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मिलिए दुनिया की 'सबसे खतरनाक' Spy एजेंसी के नए चीफ से, कौन हैं मोसाद के नए प्रमुख जनरल Roman Gofman?

Mossad New Chief: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मेजर जनरल रोमन गोफमैन को देश की विदेशी खुफिया एजेंसी मोसाद का नया प्रमुख नियुक्त किया है. खास बात यह है कि गोफमैन का खुफिया पृष्ठभूमि से कोई अनुभव नहीं रहा और उनका पूरा करियर सेना से जुड़ा रहा है. वे 2026 में मौजूदा मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया की जगह लेंगे. अक्टूबर 7 हमले में घायल होने के बाद गोफमैन तेजी से नेतन्याहू के सबसे विश्वासपात्र सैन्य सलाहकार बनकर उभरे. नियुक्ति को लेकर कुछ आलोचना भी हुई है, लेकिन बड़ा विरोध नहीं देखने को मिला.

मिलिए दुनिया की सबसे खतरनाक Spy एजेंसी के नए चीफ से, कौन हैं मोसाद के नए प्रमुख जनरल Roman Gofman?
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( Image Source:  X/@IsraeliPM )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 5 Dec 2025 9:11 AM

Mossad New Chief: दुनिया की सबसे खुफिया और रहस्यमय एजेंसियों में गिनी जाने वाली इज़राइल की मोसाद (Mossad) के नेतृत्व में अब एक ऐसा व्यक्ति बैठने वाला है, जिसका खुफिया दुनिया से कोई सीधा संबंध नहीं रहा. इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मेजर जनरल रोमन गोफमैन को मोसाद का अगला प्रमुख नियुक्त करने का निर्णय लिया है - यह घोषणा न केवल इज़राइल बल्कि वैश्विक सुरक्षा विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी है.

गोफमैन मौजूदा मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया की जगह लेंगे, जिनका पांच साल का कार्यकाल जून 2026 में समाप्त हो रहा है. खास बात यह है कि यह नियुक्ति मोसाद के अंदरूनी ढांचे को चुनौती देती दिखाई देती है, क्योंकि गोफमैन एजेंसी के भीतर से उठकर आए अधिकारी नहीं हैं, बल्कि उनका पूरा करियर सेना के साथ जुड़ा रहा है.

रोमन गोफमैन कौन हैं? सेना से जासूसी एजेंसी तक का सफर

मेजर जनरल रोमन गोफमैन का जन्म 1976 में बेलारूस में हुआ. मात्र 14 वर्ष की उम्र में वे अपने परिवार के साथ इज़राइल आ गए. 1995 में वे इज़राइली डिफेंस फ़ोर्सेज़ (IDF) के आर्मर्ड कॉर्प्स में शामिल हुए और सेना में लंबे समय तक सेवा की.

अक्टूबर 7, 2023 को हमास के घातक आतंकी हमले के बाद जब गाज़ा युद्ध भड़क उठा, गोफमैन उस समय राष्ट्रीय इन्फैंट्री ट्रेनिंग सेंटर के कमांडर थे. इसी हमले के दौरान दक्षिणी इज़राइल के शहर सडेरेट में हुए संघर्ष में वे गंभीर रूप से घायल भी हुए. इस घटना के बाद वे युद्ध के दौरान एक प्रमुख सैन्य रणनीतिक भूमिका में उभरे.

अप्रैल 2024 में गोफमैन को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सैन्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. इस भूमिका में वे सरकार के सैन्य मामलों, ऑपरेशनल अपडेट्स और युद्ध रणनीतियों के सबसे करीबी सलाहकारों में शामिल हो गए. अब 2026 में वे दुनिया की सबसे सक्रिय विदेशी खुफिया एजेंसियों में से एक - मोसाद - का नेतृत्व संभालेंगे.

इंटेलिजेंस अनुभव नहीं, फिर भी क्यों चुने गए गोफमैन?

इज़राइली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डेविड बार्निया ने अपने उत्तराधिकारी के लिए दो वरिष्ठ मोसाद अधिकारियों का नाम सुझाया था, लेकिन नेतन्याहू ने दोनों को नजरअंदाज करते हुए गोफमैन को चुना. माना जा रहा है कि इस नियुक्ति से नेतन्याहू अपने विश्वासपात्र सैनिक नेतृत्व को खुफिया ढांचे में शामिल करना चाहते हैं.

हालांकि इस पर आलोचना भी हुई है. हारेत्ज़ अख़बार के जाने-माने लेखक उरी मिज़गाव ने गोफमैन की नियुक्ति को “खतरनाक” और “अनुचित” बताया, यह कहते हुए कि बिना खुफिया अनुभव वाला व्यक्ति मोसाद के नेतृत्व के योग्य नहीं है. फिर भी, दिलचस्प बात यह है कि गोफमैन की नियुक्ति पर वह व्यापक राजनीतिक विवाद नहीं हुआ, जैसा शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा एजेंसी) के चीफ की नियुक्ति के बाद देखा गया था.

मोसाद पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों?

मोसाद दुनिया की सबसे प्रभावी और आक्रामक खुफिया एजेंसियों में मानी जाती है. खासतौर पर अक्टूबर 7 के हमले के बाद जहां शिन बेट और सैन्य खुफिया एजेंसी अमन (AMAN) ने अपनी विफलताओं को स्वीकारते हुए इस्तीफा दिया, वहीं मोसाद पर जिम्मेदारी नहीं आई - क्योंकि फिलिस्तीनी क्षेत्र इसकी ड्यूटी के दायरे में परंपरागत रूप से शामिल नहीं रहा.

युद्ध के बाद मोसाद ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन भी किया. 2024 में लेबनानी उग्रवादी संगठन हिज़्बुल्लाह की उच्च सैन्य कमान को समाप्त करने के ऑपरेशन में मोसाद की भूमिका निर्णायक रही, जिससे इज़राइली जनता के बीच एजेंसी की प्रतिष्ठा और ताकत और मजबूत हुई.

आगे की चुनौती: युद्ध, ईरान और वैश्विक आतंकवाद

गोफमैन ऐसे समय में मोसाद की कमान संभालेंगे जब इज़राइल कई मोर्चों पर संघर्ष में घिरा है -

  • हमास के साथ गाज़ा युद्ध
  • लेबनान के हिज़्बुल्लाह के साथ सीमा तनाव
  • ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर खुफिया जंग
  • वैश्विक यहूदी संस्थानों और नागरिकों की सुरक्षा

विशेषज्ञों का मानना है कि गोफमैन की सैन्य दृष्टि + राजनीतिक नज़दीकी मिलकर मोसाद को एक आक्रामक और तेज़ रणनीतिक दिशा दे सकती है.

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