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पाकिस्तान को अब कैसे आई कैप्टन करनाल शेर खान की याद? भारत ने दिलाई पहचान

भारत पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल वार के दौरान टाइगर हिल लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के कैप्टन कर्नल शेर खान इंडियन आर्मी के हाथों मारे गए थे. पाकिस्तान ने उस समय शेर खान का शव लेने से इनकार कर दिया था. भारतीय सेना ने उनकी वीरता को सलाम किया और उसकी बहादुरी की सिफारिश की. अब असीम मुनीर ने शहीदी दिवस पर याद किया.

पाकिस्तान को अब कैसे आई कैप्टन करनाल शेर खान की याद? भारत ने दिलाई पहचान
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( Image Source:  Facebook/Captain Karnal Sher Khan Shaheed (Nishan Haider) )

पहलगाम आतंकी हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' का सच दुनिया से छिपाने वाली पाकिस्तानी सेना का दोहरा चरित्र एक बार फिर बेपर्दा हो गया. दरअसल, पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को 26 साल पहले यानी कारगिल में मारे गए एक सैनिक की याद अब आ रही है. सच यह है कि साल 1999 में युद्ध के दौरान भारतीय सेना के हाथों मारे गए कैप्टन करनाल शेर खान का शव लेने से पाकिस्तानी सेना ने इनकार कर दिया था.

अब यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर समेत कई बड़े अधिकारियों ने कैप्टन करनाल शेर खान शहीद को श्रद्धांजलि दी. जिसे मुनीर ने श्रद्धांजलि दी वो वही कैप्टन खान हैं, जिनका शव पाकिस्तान ने स्वीकार तक करने से इनकार कर दिया था.

फील्ड मार्शल असीम मुनीर समेत बड़े सैन्य अधिकारियों ने कारगिल वार के 26 साल पूरे होने के बाद शहीद दिवस पर कैप्टन खान को याद किया. टीओआई के अनुसार जब द्रास सब सेक्टर में टाइगर हिल में कैप्टन खान का शव मिला था, तो पाकिस्तान ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. भारतीय दूतावास ने इस बात की पुष्टि की है. वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास की तरफ से 15 जुलाई 1999 में जारी की गई विज्ञप्ति के हवाले से यह बात कही गई है. खबर है कि भारत ने 12 जुलाई को पाकिस्तान से संपर्क किया था और कहा था कि वह पाकिस्तानी सेना कर शव सौंपना चाहते हैं.

शवों की पहचान से इसलिए बच रहा पाकिस्तान - भारतीय दूतावास

भारतीय दूतावास ने कहा था, 'यह साफ है कि पाकिस्तान इन शवों की पहचान के बारे में जानता है, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करना चाहता. ऐसा करने से उनकी सेना के करगिल में शामिल होने का पर्दाफाश हो जाएगा. ऐसा करने से वो अपने सैनिकों को परिवारों के प्रति और हर जगह सशस्त्र बलों की परंपराओं का अपमान कर रहे हैं.'

कब माना पाकिस्तान?

बता दें कि 13 जुलाई को ICRC यानी इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस ने भारत से संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान ने उनसे भारत से बातचीत करने का अनुरोध किया है. ताकि दो अधिकारियों के शव उन्हें सौंपे जा सकें. उसके बाद दूतावास ने बयान जारी किया था, 'पाकिस्तान के पास जानकारी होने के बाद भी उनकी तरफ से किए गए अनुरोध में दो अधिकारियों के नाम और पहचान नहीं बताए गए हैं. वजह साफ पाकिस्तानी अधिकारियों को एहसास हो गया है कि अगर वो इन दो अधिकारियों की पहचान मान लेते हैं, तो उनका झूठ पकड़ा जाएगा कि पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में शामिल थी.

सच्चाई क्या है?

सच्चाई यह है कि कैप्टन करनाल शेर खान करगिल युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से लड़ते हुए मारे गए थे. भारत ने उनकी वीरता को सम्मान दिया था, जबकि पाकिस्तान की सेना ने पहले उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था. पाकिस्तान की इस रणनीति से साफ है कि वो अपने फौज का मनोबल टूटने से बचाना चाहता है. जनता में सरकार के खिलाफ जो गुस्सा भड़क रहा हो, उस कम करने के लिए इमोशनल कार्ड खेल रहा है.

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