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'पाक की पनाह में मसूद अजहर, संसद और 26/11 हमलों में भी था शामिल', जैश के कमांडर के एक और खुलासे से नंगा हुआ आतंकिस्‍तान

जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी ने वीडियो में खुलासा किया कि मसूद अजहर पाकिस्तान में सुरक्षित रहते हुए संसद और 26/11 हमलों की योजना बनाता रहा. बालाकोट और बहावलपुर को अजहर के नेटवर्क का आधार बताया गया. कश्मीरी ने पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसियों के समर्थन की भी पुष्टि की.

पाक की पनाह में मसूद अजहर, संसद और 26/11 हमलों में भी था शामिल, जैश के कमांडर के एक और खुलासे से नंगा हुआ आतंकिस्‍तान
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 17 Sept 2025 4:26 PM IST

भारत ने लंबे समय से दावा किया है कि पाकिस्तान अपने देश में सक्रिय आतंकवादी समूहों को सुरक्षित आश्रय देता है, लेकिन अब यह दावे और भी स्पष्ट हो गए हैं. जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के वरिष्ठ कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी ने एक वीडियो में सीधे तौर पर अपने बॉस, भारत के सबसे अधिक वांटेड आतंकवादी मसूद अजहर को संसद और मुंबई में हुए 26/11 हमलों की योजना बनाने और अंजाम देने के लिए जिम्मेदार ठहराया. यह उसका दूसरा बड़ा खुलासा है, जिसने पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को अपने क्षेत्र में पनाह देने से संबंधित लगातार दिए जा रहे इनकारों को पूरी तरह चुनौती दी है.

कश्मीरी ने वीडियो में कहा, "तिहाड़ जेल दिल्ली से भागने के बाद, आमिर-उल-मुजाहिदीन मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान आता है. बालाकोट की मिट्टी उसे अपनी योजना, मिशन और दिल्ली और मुंबई पर हमले के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आधार देती है. यही वह मौलाना मसूद अजहर है जिसने देश को आतंकित किया." कश्‍मीरी ने स्पष्ट किया कि अजहर का मुख्य ठिकाना बालाकोट में था, जिसे 2019 में भारत ने हवाई हमलों के जरिए निशाना बनाया था.

बालाकोट से बहावलपुर तक: आतंक की सच्चाई

जैश कमांडर ने खुलासा किया कि पाकिस्तान का बालाकोट अजहर के आतंक अभियान का संचालन स्थल था. उसने उस आतंकवाद की विचारधारा को आकार देने वाले ओसामा बिन लादेन को "शहीद" बताते हुए कहा कि बालाकोट से अजहर ने अपने नेटवर्क को भारत में हमलों के लिए संचालित किया. कश्मीरी की इस घोषणा ने भारत के लंबे समय से किए जा रहे दावे को बल दिया कि जैश कैंप पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, जबकि पाकिस्तान हमेशा दुनिया को यह आश्वासन देता रहा कि उसके देश में कोई आतंकवादी ठिकाना नहीं है.

इससे पहले एक और सनसनीखेज खुलासे में, कश्मीरी ने बताया था कि 7 मई को बहावलपुर स्थित जैश मुख्यालय, जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह पर भारतीय हवाई हमले में अजहर के परिवार के कई सदस्य मारे गए. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने अप्रैल 22 के पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकवादी लॉन्चपैड को नष्ट किया था. उस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी.

पाक सेना की संलिप्तता

कश्मीरी ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान आर्मी के सीनियर अधिकारी मारे गए जैश आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. मई में सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में हाई रैंकिंग पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में अग्रणी थे. कश्मीरी ने बताया कि यह निर्देश सेना प्रमुख जनरल असिम मुनिर द्वारा जारी किया गया था ताकि भारतीय हवाई हमलों में मारे गए आतंकवादियों का "सम्मान" किया जा सके. इस खुलासे ने लंबे समय से भारत द्वारा पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों के आतंकवाद प्रायोजन के आरोपों को और पुष्ट किया.

पाक की दोहरी नीति का पर्दाफाश

जैश कमांडर के खुलासे ने पाकिस्तान की दशकों पुरानी दोहरी नीति को पूरी तरह उजागर कर दिया. विदेशों में आतंकवाद के खिलाफ कड़े दावे करने के बावजूद, पाकिस्तान अपने घर पर जिहादियों को संरक्षण और साधन प्रदान करता रहा. कश्मीरी के बयानों ने स्पष्ट किया कि अजहर पाकिस्तान में सुरक्षित रहते हुए भारत पर हमले की योजना बनाता रहा, और इस प्रक्रिया में पाक सेना और खुफिया तंत्र का सहयोग शामिल था.

भारत के सुरक्षा तंत्र के लिए कश्मीरी के खुलासे बेहद महत्वपूर्ण हैं. यह न केवल अजहर की जिम्मेदारी को सीधे तौर पर प्रमाणित करता है, बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक तंत्र की वास्तविकता को भी उजागर करता है. यह खुलासा वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की नीतियों पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है और उसकी दावों की विश्वसनीयता पर भी असर डालता है.

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह दूसरा खुलासा पाकिस्तान के आतंकवाद संरक्षण की कहानी को और अधिक स्पष्ट करता है. पहले भी कश्मीरी ने कई मौकों पर अजहर और जैश के नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी, लेकिन इस बार उनके बयान में अजहर की व्यक्तिगत योजनाओं और बहावलपुर हवाई हमले की जानकारी सामने आई है.

मसूद अजहर के नेतृत्व में जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवाद नेटवर्क और पाकिस्तान की सेना एवं खुफिया एजेंसियों का समर्थन भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रहा है. कश्मीरी के हालिया खुलासे ने साबित किया कि पाकिस्तान की ओर से लगातार नकारात्मक रवैया अपनाने और आतंकवादी समूहों को संरक्षण देने की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत और वैश्विक समुदाय के लिए पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों और उनके संरक्षक नेटवर्क पर निगरानी और कड़े कदम उठाना अब और भी आवश्यक हो गया है.

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