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क्‍या बिकने वाला है Google Chrome? मिला मार्केट वैल्‍यू से ढाई गुना ज्‍यादा का ऑफर, क्‍यों बढ़ रहा गूगल पर दबाव?

AI स्टार्टअप पर्पलेक्‍सिटी ने गूगल क्रोम को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर की ऑल-कैश डील का प्रस्ताव दिया है, जबकि क्रोम बिक्री पर नहीं है. यह ऑफर कंपनी की मौजूदा वैल्यूएशन से ढाई गुना बड़ा है और इसका लक्ष्य AI सर्च रेस में बढ़त पाना है. अमेरिका में गूगल पर बढ़ते एंटीट्रस्ट दबाव के बीच यह पेशकश आई है.

क्‍या बिकने वाला है Google Chrome? मिला मार्केट वैल्‍यू से ढाई गुना ज्‍यादा का ऑफर, क्‍यों बढ़ रहा गूगल पर दबाव?
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( Image Source:  Meta AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 13 Aug 2025 11:49 AM IST

टेक जगत में सनसनी फैलाने वाली खबर सामने आई है. अरविंद श्रीनिवास की AI स्टार्टअप कंपनी Perplexity ने गूगल के मशहूर वेब ब्राउज़र Google Chrome को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर की ऑल-कैश डील का ऑफर दिया है. खास बात यह है कि क्रोम फिलहाल बिक्री के लिए उपलब्ध भी नहीं है. पर्पलेक्‍सिटी का यह प्रस्ताव उसकी मौजूदा 14 अरब डॉलर की वैल्यूएशन से ढाई गुना से भी ज्यादा है. कंपनी का लक्ष्य है कि इस अधिग्रहण के जरिए वह AI सर्च रेस में अपनी पकड़ मजबूत कर सके.

क्रोम दुनिया का सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र है, जिसके अनुमानित 3 अरब यूज़र्स हैं. अगर यह डील हो जाती है, तो पर्पलेक्‍सिटी को तत्काल ही वैश्विक स्तर पर एक बड़ी यूज़र बेस मिल जाएगी, जिससे वह OpenAI जैसे दिग्गजों को टक्कर दे सकेगी. गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में पर्पलेक्‍सिटी ने अमेरिका में TikTok के बिजनेस के साथ मर्जर का प्रस्ताव भी दिया था, ताकि उसके चीनी स्वामित्व को लेकर उठे राजनीतिक विवाद का समाधान हो सके.

गूगल पर बढ़ता एंटीट्रस्ट दबाव

इस ऑफर की पृष्ठभूमि में गूगल पर अमेरिका में चल रहे कानूनी दबाव की अहम भूमिका है. हाल ही में एक अमेरिकी अदालत ने गूगल को ऑनलाइन सर्च मार्केट में अवैध एकाधिकार रखने का दोषी ठहराया. अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) का कहना है कि प्रतिस्पर्धा बहाल करने के लिए गूगल को क्रोम बेचने पर मजबूर किया जा सकता है. हालांकि, गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है और साफ कहा है कि बाजार में पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा है. क्रोम की बिक्री को लेकर गूगल ने कोई आधिकारिक संकेत नहीं दिया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऐसा कोई मजबूरी में बिक्री का आदेश आता भी है, तो इसे लागू होने में सालों लग सकते हैं, और मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है.

फंडिंग का वादा, लेकिन पूरी तस्वीर साफ नहीं

पर्पलेक्‍सिटी ने 34.5 अरब डॉलर की खरीद के लिए फंडिंग प्लान विस्तार से नहीं बताया है. कंपनी का दावा है कि कई अज्ञात निवेश फंड इस डील को पूरी तरह फाइनेंस करने के लिए तैयार हैं. अब तक पर्पलेक्‍सिटी ने Nvidia और जापान की SoftBank जैसे निवेशकों से करीब 1 अरब डॉलर जुटाए हैं. एक टर्म शीट के अनुसार, पर्पलेक्‍सिटी ने वादा किया है कि वह क्रोम का ओपन-सोर्स कोड Chromium मुफ्त में जारी रखेगी, दो साल में 3 अरब डॉलर का निवेश करेगी और डिफॉल्ट सर्च इंजन में कोई बदलाव नहीं करेगी. कंपनी का कहना है कि यह डील यूज़र्स को विकल्प देने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का तरीका है.

OpenAI और Yahoo की दिलचस्पी

पर्पलेक्‍सिटी ही अकेली नहीं है जो क्रोम में रुचि रखती है. अदालत में दिए गए एक बयान से पता चला कि OpenAI ने भी क्रोम को खरीदने की संभावना पर विचार किया था, और इसके अलावा Yahoo भी दिलचस्पी दिखा चुका है. 2023 में OpenAI ने गूगल से ChatGPT में उपयोग के लिए उसके सर्च API तक पहुंच मांगी थी, लेकिन गूगल ने प्रतिस्पर्धी चिंताओं का हवाला देकर इसे ठुकरा दिया. इसके बाद से OpenAI, माइक्रोसॉफ्ट के Bing सर्च इंजन पर निर्भर है. विशेषज्ञों का मानना है कि क्रोम के मालिकाना हक से OpenAI को सीधे अरबों इंटरनेट यूज़र्स तक पहुंच मिल सकती है.

आगे का रास्ता: मुश्किल लेकिन हाई-स्टेक्स

टेक विश्लेषक मानते हैं कि गूगल के लिए क्रोम बेचना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यह न केवल कंपनी की सर्च रणनीति बल्कि AI मॉडल्स के लिए डेटा इकट्ठा करने का मुख्य जरिया है. DOJ का तर्क है कि क्रोम पर गूगल का नियंत्रण उसे AI रेस में अनुचित बढ़त देता है. फिलहाल क्रोम पूरी तरह गूगल के पास है, लेकिन एंटीट्रस्ट ट्रायल का अंतिम फैसला आने वाला है, और निवेशक व टेक कंपनियां इसकी बारीकी से निगरानी कर रही हैं. चाहे डील हो या न हो, क्रोम का भविष्य आने वाले वर्षों में बिग टेक की AI प्रतिस्पर्धा की सबसे अहम कहानी बनने वाला है.

टेक न्यूज़
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