मिलिए दुनिया के सबसे बुजुर्ग बच्चे से, 9 महीने नहीं पैदा होने में लगे 30 साल- पढ़ें एक अनोखी कहानी
बच्चे 9 महीने बाद पैदा होते हैं. कुछ प्रीमैच्योर होते हैं, लेकिन सोचिए कोई नवजात 30 साल बाद पैदा हुआ हो? यह अमेरिका में हुआ है, जहां दुनिया का सबसे बुजुर्ग बच्चा हुआ है. अब आप सोच रहे होंगे ये कैसे मुमकिन है. मेडिकल साइंस की मदद से यह संभव हुआ, जिससे ये रिकॉर्ड बना.
अमेरिका के ओहायो में एक ऐसा अद्भुत वाकया हुआ है, जिसने मेडिकल लाइन और लोगों के दिलों में एक नई उम्मीद जगाई है. 26 जुलाई को थैडियस डैनियल पियर्स नाम का एक बच्चा इस दुनिया में आया, जो अपनी उम्र के हिसाब से सबसे अलग है.
इसकी खासियत यह है कि उसका जन्म उस भ्रूण से हुआ जो 1994 से क्रायोप्रिजर्व यानी फ्रोजन रखा गया था. यानी, यह बच्चा लगभग 30 साल पुराने भ्रूण से पैदा हुआ है और इस वजह से इसे ‘दुनिया का सबसे बुजुर्ग बच्चा’ माना जा रहा है.
सात साल की कोशिशें और आखिरकार सफलता
थैडियस के माता-पिता लिंडसे और टिम पियर्स, सात साल से कंसीव करने की कोशिश कर रहे थे. कई बार ट्राई किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ, फिर भी हौसला नहीं टूटा. आखिरकार उन्होंने एक अनोखा फैसला लिया. जहां कपल ने 62 साल की लिंडा आर्चर्ड से भ्रूण ‘गोद’ लिया. लिंडा ने भ्रूण को दशकों से स्टोर किया हुआ था. यह कदम कपल की जिंदगी का नया मोड़ साबित हुआ.
IVF तकनीक और सुरक्षित रखे गए भ्रूण
1990 के दशक की शुरुआत में लिंडा आर्चर्ड को प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आ रही थीं. इसलिए उन्होंने IVF तकनीक अपनाई. उस समय चार भ्रूण बनाए गए. एक भ्रूण को लिंडा के गर्भ में ट्रांसफर किया गया, जिससे उनकी बेटी का जन्म हुआ, जो अब 30 साल की है और 10 साल की बच्ची की मां भी है. बाकी भ्रूणों को फ्रोजन रखा गया, जिससे यह बच्चा हुआ है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रेग्नेंसी में नई राह
इसी बीच, दूसरी एक कहानी भी सामने आई. एक जोड़े ने 18 साल तक कंसीव करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे क्योंकि पति को ‘एज़ोस्पर्मिया’ नामक दुर्लभ बीमारी थी, जिसमें सीमन में कोई मेज़रेबल स्पर्म नहीं होता है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर ने एक जोड़े की मदद के लिए एक खास तकनीक बनाई जिसका नाम STAR – यानी स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी है. इस तकनीक में एआई की मदद ली गई. एआई ने सीमन के सैंपल में छिपे हुए और बहुत ही कम मात्रा में मौजूद स्पर्म को खोज निकाला, जिन्हें आमतौर पर ढूंढना मुश्किल होता है. इसके बाद उन्हीं शुक्राणुओं का इस्तेमाल करके इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के ज़रिए महिला के एग्स को फर्टिलाइज किया गया. इस तकनीक की मदद से महिला पहली बार गर्भवती हुई. यानी एआई ने मां बनने की उनकी उम्मीद को सच कर दिखाया.
नई तकनीक, नई उम्मीदें
यह दोनों घटनाएं एक बार फिर दिखाती हैं कि विज्ञान और तकनीक की मदद से इंसानी जीवन को नई दिशा दी जा सकती है. चाहे वो 30 साल पुराने भ्रूण से जन्म हो या AI की मदद से पहली बार सफल गर्भधारण, ये कहानियां उम्मीद की किरणें हैं. ये साबित करती हैं कि निराशा के बाद भी जीवन में खुशियां मिल सकती हैं- बस हिम्मत और सही रास्ता चाहिए.





