अब पाकिस्तान चल रहा झूठ और डर का कार्ड, झल्लाहट में झलक रही भारत की निर्णायक जीत
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सेना और नेता हताशा में भारत पर काल्पनिक धमकियां दे रहे हैं. ISPR के जनरल चौधरी ने सिंधु जल समझौते को लेकर छह नदियाँ छीनने की धमकी दी. बिलावल भुट्टो परमाणु युद्ध का डर दिखा रहे हैं, जबकि शहबाज शरीफ 1971 की हार का बदला होने का दावा कर रहे हैं. भारत की कूटनीति से उनकी कमजोरियां उजागर हुईं.

पाकिस्तानी नेता और सैन्य अधिकारी अब हकीकत से आंखें चुराते हुए बयानबाजी की राजनीति में फंसे नजर आ रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा पीओजेके में आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स के बाद पाकिस्तान का सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व गहरे दबाव में है. देश की जनता के गुस्से को भटकाने के लिए अब पाकिस्तानी अधिकारी भारत पर काल्पनिक धमकियों और बेहूदी दलीलों का सहारा ले रहे हैं.
सबसे ताजा बयान इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी का है, जिन्होंने भारत को यह कहकर धमकी दी कि सिंधु जल समझौते का उल्लंघन होने पर भारत छह नदियों पर अधिकार खो देगा. चौधरी ने यहां तक कह दिया कि चूंकि कश्मीर 'विवादित' क्षेत्र है, इसलिए भविष्य में इसके पाकिस्तान में विलय की स्थिति में इन नदियों का नैतिक और कानूनी अधिकार भारत के पास नहीं रहेगा.
भारत पर लगा रहा बेबुनियाद आरोप
यह बयान उस हताशा को दर्शाता है जो भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के कदम के बाद पाकिस्तान के उच्च स्तर पर महसूस की जा रही है. पानी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बखूबी पता है कि यह समझौता ही उसकी जीवनरेखा है, फिर भी वह अपनी अवाम को गुमराह करने के लिए भारत पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है. ये बयान असल में भारत के रणनीतिक दबाव के जवाब में उभरती मानसिक अस्थिरता को दर्शाते हैं.
पाक नेता कर रहे न्यूक्लियर ब्लैकमेल
इस स्थिति में पूर्व विदेश मंत्री और PPP प्रमुख बिलावल भुट्टो ने एक और खतरनाक रास्ता चुना है- न्यूक्लियर ब्लैकमेल. उन्होंने खुलेआम चेतावनी दी कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो इसकी कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ेगी. यह बयान उस अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति को खींचने की कोशिश है, जिसकी पाकिस्तान को सख्त जरूरत है, क्योंकि FATF और वैश्विक मंचों पर उसकी छवि लगातार गिरती जा रही है.
ले लिया 1971 की हार का बदला?
शहबाज शरीफ ने भी अपनी विफलताओं पर पर्दा डालते हुए दावा किया कि पाकिस्तान ने 1971 की हार का बदला ले लिया है. उनका यह दावा किसी हास्य से कम नहीं, खासकर तब जब ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर पाकिस्तान को चौतरफा सैन्य और राजनयिक दबाव में ला दिया. यही नहीं, पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयाँ नाकाम रहीं और उसे चार दिन के संघर्ष के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर मजबूर होना पड़ा.
खुद के घर में पड़ी दरार
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोकने पर सहमति बनी, लेकिन इस तनाव के बाद एक बात और स्पष्ट हो गई. भारत अब सीमित युद्ध का जवाब सीमित नहीं देगा. पाकिस्तान की चालें न सिर्फ नाकाम हुईं बल्कि उसके भीतर की राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक कमजोरी भी उजागर हो गई. भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह न सिर्फ पानी की लड़ाई में, बल्कि सीमाओं की सुरक्षा में भी निर्णायक बढ़त रखता है.