सीरिया में क्यों हो रहा बवाल, हमले से पड़ोसी देशों पर कितना पड़ेगा प्रभाव?
Syrian civil war: सीरिया में अलकायदा से जुड़े हयात तहरीर अल शाम के नेतृत्व में विद्रोहियों ने शुक्रवार को देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया. इससे 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध के बीच संघर्ष की एक नई लहर शुरू हो गई है.

Syrian civil war: सीरिया पिछले 13 सालों से गृहयुद्ध झेल रहा है, जहां विद्रोही बलों ने सीरियाई सरकार के विरुद्ध सालों के अपने सबसे बड़ा आक्रमण शुरू कर दिया है. ये आक्रमण इसलिए भी परेशान करने वाला है, क्योंकि 2020 में युद्ध विराम पर बातचीत के बाद से संघर्ष शांत था और अचानक हुए इस हमले ने एक बार फिर से सीरिया में अशांति ला दी है.
सीरियाई विद्रोही मंगलवार को सरकारी बलों के खिलाफ आगे बढ़ते हुए प्रमुख शहर हमा के करीब पहुंच गए थे. अचानक कब्जे के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है.
सीरिया में युद्ध विराम के बाद भी क्यों शुरू हुआ गृह युद्ध?
मिडिल ईस्ट में पहले से अशांति फैली हुई थी. इजरायल- हमास और हिजबुल्लाह के कारण पहले से ही तबाही मची है. ऐसे में सीरिया में विद्रोही गुटों के अचानक हमले से हर कोई सहम गया. इन विद्रोहियों ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलप्पो में सेना को खदेड़ दिया. ये युद्ध सरकार को लेकर असंतुष्ट होने के कारण एक बार फिर से विद्रोही दल ने शुरू किया है. सीरिया में दोबारा भड़की गृह युद्ध के पीछे तुर्किए को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.
सीरिया में गृह युद्ध का पड़ोसी पर कितना पड़ेगा असर?
सीरिया की सीमा तुर्की , इराक , जॉर्डन, इजरायल और लेबनान से सटी हुई है. तुर्की समर्थित विद्रोहियों ने ही इस युद्ध की शुरूआत की है. वहीं लेबनान के लोगों को लगातार सीरिया पनाह दे रहा था, जिसे भी इस गृह युद्ध का कारण माना जा रहा है. इधर इराक, तुर्की के साथ बातचीत के जरिए सीरिया शांति की बात कर रहा है. सीरिया में चल रहे गृह युद्ध का असर देश के बाहर भी देखा जा रहा है. जिसमें अमेरिका भी शामिल हैं.
गृह युद्ध के दौरान बशर अल-असद के साथ कौन?
सीरिया में साल 2000 से बशर अल-असद सत्ता में हैं, इससे पहले उनके पिता गद्दी पर थे. 2011 में अरब क्रांति से प्रेरित होकर सीरिया में गृह युद्ध की शुरूआत हुई, जो एक बार फिर भड़कता दिख रहा है. इस भयानक गृह युद्ध में अब तक 5 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. रूस और ईरान बशर अल-असद सरकार के समर्थक हैं.