ऑपरेशन सिंदूर में लुटे-पिटे जैश-ए-मोहम्मद के प्रमोशन की तैयारी! ISI की नई चाल, आतंकी संगठन को दे रही ऐसे मॉडर्न हथियार कि...
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों और प्रशिक्षण कैंपों को नुकसान पहुंचाने के बावजूद, पाकिस्तान की ISI आतंकी संगठन को फिर से मजबूत करने में जुटी है. ISI जैश को परंपरागत हथियारों से हाई-टेक हथियारों तक पहुंच दिला रही है, जिसमें ड्रोन और डिजिटल वारफेयर टूल शामिल हैं. आतंकियों को पाकिस्तान आर्मी के तत्वों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है और फंडिंग ऑनलाइन वॉलेट और गुल्फ देशों के दानदाताओं से हो रही है.

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की सैन्य और तकनीकी क्षमता बढ़ाने में सक्रिय कदम उठाए हैं. सूचना एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, ISI पारंपरिक हथियारों से हाई-टेक हथियारों तक जैश के संक्रमण को सुविधा प्रदान कर रही है. यह संगठन अब केवल राइफल, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि ड्रोन, क्वाडकॉप्टर और डिजिटल युद्धक उपकरण हासिल करने की तैयारी में है.
जैश-ए-मोहम्मद भारत में हुए कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिनमें 2001 का संसद हमला और 2019 पुलवामा हमला शामिल हैं. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि जैश के कैडर्स को सीधे पाकिस्तान सेना के तत्वों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा, और ISI काले बाजार के माध्यम से हथियारों की खरीदारी सुनिश्चित करेगी.
जैश-ए-मोहम्मद का हाई-टेक रूपांतरण
सूत्रों के अनुसार, अब जैश के लगभग 50% फंड हथियारों की खरीद में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. संगठन अब आधुनिक युद्धक उपकरणों और ड्रोन का उपयोग करना चाहता है, जो इसके आतंकवादी हमलों की क्षमता को और बढ़ाएगा. जैश-ए-मोहम्मद का करीबी सहयोगी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पहले भी ड्रोन स्ट्राइक कर चुका है. दोनों संगठनों का बढ़ता सहयोग भारत के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है.
फंडिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शन
सूत्रों के मुताबिक, जैश को हर साल 80-90 करोड़ पाकिस्तानी रुपए मिलते हैं, जिनमें से बड़ी रकम खाड़ी देशों के दानदाताओं से आती है. अब यह पैसा डिजिटल वॉलेट और ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से हथियारों की खरीद, बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और स्लीपर सेल्स को मजबूत करने में लगाया जा रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति
भारत की सटीक कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर में जैश के ठिकानों को नष्ट कर दिया गया था. इसके बाद जैश, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिद्दीन सक्रिय रूप से फंड जुटा रहे हैं ताकि नष्ट हुए मुख्यालय, प्रशिक्षण शिविर और लॉन्च पैड को फिर से बनाया जा सके.