India के खिलाफ मसूद अजहर का खतरनाक खेल, अब डिजिटल हवाला..., बड़े आतंकी फंडिंग नेटवर्क का खुलासा
Fintech Terror: पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के फिनटेक टेरर को लेकर नया खुलासा सामने आया है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने जैश को पहले से ज्यादा मजबूत और खतरनाक बनाने के लिए डिजिटल वॉलेट और क्रिप्टो लेन-देन को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया.

भारत के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद अब सिर्फ बंदूक और बारूद तक सीमित नहीं है बल्कि टेक्नोलॉजी के सहारे यह और ज्यादा खतरनाक हो रहा है. ताजा खुलासे में सामने आया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर का संगठन जैश ए मोहम्मद डिजिटल वॉलेट्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए कर रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि इस हाईटेक टेरर नेटवर्क में पाकिस्तानी सेना मुख्य मददगार के रूप में उभरकर सामने आई है.
जैश ने कथित तौर पर इस महत्वाकांक्षी मुहिम को ईजी पैसा और सदापे जैसे पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट के जरिए अंजाम देकर एक समानांतर वित्तीय तंत्र तैयार कर लिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक 'डिजिटल हवाला' प्रणाली है. टाइम्स नाउ की एक जांच रिपोर्ट में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा वैश्विक जांच को दरकिनार कर अपने अभियान जारी रखने के लिए अपनाए जा रहे इस नए तरीके का खुलासा हुआ है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक 'डिजिटल हवाला' प्रणाली है. इसके जरिए जेईएम ने भारतीय हमलों में तबाह हुए अपने आतंकी ढांचे को फिर से बनाने और पाकिस्तान भर में 313 नए मरकज (आतंकवादी केंद्र) बनाने के लिए 3.91 अरब पाकिस्तानी रुपये (₹3,910 करोड़) का धन उगाहने का अभियान शुरू कर दिया है.
पाकिस्तान ने जैश के लिए FATF को दिया धोखा
साल 2019 में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे सूची से बचने के लिए इस्लामाबाद ने JeM के खिलाफ सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की. इस साजिश के तहत पाक सरकार और सेना ने मसूद अजहर और उसके भाइयों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए. जानवरों की खाल के दान और मस्जिदों में धन संग्रह अभियान जैसे पारंपरिक धन उगाहने के माध्यमों को बंद कर दिया. JeM के बहावलपुर मुख्यालय को सरकारी नियंत्रण में ले लिया. यह कहानी काम कर गई. साल 2022 में पाकिस्तान को FATF ने ग्रे सूची से हटा दिया.
सच तो कुछ और है...
इस मामले में सच्चाई कुछ और ही थी. JeM की वित्तीय जड़ों को खत्म करने के बजाय पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने समूह को फिनटेक वॉलेट में स्थानांतरित करने में मदद की. FATF को बैंक जांच का दिखावा किया गया, लेकिन पर्दे के पीछे अंतरराष्ट्रीय निगरानी से दूर, मोबाइल-आधारित लेनदेन के माध्यम से अरबों रुपये बेरोकटोक बहते रहे.
ऑपरेशन सिंदूर और जैश ए मोहम्मद
7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के सटीक हमलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में जैश ए मोहम्मद के मुख्यालय मरकज सुभानअल्लाह को चार प्रशिक्षण केंद्रों (मरकज बिलाल, मरकज अब्बास, महमोना जोया सरगल) के साथ ध्वस्त कर दिया. इसके बावजूद कुछ ही दिनों में जैश-ए-मोहम्मद ने न केवल इन सुविधाओं के पुनर्निर्माण का अभियान शुरू किया बल्कि पूरे पाकिस्तान में 313 नए केंद्र बनाए.
जैश के इस अभियान का मकसद
- पाकिस्तान में पहले से ज्यादा मरकज बनाए जाएंगे.
- हर मरकज की लागत 12.5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये (₹1.25 करोड़) होगी.
- कुल लक्ष्य 3.91 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (₹3,910 करोड़) रखा गया.
- इसके लिए पाकिस्तान और विदेशों में समर्थकों से डिजिटल वॉलेट के जरिए चंदा मांगा गया.
चंदे की उगाही के लिए सोशल मीडिया को बनाया हथियार
Facebook, WhatsApp और प्रॉक्सी टेलीग्राम चैनलों पर जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े अकाउंट्स ने खुलेआम अपीलें, वीडियो और यहां तक कि मसूद अजहर के पत्र भी प्रसारित किए गए. इसके जरिए सभी व्यक्ति और चंदा देने की अपील की गई थी. जांचकर्ताओं ने जैश-ए-मोहम्मद के नेताओं से जुड़े सैकड़ों वॉलेट का पता लगाया है.
किसके पास किस चीज की जिम्मेदारी?
तल्हा अल सैफ (मसूद अजहर का भाई) जैश-ए-मोहम्मद के हरिपुर कमांडर आफताब अहमद के नाम से पंजीकृत नंबर से जुड़े सदापे का इस्तेमाल कर रहा है. अब्दुल्ला अजहर (मसूद अजहर का बेटा) चंदा इकट्ठा करने के लिए ईजीपैसा अकाउंट चला रहा है. सैयद सफदर शाह (जैश-ए-मोहम्मद का खैबर पख्तूनख्वा कमांडर) के मनसेहरा में एक और वॉलेट चला रहा है.
हर महीने बनाए जा रहे 30 नए वॉलेट
इस अभियान के लिए सक्रिय ट्रैकिंग से बचने के लिए हर महीने 30 नए वॉलेट बनाए जा रहे हैं. जैश-ए-मोहम्मद एक रोटेशन मॉडल अपनाता है—एक वॉलेट में पैसा जमा होता है, उसे 10-15 खातों में बांटा जाता है और फिर नकद में निकाल लिया जाता है या दूसरी जगह भेज दिया जाता है, जिससे उसका पता लगाना नामुमकिन हो जाता है.
इस बार हथियार, इमारतें नहीं पैसों का खेल
जैश-ए-मोहम्मद का दावा है कि अरबों डॉलर मरकज के निर्माण के लिए हैं, वहीं खुफिया जानकारी बताती है कि इसका एक बड़ा हिस्सा हथियारों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. एक मध्यम आकार के मरकज की लागत सिर्फ 4 से 5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये हैं, जिसे जैश-ए-मोहम्मद के बढ़ा-चढ़ाकर राशि तय किया और वास्तविक लागत से काफी अधिक है.
जैश ने पाकिस्तान में 313 मरकज बनाने के फैसला लिया है. जिसकी वास्तविक खर्च लगभग 1.23 बिलियन पाकिस्तानी रुपये होगा. यानी इस रणनीति के तहत जैश 2,700 करोड़ से ज्यादा पैसा बचा लेगा, जिसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में किया जाएगा.
पाकिस्तान के विशेषज्ञों को डर है कि इस अधिशेष का इस्तेमाल मशीन गन, रॉकेट लॉन्चर, मोर्टार और हमलावर ड्रोन खरीदने में किया जा रहा है, जो हमास और टीटीपी की रणनीति की नकल है.
खुलेआम चंदा वसूली
जैश पर प्रतिबंध के बावजूद पाकिस्तान में यह आतंकी संगठन खुलेआम चंदा उगाही कर रहा है. शुक्रवार को मस्जिदों से मिलने वाले चंदे को 'गाजा के लिए दान' के रूप में पेश किया जाता है. जैश-ए-मोहम्मद का चैरिटी संगठन अल रहमत ट्रस्ट फर्जी ट्रस्टियों के बैंक खातों के जरिए सालाना 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये और जुटाता है. इतना ही नहीं, गाजा का हवाला देकर जैश-ए-मोहम्मद भावनात्मक सहानुभूति का इस्तेमाल करके पैसा जुटाता है और उसे भारत के खिलाफ जिहाद के लिए इस्तेमाल करता है.
प्रचार और भर्ती तंत्र
जैश ए मोहम्मद ने धन उगाही के अलावा, अपने मरकज नेटवर्क को भी हथियार बनाया है. मरकज सुभानअल्लाह (भारत द्वारा ध्वस्त) को मुख्यालय, प्रशिक्षण केंद्र और कार्यकर्ताओं के लिए आवास के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. कराची में मरकज इफ्ता एक दुष्प्रचार केंद्र के रूप में काम करता है और बच्चों का ब्रेनवॉश करता है. साथ ही अजहर के बारे में लेख प्रकाशित करता है.