क़ुबूल है, क़ुबूल है, क़ुबूल है! Pak के मंत्रियों ने माना- भारत में खूनी खेल के पीछे हम
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 मासूमों की हत्या से पूरा भारत शोक में डूबा था, लेकिन पाकिस्तान ने न केवल चुप्पी साधी, बल्कि उसके शीर्ष नेताओं ने आतंकियों को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ कहकर बचाव किया. वहीं इंटरनेशनल मीडिया के सामने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कुबूल किया है कि वो दशकों से आतंकवाद फैलाते रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर दिनदहाड़े आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 बेगुनाहों की जान चली गई, तब भारत शोक और आक्रोश में डूबा था. हर भारतीय का दिल रो रहा था, लेकिन पाकिस्तान की बेशर्मी अपनी चरम सीमा पर थी. इंसानियत के इस घिनौने कत्लेआम के बाद भी पाकिस्तान न केवल चुप रहा, बल्कि उसके शीर्ष नेताओं ने बयानबाज़ी कर आतंकियों का बचाव किया. यह न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है कि आतंक का ये संरक्षक देश आज भी अपनी पुरानी हरकतों से बाज़ नहीं आया है. और अब तो पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे भारत के उस दावे की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान आतंकियों को पालने का काम करता है.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार का बयान तो जैसे आग में घी डालने जैसा था. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हो सकता है कि ये लोग स्वतंत्रता सेनानी हों, हमें तो नहीं पता." ये वही इशाक डार हैं जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति और द्विपक्षीय बातचीत की बात करते हैं. जब एक देश का उप प्रधानमंत्री खुलेआम आतंकवादियों को 'फ्रीडम फाइटर' कहने लगे, तो समझा जा सकता है कि वहां की सरकार की सोच कितनी दूषित और दोहरी है. आतंकवाद को समर्थन देने वाली यह मानसिकता सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति के लिए एक सीधी चुनौती है.
गलती पाकिस्तान की थी
इससे भी अधिक चौंकाने वाला और शर्मनाक बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का सामने आया, जिन्होंने ब्रिटेन के स्काई न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि 'पाकिस्तान ने पिछले तीन दशकों से अमेरिका और पश्चिम के लिए आतंकियों को पनाह दी और उन्हें पाल-पोसकर 'गंदा काम' किया." उन्होंने ये भी कबूला कि यह पाकिस्तान की 'गलती' थी और उसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा. क्या अब भी दुनिया आंखें मूंदे बैठी रहेगी, जब पाकिस्तान के मंत्री खुद मान रहे हैं कि उन्होंने आतंक को एक ‘नीति’ बना रखा था?
भारत के उठाए कई बड़े कदम
भारत ने इस बार चुप्पी नहीं साधी. पहलगाम के इस नृशंस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कूटनीतिक कदम उठाए हैं. भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए. जवाब में पाकिस्तान ने कहा कि अगर पानी रोका गया, तो वह इसे युद्ध की शुरुआत मानेगा.सवाल ये है कि जब आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीतियां पाकिस्तान की हैं, तो क्या भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जवाबी कदम उठाने का हक नहीं है? पाकिस्तान की यह बौखलाहट इस बात का संकेत है कि उसे अब अपने झूठ और दोहरे रवैये का हिसाब देना होगा.
ईंट का बदला पत्थर से लेंगे
पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं थी. यह भारत की संप्रभुता, शांति और पर्यटन पर हमला था. इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रतिनिधि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली. यह वही संगठन है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की शह प्राप्त है. पाकिस्तान वर्षों से कश्मीर घाटी में आतंक को ‘प्रॉक्सी वॉर’ के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है और अब उसके नेता इस घिनौने खेल को ‘आज़ादी की लड़ाई’ बताकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस बार भारत ने ठान लिया है कि ईंट का बदला पत्थर से लेंगे.
पाकिस्तान से कुछ सवाल...
अब सवाल पाकिस्तान से है. क्या वह सच में आतंकवाद से मुंह मोड़ेगा? क्या वह अपने मंत्रियों की ज़ुबान पर लगाम लगाएगा, जो आतंकियों को महिमा मंडित कर रहे हैं? या फिर वह एक बार फिर 'हमारा कोई लेना-देना नहीं' की रट लगाकर दुनिया को मूर्ख बनाने की कोशिश करेगा? भारत अब शब्दों से नहीं, कार्रवाई से जवाब दे रहा है. पाकिस्तान को अब तय करना होगा कि वह एक देश बनकर बचेगा या एक आतंकवादी मानसिकता का गुलाम रह जाएगा. एक बात तो तय है कि भारत आतंकवाद को माफ नहीं करता और ना ही भूलता है.