इराक का वो तानाशाह जिसने फर्श पर लगवाई थी अमेरिकी राष्ट्रपति की तस्वीर, 27 लीटर खून से लिखवाई कुरान
16 जुलाई 1979 को सद्दाम इराक का राष्ट्रपति बन गया. अगस्त 1979 आते-आते इसने अपने 68 राजनीतिक दुश्मनों को मरवा डाला और 22 को फांसी की सजा दे दी. 2003 में अमेरिका और उनके सहयोगियों ने इराक पर आक्रमण किया, जिसके बाद सद्दाम हुसैन की सत्ता गिर गई. दिसंबर 2003 में सद्दाम को अमेरिकी सेनाओं ने पकड़ लिया. उन्हें 30 दिसंबर 2006 को फांसी दे दी गई.

इराक के पांचवें राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को इतिहास में अपनी क्रूरता और तानाशाही के लिए जाना जाता है. उनका शासनकाल 1979 से 2003 तक चला. सद्दाम हुसैन ने सत्ता में आते ही राजनीतिक विरोधियों को कुचलना शुरू कर दिया. उनकी सुरक्षा एजेंसियां लोगों पर कड़ी नजर रखती थीं और कोई भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता था. उन्होंने हजारों लोगों को कैद में डाला, यातनाएं दीं और कईयों को मौत के घाट उतार दिया.
16 जुलाई 1979 को सद्दाम इराक का राष्ट्रपति बन गया. अगस्त 1979 आते-आते इसने अपने 68 राजनीतिक दुश्मनों को मरवा डाला और 22 को फांसी की सजा दे दी. 2003 में अमेरिका और उनके सहयोगियों ने इराक पर आक्रमण किया, जिसके बाद सद्दाम हुसैन की सत्ता गिर गई. दिसंबर 2003 में सद्दाम को अमेरिकी सेनाओं ने पकड़ लिया. उन्हें 2006 में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और 30 दिसंबर 2006 को फांसी दे दी गई.
फांसी से पहले क्या हुआ था?
सद्दाम हुसैन की सिक्योरिटी में लगाए गए विल बार्डनवर्पर ने अपनी किताब 'दी प्रिज़न इन हिज़ पैलेस' में उनके अंतिम दिनों के बारे में लिखा. उन्होंने लिखा कि 30 दिसंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को फांसी दिया जाना था. उसे तीन बजे उठाकर बताया गया कि उन्हें कुछ ही देर बाद फांसी दी जाएगी. सद्दाम मायूस हुए. वह ख़ामोशी से जाकर स्नान किया और फांसी के लिए ख़ुद को तैयार करने लगे. सद्दाम हुसैन को उम्मीद थी कि उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी.
27 लीटर खून से लिखवाई थी कुरान
1990 के दशक में सद्दाम हुसैन ने अपने खून से कुरान लिखवाई थी. माना जाता है कि खून से कुरान लिखना हराम है लेकिन सद्दाम हुसैन पर इसका असर नहीं पड़ा. कैलिग्राफर अब्बास शाकिर जौदी ने दो सालों में सद्दाम के 27 लीटर खून से कुरान के 336000 शब्द लिखे थे. कुरान के सभी 114 अध्यायों को 605 पन्नों में लिखा गया था. इस कुरान को बगदाद की एक मस्जिद में रखा गया था. सद्दाम को फांसी दिए जाने के बाद इस कुरान के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लग गई थी.
कुवैत पर इराक का हमला
अगस्त 1990 में सद्दाम हुसैन ने तेल के दामों में गिरावट के लिए कुवैत को जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद, उन्होंने अपनी सेना को कुवैत पर हमला करने का आदेश दिया. 2 अगस्त 1990 को इराकी सेना ने कुवैत पर कब्जा करने के लिए कदम बढ़ाया और मात्र छह घंटे के भीतर कुवैत पर नियंत्रण कर लिया. अमेरिका ने तुरंत इराक से कुवैत खाली करने की मांग की, लेकिन सद्दाम हुसैन ने इनकार करते हुए कुवैत को इराक का 19वां प्रांत घोषित कर दिया. इसके बाद, 3 अगस्त 1990 को इराक ने सऊदी अरब की सीमा पर अपनी सेना तैनात कर दी. कुवैत की मुक्ति के लिए अमेरिका के नेतृत्व में 28 देशों का गठबंधन बना. जनवरी 1991 में इराक के खिलाफ युद्ध शुरू हुआ. अमेरिका के हवाई हमलों से इराक को भारी नुकसान हुआ और अंततः उसे कुवैत से पीछे हटना पड़ा. इराक ने पीछे हटते समय कई तेल कुंओं में आग लगा दी, जिससे उसे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.
होटल में लिखा 'बुश इज क्रिमिनल'
खाड़ी युद्ध के बाद बगदाद में फाइव स्टार अल रशीद होटल बनवाया. कहा जाता है कि सद्दाम हुसैन के आदेश पर होटल के मुख्य द्वार के हॉल में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश की तस्वीर को लगाया गया था. इस होटल में जब भी दुनिया के प्रमुख नेता आते, तो उन्हें बुश की तस्वीर पर पैर रखकर गुजरना पड़ता था. तस्वीर पर अंग्रेजी और अरबी में 'बुश इज क्रिमिनल' लिखा हुआ था. 2003 में इराक पर अमेरिकी सेना के कब्जे के बाद इस तस्वीर को हटा दिया गया था.
युद्ध में लाखों लोगों की हुई मौत
सद्दाम हुसैन चाहता था कि उसके पास भी जलमार्ग हो और बंदरगाह हो. इसके लिए 1980 में वह ईरान से शट्ट-अल-अरब जलमार्ग लेना चाहता था. उसने तेहरान पर युद्ध की घोषणा कर दी. इस युद्ध में उसने नागरिकों के खिलाफ मस्टर्ड गैस और तंत्रिका एजेंटों जैसे रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. आठ साल तक चली इस लड़ाई में लाखों लोगों की मौत हो गई.