गिटार बजाना है तो भूल जाओ नौकरी! बॉस ने कैंडिटेड से कहा- नहीं मिलेगी जॉब
सिंगापुर में एक सीओओ ने सोशल मीडिया पर एक घटना के बारे में शेयर किया है. उसने बताया कि उसके इंडियन बॉस ने एक कैंडिडेट को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी क्योंकि उसने अपने सीवी में कुछ हॉबीज के बारे में बताया था. एक व्यक्ति को गिटार बजाना पसंद था, इसलिए उसे नौकरी नहीं दी गई.

Viral News: सोशल मीडिया पर ऑफिस के वर्क कल्चर को लेकर अक्सर चर्चाएं होती हैं. आज के समय में किसी में फिल्ड में काम करने वाले कर्मचारी तनाव झेलने रहे हैं. वहीं वर्क लाइफ बैलेंस और काम के घंटों को लेकर चर्चा भी हो रही है. इस बीच एक व्यक्ति को गिटार बजाना पसंद था, इसलिए उसे नौकरी नहीं दी गई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर में एक सीओओ ने सोशल मीडिया पर एक घटना के बारे में शेयर किया है. उसने बताया कि उसके इंडियन बॉस ने एक कैंडिडेट को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी क्योंकि उसने अपने सीवी में कुछ हॉबीज के बारे में बताया था.
क्यों नहीं मिली नौकरी?
सिंगापुर के यू. के. मैगजीन टैटलर एशिया के सीओओ परमिंदर सिंह ने अपने ऑफिस के वर्क कल्चर और बॉस के बारे में कुछ बातें शेयर की हैं. उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि 'इंडिया एक बार एक शख्स ने मार्केटिंग की पोस्ट के लिए मेरी टीम में अप्लाई किया. एक अच्छा मार्केटर होने के अलावा, उसने सीवी में बताया कि वह मैराथन दौड़ता है और उसे गिटार बजाना पसंद है. मेरे बॉस ने मुझे उसे नौकरी पर रखने से मना कर दिया. बॉस ने कहा कि ये आदमी सब कुछ करता है तो काम कब करेगा?'
पोस्ट पर यूजर्स का रिएक्शन
परमिंदर सिंह की पोस्ट को देखकर कई लोग कमेंट कर रहे हैं. एक शख्स ने पोस्ट में रिएक्ट करते हुए लिखा कि हैरानी होती है! यह मानसिकता कितनी पुरानी हो चुकी है. एक अच्छा इंसान अक्सर ज्यादा क्रिएटिव और स्किल्स लेकर आता है. आपके बॉस ने एक बेहतरीन उम्मीदवार को खो दिया. दूसरे .यूजर्स ने लिखा कि हर मैनेजर किसी न किसी तरह से ऐसा ही होता है. अगर उन्हें वीटो दिया जाए तो वे एलएंडटी के चीफ की तरह बातें करेंगे. उसने आगे लिखा कि हर किसी को अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखनी चाहिए.
90 घंटे काम बयान से हंगामा
हाल ही में एलएंडटी के चीफ एसएन सुब्रह्मण्यन ने एक ऐसा बयान दिया था, जिसको लेकर देश भर में वर्क टाइंमिंग को लेकर बहस छिड़ गई. सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए. इस पर परमिंदर सिंह ने भी रिएक्शन दिया कि मुझे लगा कि ऐसे मैनेजर विलुप्त हो चुके हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. परमिंदर ने कहा, मुझे अफसोस है कि वे सक्षम उम्मीदवार को नौकरी नहीं दे पाएं.