क्यों ईरान के बुशहर परमाणु संयंत्र को US ने छुआ भी नहीं? खाड़ी देशों में दहशत
ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष में अमेरिका द्वारा तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद हालात और गंभीर हो गए हैं. हालांकि अभी तक रेडिएशन फैलने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रूस ने चेतावनी दी है कि अगर बुशहर परमाणु संयंत्र पर हमला हुआ, तो वह चेरनोबिल जैसी परमाणु तबाही का कारण बन सकता है. फारस की खाड़ी के किनारे स्थित इस संयंत्र पर हमला खाड़ी देशों के पीने के पानी और पर्यावरण के लिए भारी खतरा बन सकता है.

Bushehr nuclear plant: इजराइल और ईरान के बीच 13 जून से संघर्ष जारी है. इजराइल लगातार ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाना रहा है. अमेरिका की तरफ से फोर्डो, इस्फहान और नतांज परमाणु साइट्स को निशाना बनाने के बाद अब इजराइल ने फिर से फोर्डो पर हमला किया है. यह हमला उसी जगह पर किया गया है, जहां रविवार की सुबह अमेरिका ने बम गिराए थे. सोमवार की सुबह भी इजराइल ने ईरान के छह एयरपोर्टों पर ड्रोन हमले किए. दावा किया जा रहा है कि इनमें ईरान के 15 फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर नष्ट हो गए हैं.
अमेरिका और इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु ठिकानों पर लगातार हो रहे हमलों ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, अभी तक इन परमाणु साइट्स से विकिरण (रेडिएशन) फैलने की खबरें नहीं हैं. इस बीच एक सवाल पैदा हो रहा है कि अमेरिका ने ईरान के बुशहर परमाणु संयत्र पर हमला क्यों नहीं किया. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...
अमेरिका ने बुशहर न्यूक्लियर प्लांट पर क्यों नहीं किया हमला?
- रूस ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ईरान के बुशहर परमाणु संयंत्र पर हमला होता है तो इससे 1986 में आई चेरनोबिल (Chernobyl) जैसी आपदा आ सकती है. उस समय यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा था. एक परमाणु रिएक्टर में विस्फोट होने से यूक्रेन का एक बड़ा इलाका बर्बाद हो गया. कई सालों तक यहां रेडिएशन फैला रहा.
- इजराइल भी अभी तक बुशहर परमाणु संयंत्र पर हमला करने से बचा हुआ है. इस संयंत्र का संचालन रूसी राज्य परमाणु एजेंसी रोसाटॉम और ईरानी अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है.
- वैज्ञानिकों और रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बुशहर परमाणु संयंत्र पर हमला होता है, तो यह एक भयंकर परमाणु आपदा का कारण बन सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है इसकी भौगोलिक स्थिति.... बुशहर फारस की खाड़ी के बिल्कुल किनारे स्थित है, जहां ईरान का सबसे सक्रिय परमाणु रिएक्टर मौजूद है. अगर इस संयंत्र पर हमला होता है तो रेडियोएक्टिव पदार्थ हवा और पानी के ज़रिए समुद्र में फैल सकते हैं, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकता है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि बुशहर पर हमला निश्चित रूप से परमाणु तबाही को जन्म देगा. यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड जहरीला होता है और यदि यह रिएक्टर से लीक हुआ, तो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ सकता है.
- विशेषज्ञों का मानना है कि बुशहर पर हमला मूर्खता होगी, क्योंकि इससे रेडियोएक्टिव कण वातावरण में फैल सकते हैं और पर्यावरण पर विनाशकारी असर डाल सकते हैं.
- इस संभावना ने खाड़ी देशों, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, क़तर, बहरीन, इराक और ओमान, में चिंता बढ़ा दी है. चूंकि ये देश फारस की खाड़ी से प्राप्त पानी को प्यूरिफाई कर पीने योग्य बनाते हैं, इसलिए रेडिएशन फैलने की स्थिति में उनके जल स्रोत सीधे प्रभावित हो सकते हैं.
- यूएई की 80% पीने की पानी की ज़रूरत फारस की खाड़ी से आती है. बहरीन पूरी तरह समुद्री जल पर निर्भर है. क़तर की स्थिति भी ऐसी ही है सऊदी अरब की भी 80% निर्भरता प्यूरिफाई किए हुए पानी पर है.
- जहां ओमान और यूएई जैसे देश दो समुद्रों से घिरे हैं और वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं, वहीं क़तर, बहरीन और कुवैत के पास यह विकल्प नहीं है. ऐसे में अगर बुशहर पर हमला होता है तो यह खाड़ी क्षेत्र के लिए एक बड़े मानवीय और पारिस्थितिक संकट का कारण बन सकता है.
अमेरिका और इज़राइल भले ही ईरानी परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए एक के बाद एक ठिकानों पर वार कर रहे हों, लेकिन बुशहर की संवेदनशील स्थिति व संभावित तबाही ने अब तक उसे ‘निषिद्ध लक्ष्य’ बनाकर रखा है. यदि इस रिएक्टर पर हमला किया गया, तो उसका असर सिर्फ़ ईरान ही नहीं, पूरे खाड़ी क्षेत्र पर पड़ेगा... और शायद यही आशंका अभी तक दोनों देशों को रोक रही है.