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कौन है अमेरिकी एजेंसी के हत्थे चढ़ा ओपिंदर सिंह? भारत के खिलाफ पाकिस्तान के लिए क्यों करता है काम, हिज्बुल्लाह से भी निकला लिंक

अमेरिकी एजेंसी ने भारत के वांछित गैंगस्टर और तस्कर ओपिंदर सिंह को ब्रिटिश कोलंबिया से गिरफ्तार किया. उस पर तस्करी, आतंक नेटवर्क और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. जानिए कौन है ओपिंदर सिंह और कब से वह भारत के खिलाफ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम कर रहा था? हिज्जबुल्लाह से क्या है उसका लिंक?

कौन है अमेरिकी एजेंसी के हत्थे चढ़ा ओपिंदर सिंह? भारत के खिलाफ पाकिस्तान के लिए क्यों करता है काम, हिज्बुल्लाह से भी निकला लिंक
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( Image Source:  @401_da_sarpanch )

अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी (DEA) ने पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI, चीन और खालिस्तान से जुड़े एक ड्रग कार्टेल का भंडाफोड़ किया है. साथ ही एक कुख्यात भारतीय-कनाडाई गैंगस्टर ओपिंदर सिंह सियान उर्फ थानोस को भी गिरफ्तार किया है. एक रिपोर्ट के अनुसार सियान को ब्रिटिश कोलंबिया से एक वैश्विक फेंटेनाइल और मेथामफेटामाइन तस्करी गिरोह चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सियान आईएसआई समर्थित 'ब्रदर्स कीपर्स' गिरोह का एक वरिष्ठ सदस्य था, जिसके सदस्य भारत के पंजाब से संबंध थे, जिनमें से कई कनाडाई नागरिक शामिल हैं.

गैंगस्टर ओपिंदर सिंह भारत में आपराधिक वारदातों के लिए जाना जाता था. अब अमेरिका में ISI जैसे दुश्मन नेटवर्क के लिए काम करते हुए पकड़ा गया है. अमेरिका की धरती पर यह गिरफ्तारी सिर्फ एक क्रिमिनल केस नहीं बल्कि भारत की सुरक्षा से जुड़ा बड़ा अलार्म है.

कौन है ओपिंदर सिंह?

ओपिंदर सिंह एक कुख्यात भारतीय गैंगस्टर है, जो लंबे समय तक दिल्ली और पंजाब में आपराधिक गिरोह चलाता रहा. उस पर हत्या, रंगदारी, अवैध हथियारों की तस्करी और नशे के कारोबार जैसे गंभीर आरोप हैं. भारत में उसके खिलाफ कई केस दर्ज हैं, लेकिन वह कुछ साल पहले फरार हो गया और बताया जाता है कि फर्जी पासपोर्ट के जरिए पहले कनाडा और फिर अमेरिका पहुंच गया.

अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी (DEA) ने ओपिंदर सिंह को 27 जून को एरिजोना में गिरफ्तार किया था, जब जांच कर्ताओं ने उसे ऑस्ट्रेलिया में मेथामफेटामाइन और कनाडा के रास्ते अमेरिका में फेंटेनाइल के लिए रसायनों की तस्करी से जोड़ा था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अदालती दस्तावेजों से पता चला है कि 2022 की जांच में सियान के मेक्सिको के सिनालोआ कार्टेल के अलावा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) से जुड़े रासायनिक आपूर्तिकर्ताओं के साथ भी परिचालन संबंध पाए गए थे.

साल 2021-2022 में सियान के संदिग्ध संबंधों के सामने आने के बाद डीईए ने एक अंडरकवर ऑपरेशन के दौरान उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए जाल बिछाया. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रारंभिक जांच एक तुर्की खुफिया एजेंसी से मिली सूचना के बाद की गई थी.

ड्रग कार्टेल का खालिस्तान से संबंध सामने आया

टीओआई के अनुसार सियान आईएसआई समर्थित 'ब्रदर्स कीपर्स' गिरोह का एक वरिष्ठ सदस्य था, जिसके भारत के पंजाब से कई लड़ाके जुड़े हुए हैं, जिनमें से कई कनाडाई नागरिक हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि गिरोह ने कई बार जानबूझकर खालिस्तानी आतंकवादियों को बढ़ावा दिया और एयर इंडिया बम विस्फोट के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार और अन्य के समर्थन में आयोजित श्रद्धांजलि रैलियों में भी सक्रिय रहा.

कनाडाई पुलिस के अनुसार यह समूह कोकीन, एमडीएमए, हेरोइन, फेंटेनाइल और मेथामफेटामाइन की बड़े पैमाने पर तस्करी करता था। कथित तौर पर, वे हथियारों की तस्करी, हत्या, जबरन वसूली और सशस्त्र डकैती में भी शामिल थे.

अगस्त 2008 में एक गोलीबारी में घायल होने के बाद सियान सत्ता में आया, लेकिन उसके दोस्त गुरप्रीत सिद्धू की मृत्यु हो गई। मई 2011 में सियान पर एक और जानलेवा हमला हुआ, और इन घटनाओं ने कार्टेल में उसकी स्थिति को और मजबूत किया, जिससे कनाडा के अंडरवर्ल्ड में उसका तेजी से उदय हुआ. डीईए ने बताया कि सियान का संबंध कुख्यात किनाहन अपराध परिवार से भी पाया गया, जो हिज्बुल्लाह से जुड़ा है.

नए अदालती दस्तावेजों में कहा गया है कि सियान ने 2023 में कनाडा के वैंकूवर में "क्वीन" नामक एक गोपनीय अमेरिकी अंडरकवर सूत्र और पीटर पेंग झोउ नामक एक चीनी कार्टेल व्यक्ति के बीच एक बैठक की व्यवस्था की थी.

एक भारतीय-कनाडाई सहयोगी के साथ एक ट्रकिंग कंपनी चलाने वाले इस चीनी व्यक्ति ने खुलासा किया कि वह अपनी ट्रकिंग कंपनी के जरिए "चीन से वैंकूवर में फेंटेनाइल प्रीकर्सर रसायन प्राप्त कर सकता था. लॉस एंजिल्स में प्रति माह 100 किलो रसायन भेज सकता था.

भारत के खिलाफ ‘खास मिशन’ पर था ओपिंदर

ओपिंदर सिंह ISI के लिए काम कर रहा था और अमेरिका में रहकर भारतीय समुदाय की जासूसी करता था. वह अमेरिका और कनाडा में भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने वाले समूहों के साथ संपर्क में था. उसके पास से कई संदिग्ध दस्तावेज, फर्जी पासपोर्ट और डिजिटल डेटा बरामद हुआ है, जो भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद चिंताजनक है.

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