी रास्ते में से एक 2024 के अंत में बंद हो जाएगा, जब दाई का काम चुपचाप बंद कर दिया जाएगा. अब तो महिलाओं से जुड़े विश्वविद्यालय के विषयों को भी निशाना बनाया जा रहा है. प्रतिबंधित 18 विषयों में से छह विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित हैं, जिनमें लिंग और विकास, संचार में महिलाओं की भूमिका और महिला समाजशास्त्र शामिल हैं. तालिबान सरकार ने कहा है कि वह अफगान संस्कृति और इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के अनुसार महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करती है.
बदलाव की उम्मीद बेमानी
पुस्तकों की समीक्षा करने वाली समिति के एक सदस्य ने महिलाओं द्वारा लिखी गई पुस्तकों पर प्रतिबंध की पुष्टि करते हुए बीबीसी अफगान को बताया कि 'महिलाओं द्वारा लिखी गई सभी पुस्तकों को पढ़ाने की अनुमति नहीं है'. तालिबान की वापसी से पहले न्याय उप मंत्री रहीं और प्रतिबंधित सूची में अपनी किताबें शामिल कराने वाली लेखिकाओं में से एक, जकिया अदेली इस कदम से बिल्कुल भी हैरान नहीं हैं. उन्होंने कहा, "पिछले चार सालों में तालिबान ने जो कुछ किया है, उसे देखते हुए उनसे पाठ्यक्रम में बदलाव की उम्मीद करना बेमानी है."
679 में से 329 पुस्तकें ईरानी लेखकों की
तालिबान सरकार की ओर से अफगानिस्तान के सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गई 50 पृष्ठों की सूची में 679 पुस्तकें शामिल हैं, जिनमें से 310 या तो ईरानी लेखकों द्वारा लिखी गई हैं या ईरान में प्रकाशित हुई हैं.