बंकर बस्टर बम भी कुछ बिगाड़ नहीं पाया, ईरानी अधिकारियों की इंटरसेप्ट कॉल में क्या-क्या चला पता?
ईरान के इंटरसेप्टेड कम्युनिकेशन से संकेत मिले हैं कि हालिया अमेरिकी हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपेक्षा से कम नुकसान हुआ. जबकि ट्रंप ने इसे 'पूरी तरह तबाह' बताया है. अमेरिकी खुफिया सूत्र इन दावों को अविश्वसनीय मान रहे हैं. वहीं, वॉइट हाउस ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब निष्क्रिय हो चुका है.

अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच की इंटरसेप्टेड बातचीत से यह संकेत मिला है कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम को उतना नुकसान नहीं पहुंचा जितना अमेरिका दावा कर रहा है. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बातचीत में ईरानी अधिकारी यह कह रहे थे कि हमलों की मारक क्षमता अपेक्षाकृत सीमित रही. यह दावा अमेरिका के उस बयान से अलग है जिसमें कहा गया था कि बंकर बस्टर बमों ने ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे को पूरी तरह तबाह कर दिया.
हालांकि, कुछ अमेरिकी खुफिया सूत्र इन बातचीतों को संदेह की नजर से देख रहे हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह इंटरसेप्टेड डेटा "विश्वसनीय नहीं" है और इसका इस्तेमाल ईरान अपनी क्षमताएं छुपाने के लिए कर सकता है. अधिकारी ने कहा कि सिग्नल इंटेलिजेंस (संवाद आधारित खुफिया) केवल तस्वीर का एक पहलू दिखाता है और यह जरूरी नहीं कि वास्तविक जमीनी हालात को प्रतिबिंबित करता हो.
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब ईरान के परमाणु ठिकानों को हुए नुकसान को लेकर विरोधाभासी आंकलन सामने आए हैं. अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी की एक लीक रिपोर्ट पहले ही संकेत दे चुकी है कि इन हमलों से ईरान का कार्यक्रम नष्ट नहीं हुआ बल्कि उसे कुछ महीनों के लिए पीछे धकेला गया है. यानी, खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है और ईरान दोबारा से अपनी गतिविधियों को रफ्तार दे सकता है.
ट्रंप का दावा बनाम हकीकत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ोर देकर कहा है कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “पूरी तरह खत्म कर दिया” है. उन्होंने बंकर बस्टर बमों की मारक क्षमता को निर्णायक करार दिया. लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट और खुफिया दस्तावेजों की माने तो यह बयान ज्यादा राजनीतिक प्रतीत होता है, क्योंकि अमेरिकी एजेंसियों ने अब तक सार्वजनिक रूप से हमलों की सफलता की कोई ठोस पुष्टि नहीं की है.
व्हाइट हाउस ने लगाया 'भ्रम फैलाने' का आरोप
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट सामने आने के बाद व्हाइट हाउस ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है. प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन ने रिपोर्ट को "बकवास धारणा" करार देते हुए कहा कि “ईरानी अधिकारियों को यह कैसे पता हो सकता है कि सैकड़ों फीट मलबे के नीचे क्या हुआ?” उन्होंने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब निष्क्रिय है और अमेरिका ने अपने सैन्य उद्देश्य हासिल कर लिए हैं.
रणनीतिक धुंध में घिरा परमाणु संकट
यह स्थिति दर्शाती है कि अमेरिका और ईरान के बीच केवल मिसाइलों और ड्रोन की लड़ाई नहीं, बल्कि एक ‘सूचना युद्ध’ भी जारी है. जहां एक ओर ईरान हमले के प्रभाव को छोटा दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं अमेरिका उसे निर्णायक साबित करना चाहता है. इस स्थिति में सबसे बड़ा खतरा यही है कि दोनों देशों की पॉलिटिकल नरेटिव्स के बीच वास्तविक खतरे को सही से आंका न जा सके, जिससे आने वाले महीनों में एक और टकराव की जमीन तैयार हो सकती है.