ईरान के साथ 10 दिन और चला युद्ध तो खत्म हो जाएंगे इजराइल के हथियार, क्या तभी अमेरिका की जंग में होगी एंट्री?
अगर इजराइल और ईरान के बीच जंग 10 दिन और खिंचता है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि इज़रायल के हथियार तेजी से खत्म हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में अमेरिका से आपात सैन्य मदद मिलना तय है, लेकिन अमेरिका की सीधी सैन्य एंट्री तभी संभव है जब ईरान युद्ध में खुलकर कूदे या इजराइल पर बड़ा खतरा हो. फिलहाल अमेरिका लॉजिस्टिक और इंटेलिजेंस सपोर्ट देकर जंग में 'अदृश्य भागीदार' की भूमिका निभा रहा है.

Iran Israel War: ईरान और इजराइल के बीच नौवें दिन भी जंग जारी है. इजराइल ने ईरान के एक और न्यूक्लियर साइंटिस्ट की हत्या कर दी. इसके साथ ही, उसने इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स पर भी हमला किया है, जिसका वीडियो इजराइली सेना ने जारी किया है. अब तक ईरान में 657, जबकि इजराइल में 24 लोगों की मौत हुई है. इस बीच. एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि ईरानी हमले को रोकने में आयरन डोम और अन्य एयर डिफेंस सिस्टम कमजोर साबित हो रहे हैं. इसके साथ ही, मिसाइलों को रोकने वाले इंटरसेप्टर भी तेजी से कम हो रहे हैं. ऐसे में अगर जंग 10-12 दिन और चला तो ये पूरी तरह खत्म हो जाएंगे.
बता दें कि 13 जून को इजराइल के हमले के बाद ईरान ने उस पर 400 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं. इन मिसाइलों को रोकने में एरो डिफेंस सिस्टम काफी हद तक कामयाब रही है. हालांकि, लगातार ईरान की ओर से हो रहे हमले के कारण इजराइल के हथियार 10 या 12 दिन में पूरी तरह खत्म हो जाएंगे, जिससे अब इजराइल ईरान के चुनिंदा मिसाइलों को ही इंटरसेप्ट कर पाएगा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इजराइल अब क्या करेगा और क्या अमेरिका भी जंग में शामिल होगा?
अगर इज़राइल के हथियार खत्म होने की कगार पर पहुंचे, तो क्या होगा?
अमेरिका से आपात सैन्य मदद
इज़राइल की सुरक्षा अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं में शामिल है. ऐसे में, जैसे ही इज़राइल का रक्षा भंडार कम होने लगेगा, अमेरिका सीधे सैन्य रसद भेजना शुरू कर सकता है. अमेरिका के पास इज़राइल में एक War Reserve Stockpile (WRSA-I) है, जिसमें हथियार और गोला-बारूद पहले से स्टोर रहते हैं. इसे इज़राइल को आपात स्थिति में उपलब्ध कराया जा सकता है.
सीधी अमेरिकी सैन्य एंट्री संभव नहीं, पर...
अमेरिका सीधे युद्ध में कूदेगा, यह संभावना अभी कम है. हालांकि, अगर इज़राइल की संप्रभुता पर बड़ा खतरा आता है या ईरान खुले तौर पर युद्ध में उतरता है, तब अमेरिका की सीधी सैन्य एंट्री संभव हो सकती है. फिलहाल अमेरिका 'डिटेरेंस' यानी रोकथाम रणनीति पर चल रहा है, जैसे USS Gerald R. Ford कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को भेजना, ताकि ईरान या उसके प्रॉक्सी सोच-समझकर कदम उठाएं. व्हाइट हाउस की तरफ से हाल ही में एक बयान जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप ईरान पर हमला करने के बारे में दो हफ्ते के अंदर फैसला लेंगे.
इज़राइल का विकल्प – प्री-एम्पटिव स्ट्राइक या न्यूक्लियर थ्रेट?
यदि हथियार कम पड़ते हैं और अमेरिका की सप्लाई में देर होती है, तो इज़राइल कुछ ज्यादा आक्रामक विकल्प आज़मा सकता है, जैसे- दुश्मन के ठिकानों पर पहले से हमला (pre-emptive strikes), या परमाणु हथियारों की परोक्ष धमकी. हालांकि, यह जोखिम भरा रास्ता है और इससे क्षेत्रीय युद्ध भड़क सकता है.
कूटनीतिक दबाव और संघर्ष विराम की ओर धकेलने की कोशिश
अगर हथियारों की स्थिति वाकई गंभीर हो गई, तो अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के ज़रिए युद्धविराम का दबाव डाला जा सकता है, ताकि इज़राइल को सांस लेने का मौका मिले.
अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर होगा इजराइल
अगर युद्ध लंबा चला और हथियारों की कमी हुई, तो इज़राइल पूरी तरह अमेरिका की सैन्य और राजनीतिक मदद पर निर्भर होगा. अमेरिका की सीधी एंट्री तभी होगी, जब खतरा बहुत बड़ा और रणनीतिक हो, लेकिन हथियार सप्लाई, इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक्स में अमेरिका की 'इनविज़िबल इंट्री' तो पहले ही शुरू हो चुकी है. इसलिए, हथियार‑भंडार घटने की स्थिति में भी इज़रायल के पास तुरंत धाराशायी होने से बचाने वाली सप्लाई लाइफ़‑लाइन मौजूद है. जंग लंबी चली तो लड़ाई का कॉस्ट ज़रूर अमेरिका‑इज़राइल दोनों को चुकाना पड़ेगा, पर अगले 10–1 दिन केवल हथियार‑कमी के कारण इज़राइल को हार माननी पड़े, यह परिदृश्य फिलहाल असंभव लगता है.