भारत के विपक्षी दलों के दिल में पाकिस्तान के लिए है Soft Corner? ये दावा करने वाले PAK पत्रकार मुशाहिद हुसैन को जान लीजिए
पाकिस्तानी पत्रकार मुशाहिद हुसैन के एक बयान के बाद भारत में विपक्षी पार्टियों का पाकिस्तान के प्रति स्टैंड को लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. हुसैन ने एक टीवी डिबेट के दौरान कहा कि भारत बहुत बड़ा देश है. ममता बनर्जी, लेफ्ट, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और अरुंधति राय पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखते हैं. सभी मोदी के साथ नहीं है. आइए, आपको बताते हैं कि मुशाहिद हुसैन कौन है और उसके इस बयान के क्या मायने हैं...

Who Is Mushahid Hussain Pakistani Journalist: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पूरा भारत आक्रोशित है. लोगों में पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है. लोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करे, जिसे वह हमेशा याद रखे. इसी कड़ी में सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के साथ ही पाकिस्तानी राजनयिकों की संख्या को कम करने जैसे कदम उठाए हैं. इसके साथ ही सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा भी रद्द कर दिया है. ऐसे समय में पाकिस्तान के एक पत्रकार मुशाहिद हुसैन का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह दावा कर रहा है कि भारत में भी कई ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखते हैं- जैसे अरुंधति रॉय, ममता बनर्जी और कांग्रेस पार्टी.
मुशाहिद हुसैन ने एक टीवी डिबेट के दौरान कहा कि भारत बहुत बड़ा देश है. कई लोग आपके साथ सहानुभूति भी रखते हैं, जिसमें अरुंधति रॉय हैं, ममता बनर्जी हैं, लेफ्ट पार्टी है, कम्युनिस्ट पार्टी है, कांग्रेस पार्टी है और दलित पार्टी है... सारे लोग तो मोदी के साथ नहीं हैं.
कौन है मुशाहिद हुसैन?
- मुशाहिद हुसैन पाकिस्तान का एक वरिष्ठ पत्रकार, राजनयिक और राजनीतिक विश्लेषक है. वह पाकिस्तान की संसद (सीनेट) में भी रह चुका है और अक्सर भारत-पाक रिश्तों पर बेबाक राय रखता है. वह कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का पक्ष रखते हुए भारत पर मानवाधिकार हनन, कश्मीर और अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाता है.
- मुशाहिद हुसैन का जन्म 2 नवंबर 1952 को पंजाब के सियालकोट में हुआ. उसने फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय सेवा में मास्टर डिग्री हासिल की.
- मुशाहिद हुसैन ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की. 1982 से 1987 तक वह इस्लामाबाद से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक 'द मुस्लिम' के संपादक रहे. उसने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाया और पाकिस्तान प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया.
- मुशाहिद हुसैन 1997 से 1999 तक नवाज़ शरीफ की सरकार में सूचना मंत्री रहा. इस दौरान उसने पाकिस्तान की नीतियों का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व किया.
- वह कई बार पाकिस्तान की सीनेट का सदस्य रहा. इस दौरान उसने रक्षा समिति के अध्यक्ष और विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.
- 1999 में परवेज़ मुशर्रफ की सैन्य तख्तापलट के बाद उसे बिना किसी आरोप के 440 दिनों तक कैद में रखा गया. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उसे 'प्रिज़नर ऑफ कॉन्शियंस' घोषित किया.
- मुशाहिद हुसैन पाकिस्तान-चीन संस्थान (Pakistan-China Institute) का अध्यक्ष है, जो चीन और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कार्य करता है. उसने पाकिस्तान की राजनीति, विदेश नीति और शासन पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें 'Pakistan's Politics: The Zia Years' और 'Pakistan: Problems of Governance' प्रमुख हैं.
मुशाहिद हुसैन ने अपने बयान में अरुंधति राय, ममता बनर्जी और कांग्रेस का जिक्र किया है. आइए, इनके बारे में भी जान लेते हैं...
- अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. कश्मीर और मानवाधिकारों को लेकर सरकार की नीतियों पर कई बार तीखे सवाल उठाए हैं. पाकिस्तान में अक्सर उनके भाषणों और लेखों का हवाला दिया जाता है यह दिखाने के लिए कि भारत में खुद के अंदर विरोधी आवाज़ें हैं.
- ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC पार्टी की नेता हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की पाकिस्तान के प्रति कुछ नीतियों पर सवाल उठाए हैं, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया है. यह बयान एक राजनीतिक स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है. ममता की धर्मनिरपेक्ष राजनीति को 'पाक समर्थक' बताकर बदनाम करना.
- कांग्रेस भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी है. वह पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंधों की वकालत करती रही है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कभी सीधी सहानुभूति नहीं दिखाई. मुशाहिद के इस बयान को राजनीतिक आरोप की तरह देखा जा रहा है, जिसमें भारत की विपक्षी पार्टियों को पाकिस्तान के पाले में दिखाने की कोशिश की जा रही है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत में इस बयान की कड़ी आलोचना हो रही है. कई लोगों ने इसे भारत की लोकतांत्रिक विविधता का गलत चित्रण बताया है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे 'पाकिस्तान की तरफ से प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश' कह रहे हैं.
मुशाहिद हुसैन के बयान के मायने
मुशाहिद हुसैन के बयान के बाद भारत का सियासी पारा हाई हो गया है. लोगों को लगने लगा है कि ममता बनर्जी, कांग्रेस, लेफ्ट और कम्युनिस्ट पार्टियां पाकिस्तान से मिली हुई है, क्योंकि ये सभी लगातार सरकार पर हमला बोलते रहते हैं. हालांकि, भारत में लोकतंत्र है. इसलिए सरकार की आलोचना का मतलब पाकिस्तान से सहानुभूति नहीं है. मुशाहिद हुसैन जैसे पत्रकारों के लिए यह एक रणनीति हो सकती है जिससे वे भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कमजोर कर सकें.