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भारत नहीं आना चाहता नीरव मोदी! ब्रिटिश HC ने खारिज की जमानत याचिका, कोर्ट ने कहा– 600 मिलियन डॉलर अब भी गायब

ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने नीरव मोदी की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि 600 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी की राशि अभी भी ट्रेस नहीं हो सकी है, जिससे उसके भागने का खतरा बना हुआ है. नीरव ने सबूत मिटाए, गवाह प्रभावित किए और विदेश में अपार धन छिपाया हुआ है, जिससे जमानत अस्वीकार की गई.

भारत नहीं आना चाहता नीरव मोदी! ब्रिटिश HC ने खारिज की जमानत याचिका, कोर्ट ने कहा– 600 मिलियन डॉलर अब भी गायब
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 23 May 2025 7:22 AM IST

ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने नीरव मोदी की जमानत याचिका फिर से खारिज कर दी है, जिससे यह साफ हो गया कि भगोड़ा हीरा कारोबारी अभी भी न्याय के दायरे में रहेगा. ये उसकी10वीं जमानत याचिका थी जिसे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया. अदालत ने माना कि भारतीय एजेंसियां अभी भी 600 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी की राशि को ट्रेस करने में असमर्थ हैं, जिससे मामले की गंभीरता और भी बढ़ जाती है.

नीरव मोदी के खिलाफ यह आरोप बेहद गंभीर हैं, इसलिए कोर्ट ने उसे भारत लौटने से बचने वाला बताया. जस्टिस माइकल फोर्डहैम ने कहा कि नीरव मोदी का उद्देश्य हरसंभव तरीके से प्रत्यर्पण से बचना है क्योंकि उसके खिलाफ भारत में एक बड़ा आर्थिक अपराध मुकदमा चल रहा है. इसके चलते उसके भागने का खतरा बना हुआ है.

6 साल से जेल में है बंद

हालांकि नीरव मोदी पिछले छह साल से ब्रिटेन की जेल में है, लेकिन अदालत ने इस अवधि को उसके अपराध की गंभीरता को कम करने वाला नहीं माना. न्यायालय ने इसके पहले भी कई बार नीरव के जमानत आवेदन को खारिज किया है, जिससे यह साफ होता है कि कोर्ट उसकी संवैधानिक सुरक्षा के प्रति सतर्क है.

600 मिलियन डॉलर का नहीं चला पता

अदालत ने धोखाधड़ी की राशि के संदर्भ में बताया कि कुल 1015 मिलियन डॉलर में से केवल 405 मिलियन डॉलर की रकम ही बरामद हुई है, जबकि बाकी 600 मिलियन डॉलर का पता अभी भी नहीं चल पाया है. यह साफ करता है कि नीरव के पास अभी भी भारी वित्तीय संसाधन मौजूद हो सकते हैं, जो उसे भागने में मदद कर सकते हैं. नीरव मोदी के वित्तीय स्थिति का एक उदाहरण डायमंड होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी है, जहां उसे महंगे वेतन के साथ नियुक्त किया गया था. कंपनी ने जमानत के लिए लाखों पाउंड की राशि भी पेश की, जो उसकी संपत्ति और आर्थिक शक्ति की गवाही है.

सबूत मिटाने की कोशिश

अदालत ने यह भी माना कि नीरव मोदी ने भारतीय आपराधिक जांच में सबूत मिटाने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की है. मार्च 2018 में डमी निदेशकों के फोन नष्ट किए गए और फरवरी 2018 में दुबई में कंप्यूटर सर्वर जलाए गए, जिससे अपराध की गंभीरता बढ़ गई. नीरव मोदी की जमानत खारिज होने के बाद यह साफ हो गया कि यूके की अदालतें भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा पेश किए गए सबूतों को गंभीरता से ले रही हैं. इससे यह संदेश भी जाता है कि बड़े आर्थिक अपराधों के मामलों में न्याय व्यवस्था तेजी से और कठोरता से काम कर रही है.

भारत लाने में जुटे अधिकारी

नीरव मोदी को 2019 में यूके में गिरफ्तार किया गया था और तब से भारतीय अधिकारी उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया में लगे हैं. भारतीय एजेंसियां ईडी और सीबीआई लगातार उसकी जमानत का विरोध कर रही हैं, जिससे यह केस अभी लंबित है और उसका अंजाम न्याय के हाथों में है.

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