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ट्रंप प्रशासन ने रोका विदेशी नामांकन, हार्वर्ड में पढ़ रहे 788 भारतीय छात्रों पर क्या पड़ेगा असर?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिकी राजनीति में फंस गई है, जहां डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों, खासकर 788 भारतीय विद्यार्थियों, पर वीज़ा संकट लाकर उच्च शिक्षा स्वतंत्रता को चुनौती दी है. गृह सुरक्षा विभाग ने कैंपस को असुरक्षित बताकर रिकॉर्ड सौंपने का आदेश दिया, जबकि हार्वर्ड अदालत का रुख कर रही है. निर्णय से छात्रों का भविष्य और वैश्विक शिक्षा प्रतिष्ठा दांव पर है.

ट्रंप प्रशासन ने रोका विदेशी नामांकन, हार्वर्ड में पढ़ रहे 788 भारतीय छात्रों पर क्या पड़ेगा असर?
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 23 May 2025 6:42 AM IST

अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हार्वर्ड अब एक नई राजनीतिक लड़ाई के केंद्र में है, जिसमें शिक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है. डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि अब विश्वविद्यालयों को अपनी अकादमिक स्वतंत्रता के साथ-साथ देशभक्ति का प्रमाण भी देना होगा.

गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा जारी आदेश में हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जैसे कि चीन के सैन्य सहयोगियों को शरण देना और अमेरिकी विरोधी प्रदर्शनकारियों को बढ़ावा देना. प्रशासन के अनुसार, इन गतिविधियों ने कैंपस को एक असुरक्षित और विभाजनकारी स्थान बना दिया है, खासकर यहूदी छात्रों के लिए. इससे लगभग 6,800 विदेशी छात्र प्रभावित हुए हैं.

छात्र करेंगे परेशानी का सामना

इस कार्रवाई का प्रभाव सिर्फ एक विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका की उच्च शिक्षा व्यवस्था के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप पर सवाल खड़े हो गए हैं. दुनिया भर से छात्र अमेरिकी शिक्षा को उत्कृष्ट मानते हैं, लेकिन अब उन्हें वीज़ा, स्थानांतरण और कानूनी स्थिति को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

भारत के 788 छात्रों का भविष्य अधर में लटका

भारत से इस समय हार्वर्ड में नामांकित 788 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. इन छात्रों को या तो अन्य संस्थानों में स्थानांतरित होना होगा या फिर अमेरिका में रहने की वैधता गंवाने का खतरा उठाना पड़ेगा. यह कदम ऐसे समय आया है जब भारतीय छात्रों की संख्या अमेरिका में लगातार बढ़ रही थी.

788 भारतीय छात्रों पर क्या पड़ेगा असर?

ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई का सबसे सीधा और गहरा असर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 788 भारतीय छात्रों पर पड़ेगा, जो न केवल अपनी शैक्षणिक यात्रा को लेकर असमंजस में हैं, बल्कि अब उन्हें अमेरिका में अपनी कानूनी स्थिति बनाए रखने के लिए दूसरे विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण जैसे जटिल विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है. यदि हार्वर्ड की विदेशी छात्रों को होस्ट करने की मान्यता समाप्त हो जाती है, तो इन छात्रों को न केवल नई यूनिवर्सिटी ढूंढनी पड़ेगी, बल्कि वीज़ा प्रक्रिया भी दोबारा पूरी करनी होगी, जिससे उनका समय, पैसा और मानसिक ऊर्जा बुरी तरह प्रभावित होगी.

हार्वर्ड ने नहीं दिया रिकॉर्ड

ट्रम्प प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल आतंकवाद से ही नहीं, बल्कि 'विचारधारा के खतरों' से भी निपटेगा. DHS सचिव क्रिस्टी नोएम का कहना है कि हार्वर्ड ने बार-बार सरकार के रिकॉर्ड-प्रस्तुत करने के आदेश की अनदेखी की, जिसमें कथित 'हमास समर्थक' और 'चीन समर्थित तत्वों' की जानकारी मांगी गई थी.

यूनिवर्सिटी कोर्ट में करेगी चैलेंज

हार्वर्ड प्रशासन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इस कदम को “गैरकानूनी और शैक्षिक मिशन के विरुद्ध” बताया है. विश्वविद्यालय ने यह भी कहा है कि वह अपने प्रभावित छात्रों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाएगा और इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी जाएगी.

पहले फंड में हो चुकी है कटौती

इस टकराव की जड़ में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन, विविधता की नीतियों और विश्वविद्यालयों की स्वतंंत्रता जैसे मुद्दे हैं, जिनसे ट्रम्प प्रशासन अक्सर असहमत रहा है. यह पहला मौका नहीं है जब हार्वर्ड को निशाना बनाया गया है. NIH और DHS दोनों ही इससे पहले भी फंडिंग में कटौती कर चुके हैं.

ट्रंप के आगे झुकेगी यूनिवर्सिटी?

यह सवाल अब गहराता जा रहा है कि क्या विश्वविद्यालय अब स्वतंत्र अकादमिक संस्थान रहेंगे या उन्हें राजनीतिक दबाव के आगे झुकना होगा? हार्वर्ड बनाम व्हाइट हाउस की इस लड़ाई ने अमेरिका की शिक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर विवादास्पद बना दिया है, और इसके दीर्घकालिक प्रभाव अंतरराष्ट्रीय छात्रों की धारणा पर भी पड़े बिना नहीं रहेंगे.

डोनाल्ड ट्रंप
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