कनाडा में खुल गया खालिस्तानी दूतावास? सरे ग़ुरुद्वारे के कैंपस में लगा 'Republic of Khalistan' लिखा बोर्ड
कनाडा के सरे शहर में गुरु नानक सिख ग़ुरुद्वारे के परिसर में 'Embassy of Khalistan' का बोर्ड लगाए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. यह कथित दूतावास SFJ द्वारा बनाया गया है. बताया गया कि यह इमारत ब्रिटिश कोलंबिया सरकार की फंडिंग से बनी थी. CSIS की रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा में फंडिंग और भारत विरोधी गतिविधियों की योजना बना रहे हैं.

कनाडा के सरे (Surrey) शहर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां ‘Embassy of Khalistan’ यानी 'खालिस्तान दूतावास' का बोर्ड एक ग़ुरुद्वारे के प्रांगण में लगाया गया है. यह कथित दूतावास कट्टरपंथी संगठन Sikhs for Justice (SFJ) द्वारा स्थापित किया गया है, जिसे ग़ुरुद्वारा गुरु नानक सिख टेम्पल का समर्थन प्राप्त है. बोर्ड पर 'Republic of Khalistan' लिखा गया है और यह दफ्तर उसी इमारत में स्थित है जिसे स्थानीय सरकार द्वारा फंड किया गया था.
CNN-न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय लोग बताते हैं कि इस इमारत को बनाने के लिए ब्रिटिश कोलंबिया सरकार ने आर्थिक सहायता दी थी, और हाल ही में एक एलिवेटर लगाने के लिए $150,000 की ग्रांट भी दी गई थी. यह मामला भारतीय खुफिया एजेंसियों की उन चिंताओं को और गहराता है जिसमें लगातार यह दावा किया गया है कि कनाडा की जमीन पर खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियां चलाई जा रही हैं.
CSIS (Canadian Security Intelligence Service) की हालिया रिपोर्ट भी बताती है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा को फंडिंग और योजना बनाने का अड्डा बनाए हुए हैं. भारत सरकार पहले से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाती रही है.
गुरुद्वारे में 'खालिस्तान दूतावास' का बोर्ड
सरे के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे में एक भवन के बाहर 'Embassy of Khalistan' लिखा हुआ बोर्ड लगा है. यह इमारत एक सामुदायिक केंद्र है, और स्थानीय संगठनों के कार्यक्रमों के लिए उपयोग होती रही है. स्थानीय निवासियों ने बताया कि जिस इमारत में यह बोर्ड लगाया गया है, उसका निर्माण ब्रिटिश कोलंबिया सरकार की मदद से किया गया था.
SFJ की संलिप्तता
इस तथाकथित दूतावास के पीछे प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन Sikhs for Justice (SFJ) का नाम सामने आ रहा है. SFJ भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है और 2020 से भारत में प्रतिबंधित है. जून में कनाडा की CSIS (Canadian Security Intelligence Service) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा की जमीन का दुरुपयोग भारत के खिलाफ कर रहे हैं.
भारत की चिंता व पुरानी मांग
भारत सरकार वर्षों से कनाडा से मांग करती रही है कि वह अपनी धरती से खालिस्तानी गतिविधियों पर रोक लगाए. 1980 के दशक से यह मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ बना हुआ है. CSIS की रिपोर्ट में Politically Motivated Violent Extremism (PMVE) के तहत Canada-Based Khalistani Extremists (CBKEs) को एक प्रमुख खतरे के रूप में दर्शाया गया है जो वैश्विक स्तर पर हिंसा को फंड और प्लान करते हैं.
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कनाडा की सरकार इस 'खालिस्तान दूतावास' के बोर्ड पर कोई कार्रवाई करेगी या फिर इसे 'स्वतंत्र अभिव्यक्ति' का हिस्सा मानते हुए नजरअंदाज किया जाएगा.