क्या तय हो गई यूनुस सरकार की विदाई? बांग्लादेश की सत्ता में भूचाल का खतरा, बोले- मुश्किल है काम करना
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस गहरे राजनीतिक संकट में फंस गए हैं. छात्र आंदोलनों, बढ़ती हिंसा और अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं के बीच यूनुस इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं. राजनीतिक दलों के बीच सहमति की कमी और चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोपों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. अब देश का नेतृत्व एक अस्थिर मोड़ पर आ पहुंचा है.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक गहरे राजनीतिक संकट से जूझ रहे हैं. देशभर में बढ़ती हिंसा, चोरी की घटनाएं और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों ने न सिर्फ प्रशासनिक नियंत्रण पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यूनुस की नेतृत्व क्षमता पर भी शंका की तलवार लटका दी है. अब खबरें हैं कि मोहम्मद यूनुस इस्तीफे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि राजनीतिक दलों के बीच लगातार टकराव ने प्रशासन को पंगु बना दिया है.
इस स्थिति ने छात्र आंदोलनों को भी नया मोड़ दे दिया है. छात्र संगठन ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ (NCP) के प्रमुख नाहिद इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि उन्होंने स्वयं यूनुस से मुलाकात की थी, जहां यूनुस ने स्वीकारा कि वे इस्तीफे के बारे में सोच रहे हैं. उनका कहना था कि वे "बंधक" जैसे हालात में हैं, जहां उन्हें निर्णय लेने की न तो स्वतंत्रता है और न ही राजनीतिक दलों से कोई सहयोग मिल रहा है.
अराजकता के बीच घिरते जा रहे यूनुस
यूनुस की यह बेचैनी बताती है कि अंतरिम सरकार अब राजनीतिक संतुलन बनाने में विफल हो रही है. छात्र नेताओं का आरोप है कि यूनुस लगातार बढ़ती अराजकता के बीच घिरते जा रहे हैं और राजनीतिक दलों के बीच न्यूनतम समझौता भी न हो पाने के कारण उन्हें फैसले लेने में असहजता महसूस हो रही है. इस बीच, NCP का दावा है कि वे दिसंबर से पहले चुनाव की मांग कर रहे हैं और उनके अनुसार चुनाव आयोग सत्तारूढ़ BNP के इशारे पर काम कर रहा है.
चुनाव आयोग को बदलने की मांग
बीते बुधवार को ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में NCP द्वारा किए गए प्रदर्शनों ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया. छात्र नेताओं ने चुनाव आयोग को ‘BNP का पार्टी कार्यालय’ बताते हुए ऐलान किया कि वे मौजूदा आयोग के अंतर्गत किसी भी चुनाव को स्वीकार नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने सलाहकार परिषद से कई अहम अधिकारियों को तत्काल हटाने की मांग भी उठाई, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान का नाम प्रमुख है.
पीछे हटना होगा विश्वासघात
इस उथल-पुथल के बीच नाहिद इस्लाम ने यूनुस को याद दिलाया कि वह "अगस्त की क्रांति" का प्रतीक बन चुके हैं, और अब पीछे हटना जन आंदोलन के सपनों से विश्वासघात होगा. उन्होंने अपील की कि यूनुस को इन दबावों में टूटना नहीं चाहिए, क्योंकि जनता आज भी उनके साथ खड़ी है.
अंतरिम सरकार के लिए बड़ा झटका
यूनुस के इस्तीफे की आशंका अगर सच्चाई में बदलती है, तो यह न सिर्फ अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा, बल्कि बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी गहरी चुनौती पेश करेगा. अब देश की नजरें इस पर टिकी हैं कि मोहम्मद यूनुस इस राजनीतिक सुनामी में टिके रहते हैं या सत्ता की पतवार छोड़ देंगे.