Begin typing your search...

'मां, मैंने चोरी नहीं की..' चिप्स के तीन पैकेट, एक झूठा इल्ज़ाम! 13 साल के मासूम ने किया सुसाइड

कृष्णेंदु की मौत केवल एक बच्चा खोने का मामला नहीं है यह एक चेतावनी है कि अगर हम समाज में करुणा और समझदारी नहीं रखेंगे, तो हम अपने ही बच्चों से उनका बचपन और जीवन छीन लेंगे.

मां, मैंने चोरी नहीं की.. चिप्स के तीन पैकेट, एक झूठा इल्ज़ाम! 13 साल के मासूम ने किया सुसाइड
X
( Image Source:  AI: Representative Image )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 28 Nov 2025 6:09 PM IST

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के पंसकुरा ब्लॉक स्थित गोसाईंबर बाज़ार में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ एक मासूम की जिंदगी छीन ली, बल्कि पूरे समाज के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हम बच्चों के साथ कैसे पेश आते हैं. 13 साल के कृष्णेंदु दास, जो बकुलदा हाई स्कूल में कक्षा 7 का होनहार छात्र था, उसने आत्महत्या जैसा कठोर कदम तब उठाया जब उसे एक स्थानीय दुकानदार ने चोरी के झूठे आरोप में सार्वजनिक रूप से अपमानित किया.

बताया जा रहा है कि रविवार की दोपहर वह नाश्ता लेने पास की मिठाई की दुकान पर गया था. दुकान पर कोई नहीं था, और दुकान के बाहर रखे चिप्स के पैकेट में से एक उसने उठाया और आगे बढ़ गया. तभी दुकान मालिक शुभंकर दीक्षित, जो एक नागरिक स्वयंसेवक भी है, उन्होंने कृष्णेंदु को तीन पैकेट चिप्स लिए देख लिया और मोटरसाइकिल पर उसका पीछा किया.

पैसे देने पर भी दिया सजा

लड़के को पकड़कर शुभंकर उसे जबरन दुकान पर वापस लाया और उस पर चोरी का आरोप लगाया. कृष्णेंदु ने तब 15 रुपये की चिप्स के बदले 20 रुपये देने की कोशिश की, लेकिन दुकानदार ने पैसे वापस कर दिए और न सिर्फ उसे डांटा, बल्कि उसके साथ शारीरिक हिंसा की। यही नहीं, उसे पूरे बाजार के सामने अपने कान पकड़कर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया.

मां के नाम आखिरी चंद शब्द

इस पूरी घटना से मानसिक रूप से टूट चुके कृष्णेंदु को जब उसकी मां वापस दुकान पर ले गईं और उन्होंने भी उसे डांटा, तो शायद उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि उनका बेटा भीतर ही भीतर कितनी पीड़ा से गुजर रहा है. शाम को कृष्णेंदु घर लौटा और एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें लिखा था, 'मां, मैंने चोरी नहीं की.' इसके बाद उसने विषैला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली. उसे तत्काल तामलुक मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई. पुलिस ने मामले को 'अप्राकृतिक मृत्यु' के रूप में दर्ज कर लिया है, लेकिन अब तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

मौके से फरार है दुकानदार

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर जबरदस्त आक्रोश है. उनका कहना है कि भले ही बच्चा चिप्स लेकर चला गया हो, पर क्या उसे इतनी बेइज्जती और शारीरिक दंड दिया जाना जायज़ था? एक व्यक्ति ने गुस्से में कहा, "वह सिर्फ 13 साल का बच्चा था, क्या हमें ऐसे ही न्याय करना चाहिए?. चौंकाने वाली बात यह है कि दुकानदार शुभंकर दीक्षित फिलहाल फरार है. उसने अपनी दुकान के सीसीटीवी फुटेज देने से भी मना कर दिया है, जिससे यह समझना मुश्किल हो रहा है कि घटनाएं किस क्रम में घटित हुईं. कृष्णेंदु की मौत केवल एक बच्चा खोने का मामला नहीं है यह एक चेतावनी है कि अगर हम समाज में करुणा और समझदारी नहीं रखेंगे, तो हम अपने ही बच्चों से उनका बचपन और जीवन छीन लेंगे.

अगला लेख