IMF से डॉलर, भारत पर मिसाइलें : पाकिस्तान की 'फंडिंग-से-फायर' पॉलिसी फिर बेनकाब
9 मई की रात, जब IMF ने पाकिस्तान को 1.1 बिलियन डॉलर की किश्त जारी की और आगे के लिए 1.4 बिलियन डॉलर की मंजूरी दी, उसी के कुछ घंटों बाद भारत की सीमा में ड्रोन और मिसाइलें घुस आईं. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, IMF की फंडिंग मिलते ही पाकिस्तान का सैन्य जोश बढ़ जाता है, और वह सीधा टकराव शुरू कर देता है, यह उसकी पुरानी रणनीति रही है.

जिस दिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर की राहत राशि जारी की और 1.4 अरब डॉलर की अतिरिक्त सुविधा का रास्ता खोला, उसी रात भारत की सीमा पर आसमान में पाकिस्तान की मिसाइलें और ड्रोन गरज उठे. ये हमला कूटनीतिक नहीं था, बल्कि एक परंपरागत पाकिस्तानी पैटर्न की पुष्टि थी: "भीख में डॉलर मिले नहीं, कि बंदूकें चमकाने लगे!"
ये सिर्फ संयोग नहीं, रणनीति है, एक घिसा-पिटा पाकिस्तानी प्लेबुक, जहां आर्थिक राहत मिलते ही सेना और खुफिया एजेंसियां फिर से आक्रामक मुद्रा में आ जाती हैं. न्यूज-18 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा, “जब भी पाकिस्तान को IMF या किसी वैश्विक संस्था से आर्थिक राहत मिलती है, वो खुद को फिर से ‘परमाणु ताक़त’ और ‘इस्लामी किला’ की भूमिका में देखने लगता है, और इसका पहला निशाना बनता है भारत.”
IMF ने अप्रैल 2024 की रिपोर्ट में माना था कि पाकिस्तान आर्थिक सुधार की दिशा में कुछ कदम उठा रहा है, लेकिन संरचनात्मक कमजोरियां और राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है. पर क्या सच में सुधार हो रहा है?
"जिन्हें पैसा देना था नागरिक सुधारों के लिए, वो बन गया मिसाइलों का ईंधन"
IMF ने शर्त रखी थी - टैक्स सुधार, सब्सिडी में कटौती, और ऊर्जा की कीमतें बढ़ाना. पाकिस्तान सरकार ने 'कागज पर' मान लिया, लेकिन जमीनी हालात अलग हैं.
2025 के बजट दस्तावेजों के अनुसार, पाकिस्तान के रक्षा बजट में 18% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण में कटौती की गई.
"सीमा पार वही पुराना खेल: आतंकी नेटवर्क फिर से सक्रिय"
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने साफ संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल सीमापार आतंकवाद को फिर से हवा देने में कर रहा है. IMF फंडिंग के महज घंटों बाद जम्मू-कश्मीर के पुंछ, राजौरी, उरी और तंगधार में ड्रोन हमले और गोलाबारी की घटनाएं हुईं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के फैसले पर उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए पूछा, "IMF आखिर पाकिस्तान को गोला-बारूद के लिए रिफंड क्यों दे रहा है?" जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय यही चाहता है कि आर्थिक सहायता के नाम पर भारत को अस्थिर किया जाए?
पाकिस्तान का इतिहास: जहां मदद मिली, वहीं से आग उगली
पाकिस्तान अब तक IMF से 25 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है. हर बार पैटर्न लगभग एक जैसा रहा - आर्थिक संकट, अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति, अरबों की फंडिंग,
फिर आतंकी हरकतें और भारत-विरोधी कार्रवाई.
सवाल IMF पर भी
भारत ने IMF की बोर्ड मीटिंग में भी यह चिंता जताई थी कि ये फंड कहीं आतंकवाद और जियो-पॉलिटिकल खतरों को खाद-पानी न दे दे. लेकिन सख्त शर्तें और निगरानी तंत्र की कमी साफ दिखती है.
"मिसाइलों के पीछे डॉलर, ड्रोन के पीछे बेलआउट"
IMF और वैश्विक संस्थानों को अब यह समझना होगा कि पाकिस्तान को बिना निगरानी पैसा देना, आग को घी देने जैसा है. क्या भविष्य में IMF बेलआउट्स में यह शर्तें जोड़ी जाएंगी कि कोई सैन्य उकसाव नहीं होगा, आतंक को संरक्षण नहीं मिलेगा? जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक दुनिया यही तमाशा देखती रहेगी, "जहां पैसा गया, वहां से बम निकला. जहां राहत मिली, वहां से बारूद बरसा."