तुर्की में पैगंबर के कथित कार्टून पर बवाल, कार्टूनिस्ट Dogan Pehlivan समेत 4 गिरफ्तार, गृह मंत्री ने पत्रकारों को दिए 'शाप'
तुर्की के इस्तांबुल में पत्रिका लेमैन द्वारा प्रकाशित सक कार्टून के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शन ने लोगों को साल 2015 में पेरिस में हुए चार्ली हेब्दो हमले की याद दिला दी. उस समय पैगंबर मुहम्मद के कार्टून को लेकर फ्रांस की चर्चित कार्टून मैगजीन के ऑफिस पर हमला हुआ था. प्रदर्शनकारियों के हमले में संपादक समेत 12 लोगों की जान चली गई थी.

तुर्की की चर्चित पत्रिका लेमैन की ओर से प्रकाशित एक कार्टून के खिलाफ भारी संख्या में इस्लामवादी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आये हैं. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कार्टूनिस्टों ने पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा का अपमान किया है. उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास किया है. सोमवार को इस्तांबुल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पुलिस ने गुस्साई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पत्रिका लेमैन ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित कर अच्छा नहीं किया.
कार्टून से नाराज इस्लामवादियों ने इस्तांबुल में लेमन मैगजीन के ऑफिस के बाहर नारे लगाते कह रहे थे, ‘दांत के बदले दांत, खून के बदला खून’ लेंगे. कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्रिका के दफ्तर पर पत्थरबाजी भी की.
कार्टूनिस्ट Dogan Pehlivan समेत 4 गिरफ्तार
इस बीच इस्तांबुल सहित अन्य शहरों में इस मसले पर विरोध प्रदर्शन बढ़ने के बाद तुर्की पुलिस ने पत्रिका के चार पत्रकारों को सोमवार (30 जून) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस्तांबुल पुलिस ने चार व्यक्तियों में से एक की पहचान कार्टूनिस्ट डोगन पहलवान (Dogan Pehlivan) के रूप में की है. अन्य की पहचान ग्राफिक डिजाइनर सी.ओ., पत्रिका के प्रधान संपादक जेड.ए. और पत्रिका के संस्थागत निदेशक ए.वाई. के रूप में की है.
पत्रिका लेमैन द्वारा प्रकाशित कार्टून की तुर्की सरकार के अधिकारियों और धार्मिक रूढ़िवादियों ने कड़ी निंदा की, उन्होंने कलाकारों पर धार्मिक मूल्यों का अपमान करने का आरोप लगाया है.
क्या है मामला?
दरअसल,पत्रिका लेमैन ने प्रकाशित कार्टून में पैगंबर मूसा और मुहम्मद को आसमान में हाथ मिलाते हुए दिखाया था, जबकि मिसाइलें युद्ध जैसा नजारा दिखा रही थीं. इस कार्टून को व्यापक रूप से लोगों ने संघर्ष के विपरीत धार्मिक सद्भाव पर एक तल्ख टिप्पणी के रूप में लिया. इसी को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है. लोगों में गहरा असंतोष है.
तुर्की के मंत्री ने कार्टूनिस्टों को दिया शाप
तुर्की के आंतरिक मंत्री (गृह मंत्री) अली येरलिकाया ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस अधिकारी कार्टूनिस्ट डोगन पहलवान को हिरासत में लेने के बाद उसे अमानवीय तरीके से उसकी पीठ के पीछे हथकड़ी लगाकर उसे एक इमारत की सीढ़ियों से ऊपर खींचते हुए ले जा रहे हैं.
अपने पोस्ट में मंत्री येरलिकाया ने लिखा, "मैं एक बार फिर उन लोगों को शाप देता हूं जो हमारे पैगंबर मुहम्मद का कार्टून बनाकर कलह फैलाने की कोशिश करते हैं."
उन्होंने अपने पोस्ट में ये भी लिखा है, "जिस व्यक्ति ने यह घृणित चित्र बनाया, उस डी.पी. को गिरफ्तार कर लिया गया है और हिरासत में ले लिया गया है. इन बेशर्म लोगों को कानून के सामने जवाबदेह ठहराया जाएगा."
मंत्री येरलिकाया ने बाद में दो अन्य वीडियो पोस्ट किए, जिसमें वहां की पुलिस दो अन्य लोगों को जमीन पर लिटाकर जबरन उनके घरों से ले जा रही थी. पुलिसकर्मी उन्हें वैन में घसीट रहे थे. उनमें से एक नंगे पैर चल रहा था.
तुर्की के न्याय मंत्री यिलमाज टुनक ने कहा कि तुर्की दंड संहिता की धारा 216 के तहत जांच शुरू की गई है, जो घृणा और दुश्मनी को बढ़ावा देने की घटना को गंभीर अपराध मानती है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में कुल छह लोगों के लिए हिरासत में लेने के आदेश दिए गए हैं.
लेमन पत्रिका ने पेश की सफाई
काटूर्न के खिलाफ लोगों को विरोध को देखते हुए लेमन पत्रिका ने एक्स पर अपने बयान में उन पाठकों से माफी मांगी है, जिनकी भावनाएं इससे आहत हुई हैं. पत्रिका की ओर से कहा गया है कि प्रकाशित कार्टून को गलत समझा गया है. कार्टून को प्रकाशित करने के पीछे हमारा मकसद "इजराइली हमलों में मारे गए एक मुस्लिम व्यक्ति की पीड़ा" को उजागर था. इस्लाम या पैगंबर का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था.
पत्रिका ने एक्स पोस्ट में आगे कहा, "मुहम्मद नाम दुनिया भर में मुसलमानों द्वारा पैगंबर का सम्मान करने के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले नामों में से एक है. कार्टून पैगंबर को चित्रित नहीं करता है और धार्मिक मूल्यों का मजाक उड़ाने के लिए नहीं बनाया गया था."
स्वतंत्रता के मामले में तुर्की की रैंकिंग बहुत खराब
बता दें कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में तुर्की की रैंकिंग पिछले कुछ वर्षों के दौरान लगातार कम हुई है, जो मीडिया और सार्वजनिक प्रवचन पर महत्वपूर्ण प्रतिबंधों का प्रतीक है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपने 2024 प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में तुर्की को 180 देशों में से 158वें स्थान पर रखा है.
चार्ली हेब्दो कार्टून विवाद की दिला दी याद
तुर्की के इस्तांबुल में पत्रिका लेमैन द्वारा प्रकाशित सक कार्टून के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शन ने लोगों को साल 2015 में पेरिस में हुए चार्ली हेब्दो हमले की याद दिला दी है. उस समय पैगंबर मुहम्मद के कार्टून को लेकर फ्रांस की चर्चित कार्टून मैगजीन के ऑफिस पर हमला हुआ था. इसमें संपादक समेत 12 लोगों की जान चली गई थी. कई लोग घायल भी हुए थे. चार्ली हेब्दो लंबे समय से अपने विवादास्पद और तीखे राजनीतिक-धार्मिक कार्टूनों के लिए जाना जाता था.